Bhoot ki Kahani – बाबा बद्रीनाथ भूतो का नाशक

👹 Best Bhoot ki Kahani 👹 बाबा बद्रीनाथ भूतो का नाशक {Updated 2022}

दोस्तों आज जो मैं आप लोगों  को एक bhoot ki kahani बताने जा रहा हूं, यह एक बहुत ही डरावनी कहानी है। यह एक आपबीती है। यह बात 2018 की है जब मैं अपने एक दोस्त के साथ बाइक पर अपने गांव भितरी से जिला रीवा आ रहा था। मेरा गांव सीधी जिले में है। ठंड के महीने चल रहे थे, और रीवा में मेरे एक घनिष्ठ मित्र के यहां शादी का फंक्शन था। इसलिए इस फंक्शन को अटेंड करना बहुत ही जरूरी था।

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मैं अपने एक पड़ोस के मित्र गौरव के साथ, रीवा जिले में चिराहुला कॉलोनी की ओर चल पड़ा। हम लोग शाम को लगभग 7:00 बजे अपने घर से निकले थे। सीधी से रीवा पहुंचने में 1 घंटे लगभग लगते हैं। इसलिए हमने सोचा 7:00 बजे अगर निकलेंगे तो 8:00 बजे तक पहुंच जाएंगे। लेकिन शायद भगवान को यह मंजूर नहीं था। जैसे ही हम 20 किलोमीटर अपने घर से आगे निकल आए, वैसे ही हमारी गाड़ी पंचर हो गई, और एक नहीं दोनों टायर पंचर हो गए।

अब आसपास दूर-दूर तक कोई भी पंचर बनाने वाली दुकान नहीं थी। तब वहां पर एक राहगीर ने बताया की यहां से 2 किलोमीटर आगे एक पंचर की दुकान है, वहां पर आपके गाड़ी का पंचर बन जाएगा। तो मैं और मेरा दोस्त गौरव गाड़ी को पैदल ढंगाते हुए, पंचर बनाने वाली दुकान करीब 8:30 बजे पहुंचे, पंचर बनाने में लगभग आधा घंटा लग गया, क्योंकि उस दुकान में साइकिल की पंचर बनाए जाते थे, और इमरजेंसी में वह मोटरसाइकिल के पंचर भी बनाता था। इसलिए उसके पास मोटरसाइकिल के पंचर बनाने के उपयुक्त साधन मौजूद नहीं थे। जिसकी वजह से पंचर बनाने में लगभग आधा घंटा लग गया।

लगभग 9:00 बजे रात हम लोग पंचर वाले की दुकान से रीवा की ओर प्रस्थान किए। रीवा पहुंचने के पहले 1 घाटी पड़ती है, इसे वहां के लोग मोहनिया घाटी के नाम से जानते हैं। मोहनिया घाटी में बहुत ही डरावने मोड़ हैं, यह एक प्रकार का घना जंगल है और यह घाटी एक छोटे से पहाड़ पर है। और उस घाटी से उतरते ही लगभग 5 किलोमीटर तक पथरीली बंजर भूमि है, यहां दूर-दूर तक कोई भी इंसान मौजूद नहीं है। इस घाटी में आए दिन कोई ना कोई अपराध होते रहते हैं, इस घाटी की कहानियां रीवा और सीधी दोनों में ही कुख्यात है। हम लोग जब मोहनिया घाटी पहुंचे तो 9:30 बज रहे थे, हम लोग डरे हुए थे, इसलिए हम लोग गाड़ी को काफी रफ्तार से भगा रहे थे, जब भी हमारे पीछे कोई गाड़ी आती थी तो हम डर जाते थे, कि कहीं इसमें लुटेरे ना हो।

मोहनिया घाटी उतरते ही जैसे ही हम लोग उस बंजर, पथरीली और सुनसान रास्ते से निकलने लगे, तभी दोबारा हमारी गाड़ी पंचर हो गई। अब हमारे होश उड़ चुके थे, हमें लगा की यह डकैतों की कोई साजिश थी, डकैतो ने ही सड़क में जानबूझ के किले फेंकी हुई होंगी, हमने कुछ दूर पंचर गाड़ी ही चलाई, लेकिन बाद में हमारी गाड़ी भी जवाब दे गई।

