ज्ञानवर्धक कहानी – समय की उपयोगिता

ज्ञानवर्धक कहानी – समय की उपयोगिता

महात्मा गांधी और काका कालेलकर दक्षिण भारत की यात्रा पर थे। वहां गांधी जी की कई बैठकें थीं, उनकी व्यस्तता बढ़ती जा रही थी। इस दौरान उन्हें याद आया कि पिछली बार जब वे यहां आए थे तो कन्याकुमारी भी गए थे। कन्याकुमारी के प्राकृतिक वातावरण से गांधी जी इतने प्रभावित हुए थे कि वे यहां दोबारा आना चाहते थे।

गांधी जी चाहते थे कि काका कालेलकर भी कन्याकुमारी देखें। इसलिए उन्होंने अपने एक विश्वसनीय व्यक्ति से कहा, ‘एक कार का इंतजाम करो और काका कालेलकर को कन्याकुमारी घुमाकर लाओ।’

कार की व्यवस्था होने में देर लग गई। गांधीजी ने देखा कि काका अभी तक गए नहीं तो उन्होंने पूछा, ‘क्या अभी तक आपके लिए कार का इंतजाम नहीं हो सका है?’

काका कालेलकर ने कहा, ‘इंतजाम तो हो जाएगा, लेकिन मुझे लगा कि संभवत: आप भी साथ चलेंगे। आपकी व्यस्तता के कारण देरी हो रही है।’

गांधी जी ने कहा, ‘काका जाना तो आपको अकेले है, मैं नहीं जा पाऊंगा।’

कालेलकर ने कहा, ‘आप चलिए ना, यहां तक आए हैं तो।’

गांधी जी बोले, ‘इस समय मुझे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए कई बैठकें करनी हैं। घंटे तो दूर मेरे लिए पल-पल मूल्यवान है। एक बार मैं उस प्रकृति का आनंद उठा चुका हूं। दोबारा केवल आनंद उठाने के लिए मैं देशवासियों का जो महत्वपूर्ण समय है, जो मैं उन्हीं के लिए अर्पित कर चुका हूं, उसमें से समय नहीं चुरा सकता। ये अच्छी बात नहीं है। इसलिए आप वहां हो आइए, क्योंकि आप पहली बार जा रहे हैं और मैं समय का सदुपयोग करूंगा।’

See also  हिन्दी कहानी -दयालु पंडित जी (Hindi Story of Dayaalu Pandit Ji)

सीख – हमें कार्य की प्राथमिकता और समय की सही उपयोगिता में संतुलन बनाकर रखना चाहिए। समय सीमित है तो हमें पहले वह काम करना चाहिए, जो महत्वपूर्ण है। केवल व्यक्तिगत रुचि, प्रकृति का आनंद, मौज-मस्ती में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।