हिन्दी कहानी – चार दोस्त

हिन्दी कहानी – चार दोस्त

बहुत समय पुरानी बात है, एक घने जंगल में एक कछुआ, चूहा और कौवा रहते थे। यह तीनों आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे तथा एक दूसरे की सभी परेशानियों में एक दूसरे का साथ भी जरूर देते थे।
एक दिन की बात है जब वह तीनों जंगल में एक तालाब के पास बैठ कर आपस में बात कर रहे थे तो उन तीनों ने एक बहुत ही सुंदर हिरण को अपनी तरफ आते देखा, वह तीनों आपस में बात कर रहे थे कि इस हिरण को तो हमने इस जंगल में पहले कभी नहीं देखा है जरूर ही यह हिरण इस जंगल में नया है।
तभी वह हिरण उन तीनों के पास आता है और उनसे बात करने की कोशिश करता है, वह तीनों भी उसे कहते हैं ‘हमने पहले कभी इस जंगल में तुम्हें नहीं देखा’, इस पर वह हिरन उनसे कहता है ‘हां मैं इस जंगल में नया हूं, जिस जंगल में मैं पहले रहता था वहां मेरा कोई दोस्त नहीं था। मैंने वहां दोस्त बनाने की बहुत कोशिश की पर वहा कोई भी मेरा दोस्त बनने के लिए तैयार नहीं हुआ इसलिए मैंने वह जंगल छोड़ दिया और मैं यहां दूसरे जंगल में आ गया’।
हिरन की यह बात सुनकर वह तीनों दोस्त उससे कहते हैं ‘अच्छा तो तुम्हें दोस्त की जरूरत है’, वह तीनों दोस्त कछुआ, कौवा और चूहा आपस में एक दूसरे को देखने लगते हैं और मुस्कुराने लगते हैं। वह सोचने लगते हैं कि क्यों ना हम ही हिरन को अपना दोस्त बना ले।
फिर तीनों ने आपस में सलाह करके उस हिरन से कहा ‘चलो आज से हम तीन नहीं चार दोस्त हैं’, उनकी यह बात सुनकर बहुत खुश हुआ और इस तरह से वह हिरन भी उनकी दोस्त मंडली में शामिल हो गया जिससे अब यह तीन नहीं बल्कि चार दोस्त हो गए।
उन चारों ने जंगल में एक निश्चित जगह निर्धारित की जहाँ पर वे चारों रोज़ सुबह मिलते थे और फिर उसके बाद अपने अपने भोजन की तलाश में चारों दिशाओं में चले जाते थे, कुछ दिनों तक यही सिलसिला जारी जारी रहा वह चारों खुशी खुशी रोज सुबह आपस में मिला करते थे और फिर अलग-अलग दिशा में अपने भोजन की तलाश में चले जाया करते थे।
एक दिन सुबह सुबह चूहा, कौवा और कछुआ मिलने के लिए आ गए पर उस दिन हिरण कहीं नजर नहीं आ रहा था जिसके कारण यह तीनों हिरण के लिए बहुत चिंता में पड़ जाते हैं, तीनों आपस में सोचने लगते हैं कि आज न जाने क्या हो गया जो हिरण हमसे मिलने नहीं आया पता नहीं वह बेचारा किस मुसीबत में है।
वे तीनों सोचने लगते हैं कि हमें मिलकर उसे ढूंढना चाहिए और फिर आपस में विचार कर फ़ैसला करते है कि हां हमें अलग-अलग दिशा में हिरण को ढूंढने जाना चाहिए, तभी कौवा अपने दोस्तों से बोलता है ‘उसे ढूंढने तुम नहीं मैं जाऊंगा क्योंकि मेरे पास पंख हैं जिससे मैं उड़कर आसानी से ऊपर से देख सकता हूं कि जंगल में वह कहां फस गया है’।
कौवे की इस सलाह पर वह दोनों भी सहमत हो जाते हैं और कौवा उस हिरण की खोज में निकल जाता है, जब कौवा हिरण को खोजते हुए जंगल में उड़ रहा होता है तो वह कुछ दूर पर जंगल में देखता है हिरण को किसी शिकारी ने पकड़ कर जाल में बंद करके रखा है।
अपने दोस्त की यह हालत देखकर कौवा तुरंत ही हिरण के पास पहुच जाता है और उससे बात करने के लिए बैठ जाता है, कौवे को अपने पास देखकर हिरण की आखों में उम्मीद की चमक आ जाती है और वह उससे कहता है ‘दोस्त मेरी जान बचाओ, मेरी मदद करो’।
