गीतांजली की कहानी – samsyayका सामना

गीतांजली की कहानी – समस्याओं का सामना

बहुत ही सुंदर मौसम था। आसमान मे काले बादलो ने सूरज को ढक लिया था और हल्की हल्की ठंडी हवा बह रही थी। साथ मे रिमझिम-रिमझिम बारिश हो रही थी। मैं अपने दोस्तो के साथ चिरौंजी काका के चाय के झोपड़े मे बैठा ताश खेल रहा था। तभी एक व्यक्ति अपने दोस्त के संग उस झोपड़े मे प्रवेश करता हैं जो की बारिश की फुहारो से बचना चाहते थे। वो व्यक्ति काफी परेशान लग रहे थे।

“मैं बहुत परेशान हूँ यार समझ मे नहीं आता क्या करूँ” व्यक्ति अपने दोस्त को अपना दुखड़ा सुनाते हुये कहता हैं।

“एक परेशानी से अगर जैसे तैसे बचा तो दूसरी परेशानी द्वार ताके बैठी रहती हैं।”

तभी चिरौंजी काका ने उनकी बात सुन उन्हे संबोधित करते हुये कहते हैं- “अरे भैया ये तो दुनिया ही भगवान ने ऐसी बनाई हैं, दुख और सुख इनका तो आना और जाना लगा ही रहता हैं। इस दुनिया मे कोई भी ऐसा नहीं जो दुख से बच पाया हो, दुख तो वो हैं जो हमे बहुत कुछ दे के जाता हैं, जबकि सुख हमारा बहुत कुछ लेके जाता हैं, तो दुख से डरो नहीं भैया, आओ इधर आओ, आपको एक चीज़ दिखाता हूँ”

काका इतना कहते हुये तीन गैस स्टोव मे तीन भगोने चढ़ाते हुये उसमे पानी डाल देते हैं। फिर एक भगोने मे आलू, दूसरे मे अंडे और तीसरे मे चाय डाल कर उसे 20 मिनट उबलने के लिए छोड़ दिया।

वो व्यक्ति वही पर खड़ा ये सब देख रहा था तथा हमने भी ताश खेलना बंद कर, वहाँ जाकर उत्सुकता वश खड़े हो गए। 20 मिनट के बाद उन्होने उस व्यक्ति के हांथ मे आलू दिया फिर अंडे दिये और एक कप मे चाय दी और पूछा की -“आपने क्या समझा”

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तब उस व्यक्ति ने कहा “आलू तो पानी मे उबल कर मुलायम हो गया हैं, अंडा पानी मे उबल कर कठोर हो गया हैं, जबकि चाय स्वादिष्ट हो गई हैं”

“हाँ बिलकुल सही” काका कहते हैं “ देखो तीनों ने एक ही विपत्ति का सामना किया यानि पानी मे उबलने का, पर चाय उस विपत्ति का सामना करने के बाद और भी मीठी बन गयी”

और तब उस व्यक्ति को समझ मे आ गया की समस्या तो सब के साथ होती हैं, पर सब उसके साथ अलग अलग तरह से उसका सामना करते हैं। यह हमारे ऊपर हैं की हम उसका सामना कैसे करते हैं। आलू की तरह टूट कर बिखर जाते हैं या अंडे की तरह कठोर हो जाते हैं और जीवन के प्रति रुचिहीन बन जाते हैं या चाय की तरह सहज और मीठा बन कर हँसते हँसते कठिन समय का सामना करते हैं।