अब हमारे पास कोई भी रास्ता नहीं रह गया। वहां से जो भी गाड़ी निकलती उसे देखकर हमारा दिल जोरों से धड़कने लगता था। फिर भी हिम्मत करके हम उन गाड़ियों को हाथ देते और आवाज लगाते, लेकिन शायद वह भी डरे हुए थे, इसलिए वह गाड़ियां नहीं रोक रहे थे। अब हम लोग गाड़ी को वहीं पर छोड़ कर, पैदल ही रीवा की ओर चलने लगे, इस आशा में कि शायद कोई हमें मददगार मिल जाए, और इस मुश्किल घड़ी से हमें निकाल ले।

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अगर कभी आप इस जगह में आएंगे, तो आप देखकर जान जाएंगे क्या कितनी डरावनी जगह है, यहाँ पर हर तरफ की जगह पथरीली और बंजर है, सिर्फ कुछ कांटेदार पेड़ लगे हुए हैं, जोकि काफी दूर-दूर हैं। मैं और मेरा दोस्त डरे हुए, पैदल रीवा जिले की ओर जाने वाले रास्ते की ओर चल दिए।

कुछ समय बाद सीधी की तरफ से आने वाले वाहनो का गुजरना भी बंद हो गया, सड़क मे इक्का-दुक्का जो गाड़ियां रफ्तार से निकल रही थी, अब उनका निकलना भी बंद हो गया था। घुप्प सन्नाटा छा चुका था। हर तरफ झींगुर की आवाज आ रही थी, एक पत्ता भी अगर उड़ता था, उसकी खड़खड़ाहट की आवाज गूंज जाती थी, तभी अचानक मेरे दोस्त ने एक आहट देखी, यह आहट एक चट्टान से दूसरे चट्टान में कूद रही थी, और अजीब सी जहरीली हंसी की आवाज आ रही थी।

हम डर गए थे, एक बार तो लगा कि शायद लकड़बग्घा है, पर उसकी आकृति एक बड़े बंदर की तरह थी, जो अपने हाथ और पैरों का इस्तेमाल करके कूद रहा था, हम दौड़ लगा दिए, और जोर-जोर से चिल्ला कर भागने लगे। हम अपने सुध-बुध खो चुके थे। कभी गिरते कभी पड़ते, तो कभी धूल चाटते हुए भाग रहे थे।

तभी एक अजीब सा हाथ पता नहीं कहां से आया, और उसने मेरे दोस्त गौरव के पैरों को जकड़ लिया, गौरव तो छोटे से ही डरपोक था, उसकी हवा टाइट हो गई, बहुत चिल्लाया, यहां तक कि उसके पैंट भी गीले हो गए, मैं उसे वहीं छोड़कर अंधाधुंध भाग रहा था, गौरव की चिल्लाने की आवाज, पीछे छूटती जा रही थी, उसके चिल्लाने की आवाज के साथ दो-तीन लोगों की हंसने की आवाज भी आ रही थी, पर यह आवाज इंसानी नहीं, बल्कि आसुरी शक्तियों की लग रही थी। पसीने से मेरे पूरे कपड़े गीले हो चुके थे, अचानक ठंड के मौसम में, हल्की हल्की बूंदाबांदी होने लगी, मध्यम मध्यम हवा चल रही थी, क्योंकि मेरे कपड़े पसीने से भीग चुके थे, बारिश और हवा की वजह से अब मुझे ठंड भी लग रही थी। मेरे से अब दौड़ा नहीं जा रहा था।

मैं हार मान चुका था, अचानक किसी ने मेरे पैर को पकड़ा, और मुझे जोर से जमीन में पटक दिया। मेरी आंखें बंद हो रही थी, बंद होते होते मैंने उस अजीब से प्राणी को देखा, उसकी आंखें लाल थी, दांत बाहर निकले हुए थे, बड़े बड़े बाल थे, शरीर एकदम लाल चमक रहा था, उसके आंखों से खून उतर रहा था, वह अजीब सा खिसिर-खिसिर करके हंस रहा था।

