कृषि भारत की पारंपरिक और सर्वाधिक मुख्य व्यवसाय हैं जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह कार्य करता है। और यही बात मध्य प्रदेश पर भी लागू होती है। अर्थात कृषि मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आधार है जो प्रदेश के 7 करोड़ से अधिक लोगों की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करता है।
कृषि बड़ी मात्रा में रोजगार उपलब्ध कराती है और अनेक उद्योगों के अस्तित्व का आधार बनी हुई है। मध्यप्रदेश में उगाई जाने वाली फसलों की निर्भरता मानसून और क्षेत्र की जलवायु पर होती है। फसलों की इसी विविधता के कारण प्रदेश को सात कृषि क्षेत्रों में बांटा गया है जो कि निम्न प्रकार है –
ज्वार का क्षेत्र – मध्य प्रदेश के गुना, शिवपुरी, पश्चिम मुरैना और श्योपुर के क्षेत्र को ज्वार के क्षेत्र के रूप मे जाना जाता हैं।
गेहूं व ज्वार के क्षेत्र – इसका विस्तार लगभग पूरे बुंदेलखंड के पठार तथा मालवा के मध्य भाग पर है। इसके अतिरिक्त पश्चिमी मुरैना, ग्वालियर, भिंड, पूर्वी शिवपुरी, पूर्वी गुना, विदिशा, भोपाल, रायसेन, सागर, नरसिंहपुर, दमोह, टीकमगढ़, पन्ना, सतना और रीवा भी गेहूं व ज्वार के क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
कपास व गेहूं का क्षेत्र – यह क्षेत्र उज्जैन, मंदसौर, नीमच, शाजापुर, राजगढ़, देवास और सीहोर जिले के अंतर्गत आता है।
कपास का क्षेत्र – यह क्षेत्र मुख्य रूप से खरगोन, रतलाम, धार, बड़वानी और झाबुआ क्षेत्र में फैला हुआ है।
चावल व कपास का क्षेत्र – इसके अंतर्गत पूर्वी निमाण यानी वर्तमान का खंडवा शामिल है।
चावल, कपास व ज्वार का क्षेत्र – इस क्षेत्र के अंतर्गत बैतूल, छिंदवाड़ा और सिवनी जिले आते हैं।
चावल का क्षेत्र – इस क्षेत्र के अंतर्गत बघेलखंड का क्षेत्र आता है, जिनमें शहडोल, मंडला, बालाघाट, सिवनी, सीधी और जबलपुर क्षेत्र शामिल है।
इसके अलावा कृषि विभाग द्वारा मध्य प्रदेश को 5 कृषि प्रदेशों में विभाजित किया गया है जो कि निम्न प्रकार से है –
पश्चिम में काली मिट्टी का मालवा प्रदेश : इस क्षेत्र में मंदसौर, नीमच, रतलाम, झाबुआ, धार, बड़वानी, देवास, उज्जैन, राजगढ़, शाजापुर, इंदौर, खंडवा, खरगोन आदि क्षेत्र आते हैं।
उत्तर में ज्वार गेहूं का प्रदेश : मुरैना, श्योपुर, भिंड, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना, छतरपुर और टीकमगढ़ जिले इस क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। एक अन्य क्षेत्र छिंदवाड़ा तथा बैतूल भी है।
मध्य गेहूं का प्रदेश : इसमें भोपाल, सीहोर, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, रायसेन, विदिशा, सागर तथा दमोह के जिले शामिल हैं।
चावल गेहूं का प्रदेश : इसमें उत्तर में पन्ना, सतना, जबलपुर तथा सिवनी में दक्षिण तक एक पेटी के रूप में है।
संपूर्ण पूर्वी चावल का प्रदेश : इसमें रीवा, सीधी, शहडोल, अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला, बालाघाट जिले शामिल है।
निष्कर्षत: कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश में भौगोलिक जलवायु विविधता के चलते प्रदेश को किसी एक कृषि क्षेत्र के तहत नहीं रखा जा सकता, वरन फसलों की प्रकृति के अनुसार उपयुक्त कृषि जलवायु क्षेत्र में ही उगाई जाती हैं और यही कारण है कि विभिन्न फसलें प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में उगाई जाती हैं। विभाजन के बाद प्रदेश का चावल क्षेत्र छत्तीसगढ़ में चले जाने से कृषि फसलों के क्षेत्र की संख्या कम हुई है