1952 के आम चुनाव में दूसरे नंबर पर रहने वाले राजनीतिक पार्टी कौन सी थी, 1952 के आम चुनाव के कुछ प्रमुख परिणाम, 1952 के आम चुनाव कहाँ कहाँ नहीं हुये थे, पहले आम चुनाव के बाद लोकसभा अध्यक्ष कौन बने, भारत में आम चुनाव कितने वर्ष के अंतराल के बाद होते हैं, भारत में लोकसभा की सीट कितनी है,

1952 के आम चुनाव में दूसरे नंबर पर रहने वाले राजनीतिक पार्टी कौन सी थी?

1952 के आम चुनाव में दूसरे नंबर पर रहने वाले राजनीतिक पार्टी कौन सी थी

1952 के आम चुनाव में दूसरे नंबर पर रहने वाली राजनीतिक पार्टी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) थी। इस चुनाव में CPI ने 16 सीटें जीती थीं, जो कुल 489 सीटों में से लगभग 3% थी। पहले नंबर पर रहने वाली पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) थी, जिसने 364 सीटें जीती थीं।

भारत का पहला आम चुनाव 25 अक्टूबर, 1951 से 21 फरवरी, 1952 के बीच हुआ था। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत आयोजित किया गया था। इस चुनाव में 489 सीटों के लिए 1,874 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था, जिनमें 425 पुरुष और 449 महिलाएं थीं। इनमें से 364 सीटों पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीत हासिल की, जिससे वह भारत की पहली लोकप्रिय रूप से चुनी गई सरकार बन गई।

इस चुनाव में मतदान का प्रतिशत 45.7% था, जो उस समय के लिए एक बहुत ही अच्छी दर थी। इस चुनाव में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, और मतदान का उनका प्रतिशत 31% था। भारत के पहले आम चुनाव को सफलतापूर्वक आयोजित करना एक बड़ी उपलब्धि थी। यह एक नए स्वतंत्र देश के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। इस चुनाव ने भारत को एक लोकतांत्रिक देश के रूप में स्थापित करने में मदद की।

1952 के आम चुनाव के कुछ प्रमुख परिणाम

  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जीत: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस चुनाव में 364 सीटें जीतकर एक भारी बहुमत हासिल किया। इससे जवाहरलाल नेहरू को भारत के पहले लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया।
  2. कम्युनिस्ट पार्टी की सफलता: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने इस चुनाव में 16 सीटें जीतकर एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। इससे कम्युनिस्ट पार्टी को भारत की राजनीति में एक प्रमुख दल के रूप में स्थापित करने में मदद मिली।
  3. महिलाओं की बढ़ती भागीदारी: इस चुनाव में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, और मतदान का उनका प्रतिशत 31% था। इससे महिलाओं को भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल करने में मदद मिली।
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भारत के पहले आम चुनाव ने भारत के लोकतंत्र के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस चुनाव ने भारत को एक लोकतांत्रिक देश के रूप में स्थापित करने में मदद की, और यह एक नई स्वतंत्र देश के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।

1952 के आम चुनाव कहाँ कहाँ नहीं हुये थे

1952 के आम चुनाव भारत के पहले आम चुनाव थे। इन चुनावों में भारत की संसद, लोकसभा के लिए सभी 489 सीटों के लिए चुनाव हुए थे। इन चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 364 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया और जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधान मंत्री बने।

1952 के आम चुनावों में कुछ क्षेत्रों में चुनाव नहीं हुए थे। इनमें शामिल थे:

  1. जम्मू और कश्मीर: जम्मू और कश्मीर में 1952 तक पूर्ण संवैधानिक व्यवस्था लागू नहीं हुई थी, इसलिए वहां चुनाव नहीं हुए।
  2. गोवा: गोवा तब पुर्तगाल का एक उपनिवेश था, इसलिए वहां चुनाव नहीं हुए।
  3. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तब भारत का एक संघ शासित प्रदेश था, इसलिए वहां चुनाव नहीं हुए।
  4. लद्दाख: लद्दाख तब भारत का एक संघ शासित प्रदेश था, इसलिए वहां चुनाव नहीं हुए।

