पितृ पक्ष में पूजा करना चाहिए या नहीं
पितृ पक्ष में पूजा करना चाहिए या नहीं, यह एक ऐसा सवाल है जिसे पितृ पक्ष आते है ज़्यादातर लोग इंटरनेट में काफी खोजते हैं। पितृ पक्ष को पितरों को श्रद्धांजलि देने और उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा करने का समय माना जाता है। इस दौरान पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध आदि कर्म किए जाते हैं। इन कर्मों के माध्यम से पितरों को खुश किया जाता है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
बहुत से जंकारों का मत हैं की पितृ पक्ष में पूजा करना उचित माना जाता है। अगर कोई व्यक्ति अपने घर में भगवान रखा हुआ हैं या फिर घर मे मंदिर हैं तो वह व्यक्ति या फिर उस घर का कोई भी सदस्य भगवान की पूजा कर सकता हैं। पितृपक्ष मे भगवान की पूजा न करने से संबन्धित किसी भी प्रकार का कोई निषेध नहीं बताया गया हैं। लेकिन अगर किसी व्यक्ति को शंका हो रही हैं तो वह घर के किसी दूसरे सदस्य से भगवान की पूजा करने को कह सकता हैं।
पितृ पक्ष में वर्जित कार्य
पितृ पक्ष में कई कार्य वर्जित माने जाते हैं। ऐसा माना जाता हैं की इन कार्यों को करने से पितरों का अपमान होता है और उनकी आत्मा की शांति में बाधा आती है। पितृ पक्ष में वर्जित कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- शराब, मांस, अंडे, लहसुन, प्याज, पान, चावल, खीरा, करेला, सरसों का साग, अरबी, चुकंदर, शलजम, गाजर, मूली, सूरन और जमीन के नीचे उगने वाली सब्जियों का सेवन करना। पितृ पक्ष में इन सभी चीजों को तामसिक माना गया है और इनका सेवन करने से पितरों को दुख पहुंचता हैं, इसलिए जो लोग पितृपक्ष मे अपने पितरो की पूजा आदि करते हैं उन्हे ऊपर बताई गई चीजों से दूरी बना लेनी चाहिए।
- बाल और दाढ़ी कटवाना– धर्म ज्ञानियों के मतानुसार ऐसा बताया जाता हैं की पितृपक्ष के समय बाल दाढ़ी नहीं बनवाना चाहिए। पितृपक्ष के समय बाल या दाढ़ी बनवाने से पितृ को कष्ट पहुंचता हैं।
- नए कपड़े पहनना- पितृ पक्ष मे भूलकर भी नए कपड़े नहीं खरीदने चाहिए और न ही पहले से खरीदे हुये नए कपड़ो को पितृ पक्ष के दौरान पहनना चाहिए। पितृ पक्ष अपने पूर्वजो को याद करने के लिए, उनका तड़पन करने के लिए एक तय समय होता हैं, इस दौरान पितृ आपने अपने धाम से अपने परिवार वालों से मिलने आते हैं। लेकिन यह पितृ अगर भटक रहे होते हैं तो वो दुखी रहते हैं, इस दुनिया मे फंसे हुये होते है और तड़प रहे होते हैं। इसलिए इस दौरान नए कपड़ो को पहने और खरीदने से बचना चाहिए।
- अश्लील भाषा का प्रयोग करना- जैसा की ऊपर बताया जा चुका हैं की पितृ पक्ष मे सभी के पूर्वज को अभी भी धरती मे ही हैं और भटक रहे हैं, या फिर जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो गए हैं वो भी अपने वंश मे वापस आते हैं। इसलिए पितृपक्ष के समय बोलचाल की भाषा को संयमित रखना चाहिए, जिससे की पितृ देव नाराज न हो, उन्हे किसी भी बात की पीड़ा न हो।
- झूठ बोलना- पितृ पक्ष में झूठ बोलने से पितरों को दुख और कष्ट होता हैं, दूसरे पितृ देवो के सामने उन्हे आपके कारण लज्जित होना पड़ सकता हैं। इसलिए पितृपक्ष मे झूठ बोलने से बचे।
- क्रोधित होना- पितृ पक्ष में क्रोधित होने से पितरों को भी क्रोध आता है। जो व्यक्ति पितृ पक्ष के समय क्रोध करता हैं उस पर पितृ दोष का पाप चढ़ता हैं।