मैं बेहोश हो गया, फिर क्या हुआ, मुझे नहीं पता, अगले दिन मेरी नींद खुली तो मैं एक, मिट्टी से बने एक झोपड़ी पर था, बगल में मेरे गौरव भी लेटा हुआ था, हम एक झटके से उठे, तो देखा, हमारे सामने एक बाबा बैठे थे, यह बाबा बद्रीनाथ शुक्ला जी थे। बाबा बद्रीनाथ मोहनिया घाटी में, दूर बने एक छोटी सी मंदिर के पुजारी हैं, वह हर रात मोहनिया घाटी में घूमते हैं, और भूत प्रेत के चक्कर में फंसे लोगों को उनके फँदो से आजाद कराते हैं।

bhoot baba अपने साथ एक छोटा सा कलश रखते हैं, जिसमें वह राक्षसी और शैतानी प्रवृत्ति वाले भूत प्रेतों को कैद कर लेते हैं। उन्होंने बताया की मैं और मेरा दोस्त गौरव एक ऐसे शैतान के चक्कर में फस गए थे, जो जिन का भी बाप था। अकबर के जमाने में, कई फकीर उसे काबू करना चाहते थे लेकिन कर नहीं पाए, तब फकीरों ने उस जिन से समझौता किया, और उसे दिल्ली से दूर यहां मोहनिया घाटी में भटकने के लिए मना लिया। तब से लेकर अब तक यह जिन लोगों को परेशान करता आ रहा था।

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बाबा ने आंगे कहा – मैं (bhoot baba badrinath) उसे पिछले 5 वर्षों से पकड़ने की कोशिश कर रहा हूँ, पर हर बार वो मुझे चकमा देकर गायब हो जाता था। आखिरकार कल मैंने ( बाबा बद्रीनाथ) उसे पकड़ लिया, अब मैं इसे जमीन में कई मीटर नीचे गाड़ दूंगा जिससे यह कभी भी आजाद नहीं हो पाएगा। यह बहुत ही खतरनाक राक्षस है।

यह सुनकर हमारे पैरों तले जमीन खिसक गई, और हमने मन ही मन भगवान को बहुत धन्यवाद दिया, की अच्छा हुआ कि उनकी दया से कल बाबा बद्रीनाथ ने सही समय में हमारी मदद की, अब कभी भी अगर हमें रीवा आना होता है, तो हम केवल दिन मे ही यात्रा करते हैं, और रात की यात्रा को टाल देते हैं।

——कहानी समाप्त——-


Bhoot ki Kahani से जुड़ी सच्ची घटना

उधमपुर आर्मी क्वार्टर और वो रोशनी (Bhoot ki kahani)

लोगो के द्वारा बताया जाता है कि जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में आर्मी क्वार्टर मे भूत और आत्माओं का निवास है। वहाँ लोकल मे इस जगह को भूतो के गढ़ के रूप मे जाना जाता हैं। वहाँ रहने वाले लोगो के द्वारा कई किस्से प्रसिद्ध हैं। कई लोगो ने बताया हैं की इस जगह पर भूत अपनी एक झलक दिखाकर गायब हो जाते हैं। यहाँ रहने वाले रहवासी बताते हैं की यहाँ अक्सर कोई भूत जैसी चीज या पारदर्शी जैसी मानवी आकृति कुछ सेकेंड के लिए दिखाई देती हैं और फिर आकाश मे गायब हो जाती हैं। लेकिन जब वें आसमान की ओर उड़ कर जाते हैं तो अजीब और डरावनी-सी आवाज वहाँ पर गूँजती है। आसपास के लोग इन आत्माओ के रात के एक बजे से 3 बजे के बीच देखने का दावा करते हैं।

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उधमपुर आर्मी क्वार्टर और वो रोशनी

कश्मीर का कुनन और पोशपारा दो शापित गांव (Bhoot ki kahani)

कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के कुनन और पोशपारा नाम के दो गांव हैं। इन गांवों की कहानी और भी अधिक डरावनी है। इन गांवों को दो महिलाओं की आत्मा ने प्रेतबाधित कर रखा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि 1991 की बात है यहां कई महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार की घटनाएं हुई। इनमें वो दो महिलाएं भी शामिल हैं जो अब इस क्षेत्र में प्रेत रूप में रहती हैं और भटकती हैं।

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कश्मीर का कुनन और पोशपारा दो शापित गांव

खूनी नाला पर काली साड़ी में महिला (Bhoot ki kahani)

