ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में क्या अंतर है
ध्वजारोहण और ध्वज फहराना, दोनों ही राष्ट्रीय के ध्वज तिरंगा को सम्मान के साथ ऊंचा उठाने का एक कार्य हैं। ध्वजारोहण में ध्वज को धीरे-धीरे ऊपर की ओर ले जाते हैं फिर झंडे को फहराया जाता हैं। ध्वजा रोहण भारत के प्रधानमंत्री करते हैं और ध्वजा रोहण दिल्ली के लाल किले में स्वतंत्रा दिवस के दिन किया जाता है। जबकि ध्वज फहराना गणतन्त्र दिवस के दिन राजपथ में राष्ट्रपति जी के द्वारा किया जाता हैं। ध्वजफहराने की क्रिया में ध्वज को ऊपर नहीं ले जाते हैं। बल्कि पहले से ही ध्वज पोल में फ़ोल्ड रहता हैं, फिर राष्ट्रपति जी एक रस्सी खिचते हैं और ध्वज खुल कर फहराने लगता हैं। इसलिए इसे ध्वज फहराना कहते हैं। अँग्रेजी में ध्वज फहराने को FLAG UNFURLING कहते हैं, जबकि ध्वजारोहण को अँग्रेजी में FLAG HOSTING कहा जाता हैं।
पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज कब और कहां फहराया गया
माना जाता है कि भारत में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज को 7 अगस्त 1906 के दिन फहराया गया था। यह ध्वज लाल पीले और हरे रंग की पट्टियों से बना हुआ था। यह तीनों रंग क्षैतिज पट्टियों से बने हुए थे। इस झंडे को कोलकाता के ग्रीन पार्क में यानी पारसी बागान स्क्वायर में फहराया गया था। दूसरा झंडा मैडम कामा जी के द्वारा फ्रांस की राजधानी पेरिस में 1907 में फहराया गया था। भारत के वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई से चौड़ाई का अनुपात 3:2 है।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की पट्टियों का इस्तेमाल होता है जिसमें सबसे ऊपर वाली पट्टी केसरिया रंग की होती है और सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी होती है। मध्य में सफेद रंग की पट्टी होती है। सफेद पट्टी के केंद्र में 24 तीलियों का एक नीले रंग का अशोक चक्र होता है।