sonia gandhi

निबंध : सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) कौन हैं? आइये जानते हैं

प्रारम्भिक जीवन:

Sonia Gandhi का जन्म 9 दिसंबर 1946 को इटली के वेनेटो में विसेंज़ा से लगभग 35 किमी दूर ऐतिहासिक रूप से सिम्ब्रियन-भाषी गांव लुसियाना मे हुआ था। उनके पिता का नाम स्टेफ़ानो और माता का नाम पाओला माइनो था। वह तीन भाई-बहनों में से एक थी: सोनिया, नादिया और अनुष्का। सोनिया गांधी की लालन-पालन पारंपरिक रोमन कैथोलिक ईसाई के मान्यताओ के आधार पर हुआ था। । सोनिया गांधी का बचपन ट्यूरिन शहर के पास एक शहर ओरबासानो में बिता हैं। उन्होंने वही के एक धार्मिक कैथोलिक स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी।

सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के पिता :

सोनिया गांधी के पिता स्टेफ़ानो, जो एक भवन बनाने वाले मिस्त्री थे। स्टेफानों ने ओरबासानो में एक छोटा निर्माण व्यवसाय स्थापित किया। इसके बाद उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में पूर्वी मोर्चे पर हिटलर की सेना के साथ सोवियत सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, वह बेनिटो मुसोलिनी और इटली की नेशनल फासिस्ट पार्टी के वफादार समर्थक थे। परिवार के घर में मुसोलिनी के लेखन और भाषणों पर चमड़े से बंधी किताबें थीं। 1983 में सोनिया गांधी के पिता का निधन हो गया। सोनिया गांधी की दो बहनें हैं जो अभी भी अपनी मां के साथ ओरबासानो में रहती हैं।

सोनिया गांधी का विवाह एवं बच्चे

Sonia Gandhi ने 13 साल की उम्र में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर ली थी। वह एक फ्लाइट अटेंडेंट बनने की ख्वाहिश रखती थी। 1964 में, वह कैम्ब्रिज शहर में बेल एजुकेशनल ट्रस्ट के भाषा स्कूल में अंग्रेजी का अध्ययन करने गई। अगले वर्ष, वह राजीव गांधी से वर्सिटी रेस्तरां में मिलीं, जहां वह एक अंशकालिक वेट्रेस के रूप में काम कर रही थीं, जबकि राजीव गांधी कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में इंजीनियरिंग की डिग्री के लिए पढ़ाई कर रहे थे। इस जोड़े ने 1968 में एक हिंदू रीति-रिवाज से शादी की, जिसके बाद वह अपनी सास और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के घर मे रहने लगी।

सोनिया गांधी और राजीव गांधी के दो बच्चे हुये, राहुल गांधी (जन्म 1970) और प्रियंका वाड्रा (जन्म 1972)। प्रभावशाली नेहरू परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद, सोनिया और राजीव ने राजनीति में शामिल होने से परहेज किया। राजीव गांधी एयरलाइन सेवा मे पायलट के रूप में काम करते थे, जबकि सोनिया अपने घर मे रह कर अपने परिवार की देखभाल करती थीं। उन्होंने अपनी सास इंदिरा गांधी के साथ काफी समय बिताया था। भारतीय आपातकाल के बाद 1977 में इन्दिरा गांधी को प्रधान मंत्री पद गवाना पड़ा। इसके तुरंत बाद, राजीव गांधी अपने परिवार के साथ थोड़े समय के लिए देश छोड़ कर विदेश चले गए। जब राजीव ने 1982 में राजनीति में प्रवेश किया, तो सोनिया ने अपने परिवार पर ध्यान देना जारी रखा और जनता के साथ सभी संपर्क से परहेज किया।

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सोनिया गांधी की राजनीति मे प्रवेश

भारतीय सार्वजनिक जीवन में सोनिया गांधी की भागीदारी उनकी सास की हत्या और उनके पति के प्रधान मंत्री के रूप में चुनाव के बाद शुरू हुई। प्रधान मंत्री की पत्नी के रूप में वह उनकी आधिकारिक सहायक के रूप में काम करती थीं और उनके साथ कई राजकीय यात्राओं पर भी जाती थीं। 1984 में, उन्होंने अपने पति की भाभी और संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी के खिलाफ सक्रिय रूप से प्रचार किया, मेनका गांधी अमेठी में राजीव के खिलाफ चुनाव लड़ रही थी।

कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप मे चुनाव

1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद और सोनिया गांधी (sonia gandhi) ने कांग्रेस अध्यक्ष के पद को अस्वीकार्य कर दिया था। इसके बाद पार्टी ने पी.वी. नरसिम्हा राव को अध्यक्ष चुना जो की बाद मे चुनाव जीतने के बाद भारत के प्रधानमंत्री भी बने। अगले कुछ वर्षों में, कांग्रेस की लोकप्रियता और जनता का विश्वास दोनो ही लगातार कम होता गया। जिसके कारण 1996 मे कांग्रेस बहुत बुरी तरह से चुनाव हार गई। इसके बाद नरसिम्हा राव ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। माधवराव सिंधिया, राजेश पायलट, नारायण दत्त तिवारी, अर्जुन सिंह, ममता बनर्जी, जीके मूपनार, पी चिदंबरम और जयंती नटराजन जैसे कई वरिष्ठ नेताओं ने मौजूदा राष्ट्रपति सीताराम केसरी के खिलाफ खुले विद्रोह किए और जिनमें से कई ने कांग्रेस को विभाजित करते हुए पार्टी छोड़ दी। पार्टी के गिरते भाग्य को पुनर्जीवित करने के प्रयास में, सोनिया  गांधी 1997 में कलकत्ता पूर्ण सत्र में प्राथमिक सदस्य के रूप में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गई हैं। 1998 मे सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गई। 1999 के आम चुनाव मे सोनियन गांधी अपने पति स्वर्गीय राजीव गांधी की सीट अमेठी से नामांकन भरा। प्राथमिक सदस्य के रूप में शामिल होने के 62 दिनों के भीतर, उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद की पेशकश की गई जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। उन्होंने 1999 में बेल्लारी, कर्नाटक और अमेठी, उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ा। उन्होंने दोनों सीटें जीतीं लेकिन अमेठी का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना। बेल्लारी में, उन्होंने अनुभवी भाजपा नेता सुषमा स्वराज को हराया था।

