भूत की कहानी- वो सुनसान रास्ता

भूत की कहानी- वो सुनसान रास्ता

रामनरेश एक कंपनी में काम करते है और अपने ऑफीस समय पर आते और जाते है ऑफिस में जाने और आने का उन्हें एक शॉर्टकट पता है जो की बाद में मेन रोड पर जाता है वो हर रोज उसी रास्ते से जाते है रामनरेश जब अपने ऑफिस से घर आते है तो उनको हमेशा रात हो जाती है
अगर हम समस्य की बात करे तो लगभग रात के दस उन्हें बज ही जाते है जब भी रामनरेश घर वापिस आते है तो उसी रस्ते से घर आते है रामनरेश ये सब अपना समय बचने के लिए करते है जिससे उनका वक़्त भी बच जाए नहीं तो उन्हें घूमकर अपने घर पर आना पड़ता है इसलिए वो हमेशा इस शॉर्टकट का प्रयोग करते है
एक दिन की बात है जब रामनरेश घर आ रहे थे तो उन्हें ऐसा लगा की उनके पीछे कोई है पर जब उन्होंने ने मुड़कर देखा तो कोई नहीं था फिर वो चलने लगे पर जब भी चलते तो उन्हें फिर कुछ महसूस होता की कोई है पर पीछे जितनी बार मुड़ते उन्हें कोई नहीं दीखता है
अब रामनरेश थोड़ा घबरा रहे थे की पता नहीं कौन है कही कोई चोर तो नहीं, और उस चोर को में क्यों नहीं देख पा रहा हु खेर ऐसा सोचते हुए वो घर आ गए और अपनी पत्नी को यह बात बताई तो पत्नी ने कहा की मेने तुमसे कई बार कहा है की उस जगह से मत आया करो एक तो वहा से कोई आता नहीं है ऊपर से वो सुनसान इलाका है
रास्ता भी थोड़ा टुटा हुआ है ये रास्ता लगभग एक मील का था जिसको रामनरेश हमेशा छोटा समझता था बल्कि अगर राम नरेश घूमकर आये तो कम-से-कम दो मील का पड़ता है पत्नी के कई बार कहने पर भी वो कभी नहीं सुनते थे
सुबह की तरह फिर रामनरेश तैयार हुए और उसी रस्ते से जाने लगा अब सुबह का समय और फिर उन्हें ऐसा लगा की उनके पीछे कोई है पीछे मुड़े तो कोई नहीं था अब रामनरेश की कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था अब रामनरेश यही सोच रहे थे की इतना समय हो गया मुझे ऐसा कभी नहीं लगा
लेकिन कुछ दिनों से पता नहीं ये मेरा वहम है या सच में ऐसा कुछ है जो मुझे ही महसूस हो रहा है पहले तो कभी नहीं होता था अब पता नहीं की ऐसा क्यों हो रहा है किसी के चलने की आवाज आती है पर कोई दिखाई नहीं देता है शाम जब हो गयी तो फिर राम नरेश उसी रास्ते से वापिस आने लगे
इस बार उस रास्ते में बहुत ही बड़ी झाड़ी पड़ी थी राम नरेश ने देखा की ये पता नहीं कहा से आ गिरी इससे रस्ते में रुकावट आती है अब उसे हटाने का प्रयास कर रहे थे तभी अचानक उन्हें अपने पीछे किसी का एहसास हुआ जैसी वो मुड़े कोई नहीं था
झाड़ी को हटा कर रामनरेश फिर चलने लगे और अब कदमो की आवाज पहले तेज हो गयी अब ऐसा लगा की उनके पीछे सच में कोई आ खड़ा हुआ है, जैसे ही मुड़े फिर कोई नहीं था अब ये कोई वहम नहीं है, अब राम नरेश वहा से तेजी से चलने लगा और घर आकर ही सांस ली और सारी बात अपनी पत्नी को बताई
अब उनकी पत्नी को भी डर लगने लगा और उनकी पत्नी ने कहा की अब तुम वहा से कभी नहीं आओगे उसके बाद कभी भी रामनरेश वहा से नहीं आये अब इस बात को काफी साल बीत गए है और उस चीज का डर आज भी उन्हें है और वो यह भी नहीं जानते की वहा कौन है अगर आपको यह जानकरी अच्छी लगी है तो आगे भी शेयर करे