गीतांजली की कहानी : भाजीवाली का पछतावा

गीतांजली की कहानी : भाजीवाली का पछतावा

रीवा के पास एक बस्ती थी, यहाँ कुल सौ लोग का परिवार घर बना कर रहता था। उस बस्ती के पास एक गाँव था, जहां से एक भाजी वाली, चने की भाजी ला कर बेचा करती थी। बस्ती के सभी लोग उस भाजी वाले से चने की भाजी खरीदा करते थे।

भाजीवाली का बस्ती के सभी लोगो से परिचय था। वह सब से मीठी वाणी मे बात करती थी, और कीमत से ज्यादा भाजी दे जाया करती थी।

इसलिए बस्ती के सभी लोग भाजी वाली को बहुत मानते थे। और अगर वो भाजी लेकर बस्ती आती तो कोई भी लेने से मना नहीं करता था, और उसकी सारी भाजी बिक जाया करती थी।

चने की भाजी सिर्फ सर्दी के मौसम मे ही मिलती हैं, पूरे साल मे सिर्फ 2 से ढाई महीने ही इसका मौसम होता हैं। भाजीवाली पिछले 5 वर्षो से इस बस्ती मे भाजी बेचती आ रही थी। पर इस वर्ष उसका रुतवा ही बदला हुआ था।

इस वर्ष की पहली भाजी लेकर जब वह बस्ती मे आई तो, उसे देख कर बस्ती के लोगो  मे खुशी की लहर दौड़ पड़ी, सबको लगा चलो इस ठंड की पहली भाजी आ गई। लेकिन यह खुशी रात तक मे गायब हो गई। पहला तो भाजीवाली ने इस बार रूपय के अनुसार भाजी कम दी, दूसरा जब रात को बस्ती के लोगो ने अपने घर मे भाजी बनाई तो उसमे वह स्वाद नहीं था। जो पहले रहा करता था। फिर भी लोगो ने इस बात को नजरंदाज कर दिया और अगले दिन फिर भाजी खरीदी। इस बार भी लोगो को भाजी वाली से कीमत और भाजी की तादाद को लेकर बहुत ही मोल-भाव करना पड़ा।

See also  गीतांजली की कहानी - सौतेली माँ और उसकी चाल

रात मे जब सबने भाजी बनाई तो उसका स्वाद फिर से बेकार था। बस्ती मे सुबह सभी औरते पानी भरने के लिए जमा होती थी। वहाँ पर सभी भाजीवाली के रवैये और उसकी भाजी के स्वाद के बारे मे बात करने लगी। तभी एक बूढ़ी काकी ने बताया की भाजी ताजी नहीं रहती बल्कि एक दो दिन पुरानी रहती हैं।

सभी ने बूढ़ी काकी की बात मान ली, काकी एक अनुभवी ग्रहणी थी। उनके युवा अवस्था मे वह पूरे बस्ती मे एक मात्र महिला थी, जिनके हाथ के बने खाने का लोग गुणगान करते रहते थे।

लोग ने फिर भी मन मार कर दो चार दिन भाजी और खरीदी। पर हर बार भाजी उन्हे बासी और महंगी ही मिली।

महिलाए अक्सर दोपहर का खाना बनाने के बाद मंदिर के प्रांगण मे धूप सेकने के लिए जमा होती थी, यहाँ धूप सेकने के अलावा, बस्ती की सारी बातो की खबर लग जाया करती थी। यहाँ पर सभी महिलाओ ने फिर भाजी वाली के बर्ताव और उसके भाजी के स्वाद के मुद्दे को उठाया और निर्णय लिया की अब कोई भी भाजीवाली से भाजी नहीं खरीदेगा।

अब भाजी वाली का कोई भी भाजी नहीं ले रहा था, सब गेट से ही भाजीवाली को माना कर देते। और कोई न कोई बहाना बना कर भाजी लेना टाल देते, दस दिन से किसी ने भाजी वाली से भाजी नहीं ली। भाजी वाली को समझ मे आ गया की लोगो ने उसकी भाजी क्यो लेना बंद कर दिया हैं।

अगले दिन उसने सभी से माफी मांगी और ताजी भाजी देने के लिए कहाँ पर किसी ने उससे भाजी नहीं ली, एक बार विश्वास टूट जाता हैं तो उसके विश्वास को फिर से बनने मे समय लगता हैं।

See also  हिन्दी कहानी - तीन जादुई बहने | Hindi Story - Three magical sisters

भाजी वाली को अपनी गलती का एहसास हो गया, और उसने  कसम खाई की अब वह कभी भी लालच नहीं करेगी।