विद्रोह के मुख्य कारण क्या थे?
1857 ki kranti : लॉर्ड डलहौजी के द्वारा राज्य हड़प नीति लागू की गई थी, जिसकी वजह से भारतीय लोगों में रोष उत्पन्न हो गया था। इसके साथ ही लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि ने भी विद्रोह को भड़काने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1857 के विद्रोह (1857 ki kranti) के लिए राजनीतिक कारण तो जिम्मेदार थे, इसके अलावा प्रशासनिक कारण भी क्रांति के लिए उत्तरदाई थे। भारत में ईसाई धर्म का प्रचार लगातार बढ़ता जा रहा था, जिसकी वजह से भारतीयों में असंतोष की भावना उभर रही थी। इसके अलावा अंग्रेज लगातार भारतीय लोगों का आर्थिक शोषण करते जा रहे थे। जोकि लोगों की बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा था। भारतीय सैनिक भूराजस्व नीति के कारण दुखी हो चुके थे।
अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय सैनिकों के मन में क्रांति की भावना को बढ़ाने के लिए बहुत सारे ऐसे कारण थे जिसकी वजह से विद्रोह के लिए माहौल निर्मित हुआ। उदाहरण के लिए भारतीय सैनिकों को पदोन्नति से वंचित रखना, भारतीय सैनिकों को युद्ध के लिए विदेशी भूमि में भेजना और देश के बाहर भेजने पर अतिरिक्त भत्ता न देना भी प्रमुख कारण थे। जिनकी वजह से सैनिकों ने 1857 का विद्रोह किया।
मध्य प्रदेश के मंडला क्षेत्र से रानी अवंती बाई लोधी ने अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था। वी डी सावरकर देश के पहले व्यक्ति हैं जिनहोने 1857 के विद्रोह को सुनियोजित स्वतंत्रता संग्राम के रूप में लोगों के सामने प्रस्तुत किया। 1857 के विद्रोह के लहर में असम के दीवान मनीराम दत्त ने वहां के अंतिम राजा के पोते कल्पेश्वर सिंह को असम का राजा घोषित करके विद्रोह की शुरुआत कर दी थी।
सैनिकों को चर्बी युक्त कारतूस प्रयोग करने के लिए मजबूर करना भी सैनिकों के मन में आक्रोश उत्पन्न होने का एक कारण था। प्लासी के युद्ध के बाद से अंग्रेज लगातार भारत और भारत में रहने वाले भारतीयों का शोषण करते जा रहा था, जिसकी वजह से जन असंतोष बढ़ता गया और इसे 1857 के विद्रोह का महत्वपूर्ण कारण माना जाता है।
विद्रोह का आरंभ कहां से हुआ? (1857 ki kranti)
1857 की क्रांति का आरंभ बैरकपुर छावनी से मंगल पांडे ने 29 मार्च 1857 को किया था। इसके बाद 10 मई 1857 को मेरठ के सिपाहियों ने भी विद्रोह कर दिया। मेरठ के विद्रोही सैनिकों ने दिल्ली पहुंच कर 11 मई 1857 को मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर को भारत का बादशाह घोषित कर दिया।
1857 के विद्रोह में दिल्ली के सैनिकों का नेतृत्व बख़्त खान ने किया। और इस प्रकार धीरे-धीरे 1857 का विद्रोह देश के दूसरे भागों में भी फैल गया। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में विद्रोह की आग की शुरुआत 4 जून 1857 को हुई। बेगम हजरत महल ने अपने बेटे को लखनऊ का नवाब घोषित कर दिया। हजरत महल के बेटे का नाम बिरजिस कादिर था, इसके बाद हजरत महल के नेतृत्व मे लखनऊ में स्थित ब्रिटिश रेसीडेंसी पर आक्रमण कर दिया गया।
कानपुर में 5 जून 1857 के विद्रोह की शुरुआत हुई। इस विद्रोह का नेतृत्व पेशवा बाजीराव द्वितीय के गोद लिए पुत्र नाना साहब ने की थी। नाना साहब को धोन्धुपंत के नाम से भी जाना जाता है, इस विद्रोह में उनकी सहायता तात्या टोपे ने की थी।
1857 के विद्रोह के असफलता का कारण क्या था?
1857 ki kranti : भारतीय क्रांतिकारी मे नेतृत्व की कमी तथा संगठन और एकता का अभाव होना, इस विद्रोह की असफलता का एक कारण था। इसके अलावा ग्वालियर के सिंधिया, इंदौर के होल्कर और हैदराबाद के निजाम जैसे राजाओं ने अंग्रेजों का खुलकर साथ दिया और विद्रोह को दबाने में मदद की।
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