दोस्तो, अगर आप ये लेख अगस्त महीने मे पढ़ रहे हैं तो आपको स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए, दोस्तो एक बार मेरे घर मे एक शादी का फंक्शन हुआ, मैंने ज्यादा से ज्यादा कामो को किया, ऐसे भी काम निपटाए जो दूसरों को दिया गया था। लेकिन जब शादी का कार्यक्रम खत्म हुआ, घर के सभी लोग फुर्सत होकर एक दिन इकट्ठे बैठे, और घर के सभी लोगो द्वारा किए मेहनत पर तारीफ हो रही थी। मेरे बाबा यानि दादा एक एक करके सभी घरवालो का नाम लेकर उनकी तारीफ करते, लेकिन मेरा नाम सबसे लास्ट मे लिया गया, और सिर्फ एक काम के लिए तारीफ की गई की शादी मे आए मेहमानो को मैंने बहुत अच्छे तरीके से नस्ता- पानी करवाया।
मैं उस समय तो कुछ नहीं बोला, क्योंकि मैं बहुत संकोची हूँ, लेकिन मैंने जांच-पड़ताल की तो पता चला की मेरा एक भाई, मेरे द्वारा सभी कार्यो की रिपोर्टिंग दादा जी को दे रहा था और नए नए कार्य उनसे लेकर मुझे दे देता था। उसने ये तो दादा जी से नहीं कहा की ये सारे कार्य उसने किए हैं, पर उसने ये भी नहीं कहा की यह सारे कार्य मैंने किए हैं। पर जिस कार्य की रिपोर्टिंग दादा जी को मेरे द्वारा दी जानी चाहिए थी,वह रिपोर्टिंग मेरा भाई दादा जी को दे रहा था। जिससे उन्हे लगा की सारा कार्य मेरे भाई ने किया हैं।
ठीक इसी तरह से देश की आजादी की भी कहानी हैं, निश्चित रूप से सभी लोगो का आजादी मे हांथ था। पर पता नहीं क्यो बहुत से लोगो का योगदान छिपा लिया गया। और कुछ लोगो को ऐसे प्रकाश मे लाया गया की सिर्फ उनही ने ही देश आजाद करवाया हैं, वरना तो ये देश आजाद ही नहीं होता। तो आइये जानते हैं की देश को आजाद करने वाले उन असली हीरो के नाम जिनका नाम छिपा दिया गया।
- सुभाष चन्द्र बोस – भारत के आजादी के सबसे बड़े हीरो, और वास्तव मे जिनके वजह से अंग्रेज़ो ने भारत को आजाद किया वो सुभाष चन्द्र बोस ही हैं। सुभाष चन्द्र बोस भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। जबकि जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। उन्होने आजाद हिन्द फौज का गठन कर के अंग्रेज़ो को परेशान कर दिया था। अंग्रेज़ सुभाष चन्द्र बोस के नाम से थर-थर कांपते थे। आजाद हिन्दी फौज की वजह से विश्व का ध्यान भारत की तरफ गया और धीरे धीरे विश्व के कई देश इंग्लैंड पर भारत को आजाद करने का दबाव बनाए लगे थे। सुभाष चन्द्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके थे, कांग्रेस मे उनकी लोकप्रियता के सामने दिग्गज की भी कुछ नहीं चलती थी। कांग्रेस के सदस्य और भारत की जनता सुभाष चन्द्र बोस पर जान छिड़कती थी। पर नेहरू और गांधी जी से विचार न मिलने की वजह से उन्होने पद त्याग दिया तथा पार्टी भी छोड़ कर, अपने दम पर देश को आजाद करने निकाल पड़े।
- भीखा जी कामा -ये देश की पहली महिला हैं जिनहोने भारत के झंडे को विदेश मे फहराया था। भिखा जी कमा को क्रांति की जननी कहा जाता हैं इनहोने 1907 मे विदेश धरती मे भारत का झण्डा फहराया था, इससे वेदेशी लोगो का ध्यान पहली बार भारतीय लोगो की समस्या पर गया। 1907 मे जर्मनी मे एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमे दुनिया भर के देश भाग लेने आए थे। भारत भी यहाँ पर मौजूद था पर भारत के लिए ब्रिटिश झंडे का इस्तेमाल किया गया था। मैडम कामा को यह बर्दाश्त नहीं था, उन्होने भारत का झण्डा बनाया और ब्रिटिश झंडे को हटा कर भारत के झंडे को फहरा दिया। मैडम कमा जी की शादी रुष्टम जी कमा जी के साथ हुई थी, रुष्टम जी कमा अंग्रेज़ परास्त थे, तथा वो मानते थे की अंग्रेज़ो की वजह से देश विकसित हो रहा हैं। लेकिन भीखा जी कामा अपने पति के विचारो से सहमत नहीं थी, वो पक्का राष्ट्रवादी सोच की महिला थी। और इसी वैचारिक मतभेद के चलते मैडम कामा जी और उनके पति को अलग होना पड़ा।