दुनिया में सबसे पहले माचिस का आविष्कार ब्रिटेन में हुआ था। ब्रिटिश वैज्ञानिक जॉन वॉकर ने 21 दिसंबर 1827 को माचिस का आविष्कार किया था। उनके द्वारा बनाई गई पहले माचिस आज की ही तरह जलती थी लेकिन आज की तरह व सुरक्षित नहीं थी। आज के समय की माचिस एक निश्चित प्रकार के आधार पर ही घर्षण करने से जलता है, लेकिन जॉन वॉकर की बनाई गई माचिस किसी भी खुरदरी जगह पर रगड़ खाने से जल जाया करती थी। शुरुआती समय में जिन माचिस को बनाया गया था, उन्हें बनाने के लिए एंटीमनी सल्फाइड, पोटैशियम क्लोरेट और स्टार्च का उपयोग होता था। उस समय की माचिस की तीली को रगड़ने से छोटा सा विस्फोट होता था, उसके बाद माचिस में आग लगती थी। जो की बहुत ही खतरनाक और असुरक्षित था।
माचिस को लेकर बहुत से प्रयोग किए गए और परिणाम स्वरूप आज हमारे पास जो माचिस है जिसका इस्तेमाल हम करते हैं, वह अब तक की सबसे सुरक्षित माचिस की श्रेणी में आता है।
1827 के समय बनाए जाने वाली माचिस में गंध की समस्या थी, जब भी माचिस को रगड़ कर जलाया जाता था तो बहुत तेज गंध माचिस से निकला करती थी. उसे गंध से मुक्ति पाने के लिए फ्रांस में एंटीमनी सल्फाइड को हटाकर उसकी जगह फास्फोरस का इस्तेमाल किया जाने लगा। फास्फोरस की वजह से माचिस को जलाते समय उत्पन्न होने वाली गंध से मुक्ति मिल गई, लेकिन नई समस्या का जन्म हुआ और यह समस्या थी। जैसे ही माचिस को रगड़ कर जलाया जाता था तो उसे बहुत तेज और विषैला धुआं निकलता था। इसके चलते फ्रांस में जल्दी ही फास्फोरस का इस्तेमाल माचिस बनाने के लिए बैन कर दिया गया।
1872 में फ्रांस, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड इन सभी देशों ने माचिस बनाने की प्रक्रिया में फास्फोरसके इस्तेमाल को बैन कर दिया क्योंकि फास्फोरस की वजह से विषैला धुआं निकलता था जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक था।
सेफ्टी माचिस का आविष्कार
सेफ्टी माचिस का आविष्कार 1899 में माचिस बनाने वाली एक कंपनी अलब्राइट एंड विल्सन के द्वारा किया गया था। यह कंपनी ब्रिटेन की एक व्यावसायिक कंपनी थी। उन्होंने फास्फोरस की जगह उसका योगिक रूप फास्फोरस सेसक्यों सल्फाइड का इस्तेमाल किया जो कि मनुष्यों के लिए हानिकारक नहीं थी।
भारत में माचिस कब आया
शुरुआती समय में भारत में माचिस नहीं बनाई जाती थी, इसीलिए भारत में माचिस स्वीडन और जापान से निर्यात करके लाया जाता था। लेकिन 1910 के आसपास जापान का एक परिवार कोलकाता में आकर रहने लगा और उस परिवार ने भारत में माचिस निर्माण का कार्य शुरू किया और धीरे-धीरे माचिस बनाने की कई छोटी-छोटी फैक्ट्रियां बन गई। लेकिन कोई भी माचिस बनाने वाली फैक्ट्री सफल नहीं हो पाई। साल 1921 में अहमदाबाद में एक माचिस फैक्ट्री की स्थापना की गई इस फैक्ट्री का नाम इस्लाम फैक्ट्री था, फैक्ट्री को माचिस बनाने के उद्योग में काफी सफलता मिली थी। धीरे-धीरे तमिलनाडु में भी माचिस बनाने की फैक्ट्री लगने लगी और 1927 में तमिलनाडु की शिवकाशी शहर में माचिस की फैक्ट्री की स्थापना हुई। जिसके बाद भारत में वितरित होने वाली ज्यादातर माचिस तमिलनाडु के शिवकाशी में ही बनाई जाने लगी। आज भी तमिलनाडु का शिवकाशी माचिस उद्योग और पटाखे उद्योग के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है।