पितृ पक्ष में जल कैसे दिया जाता है
पितृ पक्ष में जल देना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह माना जाता है कि पितृ पक्ष मे पूर्वजो को जल देने से पितरों को तृप्ति मिलती है और उनकी आत्मा की शांति मिलती है। पितृ पक्ष में जल देने की विधि निम्नलिखित है:
सामग्री निम्न प्रकार से है-
-
- जल
- कुश
- काले तिल
- जौ
- अक्षत
- फल
- फूल
- मिठाई (क्षमता अनुसार)
जल देने की विधि:
- सबसे पहले, एक पात्र में जल भरें।
- फिर, कुश को हाथ में लें और जल में डुबोएं।
- अब, जल को दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेढ मे जल को अर्पित करें।
- इसके बाद, जल में पड़े हुये काले तिल, जौ, अक्षत, फल और फूल को पीपल के पेड़ मे चढ़ाये।
- फिर, पितरों को भोग लगाएं और उनका ध्यान करते हुये उनसे अपने द्वारा किए गए भूलो की माफी मांगे।
पितृ पक्ष में क्या नहीं खाना चाहिए
पितृ पक्ष में कुछ चीजों का सेवन वर्जित माना जाता है। इन चीजों को तामसिक माना जाता है और इनका सेवन करने से पितरों को प्रसन्न नहीं किया जा सकता है। पितृ पक्ष में वर्जित भोजन में निम्नलिखित शामिल हैं:
शराब, मांस, अंडे, लहसुन, प्याज, पान, चावल, खीरा, करेला, सरसों का साग, अरबी, चुकंदर, शलजम, गाजर, मूली, सूरन और जमीन के नीचे उगने वाली सब्जियां।
पितृ पक्ष में इन भोजनों का सेवन करने से पितरों को कष्ट होता है और उनकी आत्मा की शांति में बाधा आती है। इसलिए, पितृ पक्ष में इन भोजनों से बचना चाहिए।
पितृ पक्ष में क्या खाना चाहिए?
पितृ पक्ष में सात्विक भोजन करना चाहिए। सात्विक भोजन से पितरों को प्रसन्नता होती है और उनकी आत्मा की शांति होती है। पितृ पक्ष में खाए जाने वाले कुछ सात्विक भोजनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
फल, सब्जियां, दालें, अनाज, दूध, दही, घी, शक्कर, आदि।
पितृ पक्ष में इन भोजनों का सेवन करने से पितरों को तृप्ति होती है और उनकी आत्मा की शांति होती है।
पितृ पक्ष में बाल कटवाना चाहिए या नहीं
पितृ पक्ष में बाल कटवाने के बारे में कुछ लोगों का मानना है कि पितृ पक्ष में बाल कटवाने से पितरों को कष्ट होता है। वे मानते हैं कि बाल और दाढ़ी पितरों के लिए एक प्रकार का श्रृंगार है और इनके कटने से पितरों को अपमान होता है। यदि आप पितृ पक्ष में बाल कटवाने से बचना चाहते हैं, तो आप पितृ पक्ष से पहले ही बाल कटवा सकते हैं। पितृ पक्ष की शुरुआत से पहले आने वाली पूर्णिमा के दिन बाल कटवाना सबसे अच्छा माना जाता है।
पितृ पक्ष में जन्मे बच्चे का भविष्य
पितृ पक्ष में जन्मे बच्चे के भविष्य के बारे में कुछ लोगों का मानना है कि पितृ पक्ष में जन्मे बच्चे का भविष्य उज्ज्वल होता है। वे मानते हैं कि पितरों की कृपा से ऐसे बच्चे भाग्यशाली और सफल होते हैं।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, पितृ पक्ष में जन्मे बच्चे की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर होती है। चंद्रमा मन का कारक है, इसलिए चंद्रमा की कमजोर स्थिति से बच्चे के मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, ज्योतिषीय उपायों से चंद्रमा की स्थिति को मजबूत किया जा सकता है।
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