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विपक्ष की नेता के रूप मे (1999 से 2003)

1999 में वह 13वीं लोकसभा में विपक्ष की नेता चुनी गईं। जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बनाई, तो उन्होंने विपक्ष के नेता का पद संभाला। विपक्ष के नेता के रूप में, उन्होंने 2003 में वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी बुलाया था, जिसमे वो असफल रही, इतिहास मे अटल बिहारी वजपाई की सरकार पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी जिसने पूरे 5 वर्ष पूरे किए थे।

2004 से 2014 तक सत्ता मे रहना और राजनेतिक उतार-चढ़ाव

2004 के आम चुनावों में, गांधी ने भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) गठबंधन के ‘इंडिया शाइनिंग’ नारे के विपरीत आम आदमी (साधारण आदमी) के नारे पर देश भर में एक अभियान शुरू किया। 2004 के चुनाव में, sonia gandhi ने अपने प्रतिद्वंदी को रायबरेली सीट से 200,000-वोट के अंतर से हरा दिया। एनडीए की अप्रत्याशित हार के बाद, उन्हें व्यापक रूप से भारत का अगला प्रधानमंत्री चुना जाना तय माना जा रहा था। 16 मई को, उन्हें सर्वसम्मति से वामपंथियों के समर्थन के साथ-साथ 15 अन्य पार्टियो ने भी समर्थन दिया था। जिसके बाद इन सभी पार्टियो का गठबंधन करके उन्हे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) नाम दिया गया।

एनडीए ने एक बार फिर उनके ‘विदेशी मूल’ का विरोध किया और एनडीए की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज ने sonia gandhi के प्रधान मंत्री बनाए जाने का विरोध किया। एनडीए ने दावा किया कि ऐसे कानूनी कारण थे, जिन्होंने उन्हें प्रधान मंत्री पद प्राप्त करने से रोक दिया था और वो प्रधानमंत्री नहीं बन पाई। चुनाव के कुछ दिनों बाद, सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को प्रधान मंत्री के रूप में अपनी पसंद के रूप चुना और उनके नाम को प्रधानमंत्री के पद के लिए आगे बढ़ाया।  इस सिफारिश को पार्टी के नेताओं ने भी स्वीकार कर लिया और डॉ मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री बन गए।

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सोनिया गांधी पीएम क्यो नहीं बनी ज़ी न्यूज़ के अनुसार

जी न्यूज़ ने अपने एक लिख मे मीडिया का हवा देते हुये बताया हैं की 2004 के समय सोनिया गांधी के विदेशी होने का मुद्दा चर्चा मे था। विपक्ष तो इसका विरोध कर ही रहा था, इसके साथ ही कांग्रेस के अंदर खुद ही छिपे तौर पर ही सही पर विरोध वहाँ भी हो रहा था। आखरी वक्त मे सोनिया गांधी ने पीएम बनाने का फैसला बादल लिया और गांधी परिवार के खास डॉ मनमोहन सिंह का नाम प्रधानमंत्री के तौर पर आंगे कर दिया। डॉ मनमोहन सिंह 2004 से लेकर 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे हैं।

सोनिया गांधी से जुड़े कुछ रोचक बाते

सोनिया गांधी और राजीव गांधी की सगाई भारत के गणतन्त्र दिवस के दिन यानि की 26 जनवरी 1968 को हुई थी। इसके अलावा बसंत पंचवीं (25 फरवरी 1968)  के दिन राजीव गांधी और सोनिया गांधी ने विवाह कर लिया था। एक रोचक बात ये भी हैं की इन्दिरा गांधी और फिरोज गांधी की शादी भी बसंत पंचमी के दिन हुई थी।

सोनिया गांधी की शादी के पहले मेहंदी समारोह बच्चन परिवार के घर मे हुआ था। सोनिया गांधी राजीव गांधी से शादी करने के पहले से ही बच्चन परिवार से परिचित थी। सोनिया गांधी फ्रेंच भाषा भी अच्छे से जानती थी, शादी के बाद sonia gandhi ने हिन्दी भाषा भी सीखिए।

सोनिया गांधी के द्वारा लिखी किताबे

सोनिया गांधी ने राजीव गांधी के ऊपर दो किताबे लिखी हैं, पहली किताब का नाम “राजीव” हैं जबकि दूसरी किताब का नाम “राजीव की दुनिया” हैं। sonia gandhi ने 1922 से 1964 के बीच जवाहरलाल नेहरू के द्वारा इन्दिरा जी को लिखे पत्रो को भी सपंडित करके किताब का रूप दिया हैं। इन किताबो का नाम “फ़्रीडम डोटर” और “टू एलोन, टू टुगेदर” हैं।

सोनिया गांधी के चुनावी इतिहास

Year Constituency Name Result Votes gained
1999 Amethi Won 4,18,960
Bellary Won 4,14,650
2004 Rae Bareli Won 390,179
2006 Rae Bareli Won 4,74,891
2009 Rae Bareli Won 4,81,490
2014 Rae Bareli Won 5,26,434
2019 Rae Bareli Won 5,34,918

 
 

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