इस कहानी को रीवा के शीलेन्द्र मिश्रा ने भेजा हैं, वें MCA के विद्यार्थी हैं, उन्होने अपनी यह रचना हमे ईमेल के माध्यम से भेजी हैं। आप भी हमे अपनी कहानी भेज सकते हैं यहाँ क्लिक करके
दामोदर आठ साल कि उम्र में अपने माँ बाप को खोकर अनाथ हो गया था। उसको अपना पेट पालने के लिए कुछ काम करने कि जरुरत थी ,तब वह एक बड़े सेठ के यहाँ काम करने के लिए जाता है। जिसमे उसको गौ पालन एवं घर के कुछ छोटे मोटे काम करने को मिल जाता है। एक दिन कि बात है दामोदर रोज कि तरह गायों को जंगल लेकर जाता है , तभी दोपहर में अचानक एक राहगीर उसको मिलता है जो कि कहता है मुझे बहुत भूख लगी है, क्या कुछ खाने को मिल सकता है।
दामोदर अपने लिए केवल एक रोटी लिया रहता है , जिसको आधा करके उस मुसाफिर को भी खिला देता है , और बची हुई आधी रोटी खुद खा लेटा है। परन्तु यह प्रक्रिया दुसरे दिन भी होती है पर दुसरे दिन दो मुसाफिर आते हैं, जिससे दामोदर एक रोटी के तीन तुकडे करता है, और तीनो मिलकर ख़ुशी खूशी खाते हैं।
परन्तु ऐसे ही तीसरे और चौथे दिन भी एक-एक आदमी बढ़ जाते हैं, जिससे आखिरी दिन दामोदर चार टुकड़े करके चारों को खिला देता है, पर खुद भूखा रहता है। दामोदर कि इस अच्छाई को देखकर वो चारो मुसाफिर अपनी गुप्त बात बता देते हैं। वो बताते हैं कि हम यमदूत हैं, जिसका जीवन काल समाप्त हो जाता है तो हम उसको उसके कर्म के अनुसार स्वर्ग या नरक ले जाते हैं। दामोदर को भी जानने की जिज्ञासा हुई कि मेरा समय कब आयेगा ,यमदूत बोले ये बात हम बता नहीं सकते पर तुम्हारी दया और करुना भरे स्वाभाव के कारण इतना बता रहे हैं कि जब तुम्हारा विवाह होगा, उसके बाद तुम मर जाओगे।
कुछ वर्ष पश्चात् दामोदर कि उम्र विवाह के योग्य हो गयी , और दामोदर का विवाह एक सुन्दर और सुशील कन्या से हो गया, जिसका नाम माधवी था। दामोदर अपने मृत्यु कि बात अपनी धर्म पत्नी माधवी को बता देता है , जिसको जानकर माधवी अब दुखी हो जाती है। विवाह की रात माधवी भोजन बना कर बैठी रहती है , पर उसका मन दुखी रहता है और वो दुखी होकर भगवन कि प्रार्थना करने लगती है , कहती है हे नारायण मैंने मन कर्म और वचन से आपका हमेशा ध्यान किया है , पर मेरे पति कि मृत्यु आज विवाह कि पहली रात को ही हो जाएगी।
तभी उसके घर के पास से एक गर्भवती महिला निकलती है जो कि कहती है कि मुझे बहुत भूख लगी है कोई कुछ खाने को दे दो। माधवी दुखी बैठी रहती है , फिर भी उस गर्भवती महिला का दुःख देख कर उसको भोजन के लिए बुला लेती है, उधर यमराज , यमदूत को भेजते हैं कि दामोदर का समय आ गया है उसको लेकर आओ। यमदूत दामोदर को लेने के लिए निकल पड़ते हैं , तभी माधवी गर्भवती महिला को भोजन देती है और वह महिला भोजन करके तृप्त होकर माधवी को आशीष देती है, सदा सुहागन रहो बेटी , इतना सुनते ही यमराज का आदेश आता है कि यमदूत वापस आ जाओ, क्यूंकि जो महिला आशीष देती हैं वो स्वयं साक्षात् माँ भगवती, नारायण के कहने पर आती हैं।
अब दामोदर कि उम्र बढ़ गयी तथा दामोदर और माधवी ख़ुशी ख़ुशी अपना जीवन यापन करने लगे। इस कहानी का उद्देश्य केवल इतना है कि जीवन में अच्छे कर्म ही केवल मन कि शांति और जीवन में ख़ुशी लाते हैं। जीवन जीने का सही तरीका केवल एक ही है , औरों को ख़ुशी देना और अच्छे कर्म करते रहना।
जय हो लक्ष्मीनारायण जी की , जय हो गौरीशंकर जी की ||||||||| भारत माता कि जय ||||||