इन क्षेत्रों को छोड़कर, 1952 के आम चुनाव भारत के सभी हिस्सों में हुए थे।

पहले आम चुनाव के बाद लोकसभा अध्यक्ष कौन बने

1952 के आम चुनाव के बाद गणेश वासुदेव मावलंकर भारत के पहले लोकसभा अध्यक्ष बने। वे गुजरात के एक स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थे। वे 1952 से 1956 तक लोकसभा अध्यक्ष के पद पर रहे। उन्हें “लोकसभा के जनक” के रूप में जाना जाता है।

मावलंकर का जन्म 1886 में गुजरात के सूरत जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उन्होंने कानून की पढ़ाई की और एक वकील के रूप में अभ्यास किया। वे 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने कई बार जेल भी गए। स्वतंत्रता के बाद, मावलंकर को 1947 में भारत के संविधान सभा के सदस्य के रूप में चुना गया। उन्होंने संविधान सभा में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं, जिसमें लोकसभा के गठन और कार्यप्रणाली पर विचार-विमर्श करना शामिल था। 1952 में, मावलंकर को भारत के पहले लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया। उन्होंने इस पद पर 4 साल तक कार्य किया। इस दौरान उन्होंने लोकसभा की कार्यप्रणाली को मजबूत करने और इसे एक प्रभावी संस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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मावलंकर का 1956 में निधन हो गया। उन्हें भारत के सबसे सम्मानित लोकतंत्रवादियों में से एक माना जाता है।

भारत में आम चुनाव कितने वर्ष के अंतराल के बाद होते हैं?

भारत में आम चुनाव सामान्य स्थिति में हर पांच वर्ष में होते हैं। भारत के संविधान के अनुसार, लोकसभा का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। इसलिए, हर पांच साल में, लोकसभा को भंग कर दिया जाता है और नए चुनाव आयोजित किए जाते हैं।

हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में, भारत के राष्ट्रपति आम चुनावों को पांच वर्ष से पहले भी बुला सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि लोकसभा को भंग कर दिया जाता है, तो राष्ट्रपति को नए चुनावों को कम से कम 60 दिनों के भीतर आयोजित करना होगा।

वर्तमान में, 2024 में भारत में आम चुनाव होने की संभावना है।

भारत में आम चुनावों का आयोजन भारत के चुनाव आयोग द्वारा किया जाता है। चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है जो चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित करने के लिए जिम्मेदार है। भारत में आम चुनावों में, मतदाता वोट देने के लिए पंजीकृत होते हैं। 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी भारतीय नागरिक मतदान के लिए पात्र हैं। भारत में आम चुनावों में, मतदाता अपने प्रतिनिधियों को चुनने के लिए वोट देते हैं। ये प्रतिनिधि लोकसभा के सदस्य बनते हैं। लोकसभा भारत की संसद का निचला सदन है।

भारत में लोकसभा की सीट कितनी है?

भारत में लोकसभा की सीटों की संख्या 543 है। इनमें से 530 सीटें राज्यों के लिए और 20 सीटें केंद्र शासित प्रदेशों के लिए हैं।

1952 में भारत के पहले आम चुनावों में, लोकसभा में 489 सीटें थीं। 1960 में, केरल और अरुणाचल प्रदेश के गठन के बाद, लोकसभा की सीटों की संख्या 494 हो गई। 1971 में, बांग्लादेश के विभाजन के बाद, लोकसभा की सीटों की संख्या 508 हो गई। 1977 में, सिक्किम के भारतीय संघ में शामिल होने के बाद, लोकसभा की सीटों की संख्या 518 हो गई। 1987 में, गोवा के भारतीय संघ में शामिल होने के बाद, लोकसभा की सीटों की संख्या 522 हो गई। 2004 में, छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड के गठन के बाद, लोकसभा की सीटों की संख्या 543 हो गई।

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लोकसभा की सीटों का आवंटन भारत की जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। राज्यों की जनसंख्या के आधार पर सीटों की संख्या निर्धारित की जाती है। केंद्र शासित प्रदेशों को राज्यों के रूप में मानने की आवश्यकता के कारण, उन्हें भी लोकसभा में सीटें आवंटित की जाती हैं।

लोकसभा के सदस्यों का चुनाव सार्वभौम वयस्क मताधिकार के आधार पर प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा किया जाता है।

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