जम्मू कश्मीर के बनिहाल सुरंग के पास से गुजरने से ठीक कुछ पहले ही जम्मू कश्मीर बेशनल हाइवे पर एक मोड़ आता है, यह मोड वहाँ के लोगो के बीच मे खूनी नाला के नाम से विख्यात हैं। लोगो के द्वारा इंटरनेट मे बताया जाता हैं की इस मोड मे कई सड़क दुर्घटनाओं होने की वजह से इसका नाम खूनी नाला पड़ गया हैं। यहाँ मौजूद मोड की वजह से यहां पर आए दिन दर्दनाक हादसे और एक्सीडेंट होते हैं। क्योंकि अब यहाँ पर ज्यादा हादसे होते हैं, इस लिए लोगो का मानना हैं की यह जगह प्रेत बाधित है। यहाँ तक की यहाँ पर रहने वाले कुछ लोग का यह विश्वास हैं की दुर्घटना से ठीक पहले एक काली साड़ी पहने हुये और हाथ में बच्चे को उठाए एक महिला सड़क किनारे खड़े दिखती हैं और लिफ्ट मांगती है। लोग उसे अनदेखा करते हैं जिसके बाद अंततः वहाँ पर सड़क दुर्घटना हो जाती हैं और अनदेखा करने वाले का हादसे मे मृत्यु हो जाती हैं।

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खूनी नाला पर काली साड़ी में महिला (Bhoot ki kahani)

भूत कहाँ रहते हैं?

आम तौर पर भूत वीरान या फिर खाली जगह पर रहते हैं, भूतो को सुनसान जगह बहुत पसंद हैं। इसलिए भूत हमेशा जंगल, पुराने घर, खंडहर किलो, विशाल पेड़ जो भीड़-भाड़ से दूर होते हैं। कई मंजिल बड़ी इमारतों के छट मे भी भूत रहते हैं, ऐसा बड़े बुजुर्ग लोगो का कहना हैं।

चुड़ैल कैसे बनती हैं?

पुराने लोगो का मानना हैं की अगर कन्या की शादी नहीं हुई होती और उसका किसी कारण बस मृत्यु हो जाती हैं तो वो देवी योनि को प्राप्त हो जाती हैं। अगर स्त्री दुष्ट हैं, लड़ाकू हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती हैं तो वह डंकानि या डायन बनती हैं, ऐसा पुराने लोग बताते हैं। जो स्त्री बदले की भावना रखती हैं, वह मृत्यु के बाद चुड़ैल बन सकती हैं, ऐसा पुराने लोगो ने बताया हैं।

भूत और चुड़ैल में क्या अंतर है?

जब पुरुष की मृत्यु होती हैं तो वह भूत बनाता हैं, भूत के पैसा सीधे होते हैं, परंतु उसके पर जमीन को नहीं छूते हैं, बल्कि हवा से कुछ ऊपर होते हैं। जबकि कोई नवयुवती, या औरत की मृत्यु होती हैं तो वह चुड़ैल बनती हैं। चुड़ैल के पैर उल्टे होते हैं, यह जानकारी पुराने समय के लोग अक्सर गर्मियों के मौसम मे शहर से आए अपने नाती पोतो को सुना कर बताते हैं।

चुड़ैल की पहचान कैसे करें?

चुड़ैल के पैर उल्टे होते हैं, इसके अलावा चुड़ैल किसी का भी रूप बदल सकती हैं। अगर रात को कोई अंजान दिखे तो सबसे पहले उसके पैर देखना चाहिए, अगर उसके पैर उल्टे हैं तो इसका मतलब हैं की वह कोई और नहीं बल्कि चुड़ैल हैं।

भूत के पांव कैसे होते हैं?

जैसा की ऊपर बताया गया हैं की भूत के पैर बिलकुल दिशे होते हैं, लेकिन वह जमीन को नहीं छूते, जमीन से कुछ इंच वह हवा मे होते हैं। अगर भूत के पैर जमीन मे छु गए तो वह नर्क की ओर खीच लिए जाएंगे। भूत अपने कार्यकाल को पूरा करके अगले जन्म का इतेजार करते हैं, इस लिए कुछ भूत शांति से अपने कार्यकाल को काटने के लिए एकांत जगह मे चुप-छाप छिप कर रहते हैं।

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