कौवा हिरण से कहता है ‘चिंता मत करो दोस्त, मैं कुछ सोचता हूं, मैं तुम्हारी मदद जरूर करूंगा’ और फिर वह उड़कर अपने मित्रों चूहे व कछुए के पास आता है और सारी कहानी उनको बताता है, वे सब यह सुनकर हैरान हो जाते हैं और उससे कहते हैं ‘क्या कह रहे हो, अपने दोस्त हिरण को शिकारी ने पकड़ लिया है। यह तो बहुत बुरा हुआ अब हमें जल्द ही हिरन की मदद करने के लिए निकलना चाहिए’।
जल्दी ही वह तीनों वहां पहुंच जाते हैं जहां शिकारी ने हिरण को जाल में पकड़ के रखा हुआ था, चूहा जल्दी से जाकर जाल को काट देता है और हिरण को आजाद कर देता है। इतने में ही वह शिकारी वहाँ आ पहुचता है और हिरण को आजाद देखकर वह उसे पकड़ने के लिए हिरण की ओर भागता है, शिकारी को अपनी ओर आते देख सब जल्दी से भागने लगते हैं।
चूहा एक बिल में घुस जाता है, हिरण भी तेज़ी से दौड़ लगाकर दूर झाड़ी में छुप जाता है और कौवा आसमान में उड़ जाता है पर बेचारा कछुआ जल्दी-जल्दी नहीं चल सकता इसलिए शिकारी उसे पकड़ के ले जाता है।
यह देखकर बाकी तीनों दोस्त फिर से दुखी हो जाते हैं, हिरन तो बहुत ही दुखी हो जाता है वह कहता है ‘मेरी वजह से बेचारे कछुए को शिकारी पकड़ कर ले गया, मेरे पास एक और सुझाव है जिससे हम सब मिलकर दोस्त कछुए को भी शिकारी के चंगुल से छुड़ा सकते हैं’। इस पर वह तीनों विचार करके अपने अपने काम में लग जाते हैं।
उनकी बनायी हुई योजना के अनुसार हिरण तालाब के किनारे लेट जाता है और यह दिखाता है जैसे वह मर गया हो और कौवा उसके ऊपर आकर बैठ जाता है जिससे शिकारी को लगे कि हिरण सचमुच मरा हुआ पड़ा है।
तभी वह शिकारी भी वहां पहुच जाता है और दूर पड़े हिरन को देखकर बिलकुल वैसा ही सोचता है कि तालाब के किनारे जरूर किसी जानवर ने हिरण को मार कर छोड़ दिया है, वह यह देख कर खुश हो जाता है और जल्दी-जल्दी तलाब के पास हिरण को लेने के लिए आता है। वह बोरा जिसमें उसने कछुए को बंद कर रखा था उसे वह वहीं पर एक पेड़ के पास छोड़ जाता है।
चूहा यह सब दूर से देख रहा था और बस इसी मौके की तलाश में था, वह जल्दी से आकर कछुए वाली बोरी को काट देता है और कछुए को आजाद कर देता है। फिर दोनों दोस्त चूहा और कछुआ झाड़ी में जाकर छुप जाते हैं, उधर तलाब के पास शिकारी को पास आता देख कौवा भी उड़ जाता है और हिरण जल्दी से खड़ा होकर भाग उठता है।
अपने सामने यह यह सब होता हुआ देखकर शिकारी आश्चर्य में पड़ जाता है और निराश होकर वापस कछुए वाले बोरे के पास उस बोरे को उठाता है तो देखता है वह बुरा तो नीचे से कटा हुआ पड़ा है और उसमें कछुआ नहीं है। कछुआ वहां से भाग चुका है यह सब देख शिकारी बहुत परेशान होता है और इसे अपना एक सबसे बुरा दिन समझकर खुद को कोसता हुआ वहां से चला जाता है।
वहीँ दूसरी और वह चारों दोस्त फिर से इकट्ठे हो जाते हैं और आपस में खुशी मनाते हैं, वह सभी आपस में एक दूसरे की सूझबूझ की बहुत प्रशंसा करते है व अपनी दोस्ती पर गर्व से भर उठते हैं।
चार दोस्तों की इस मज़ेदार कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपने दोस्तों के साथ मित्रता कायम रखनी चाहिए व हर मुसीबत में उनका साथ निभाना चाहिए क्योंकि एकता में बहुत बल होता है जिससे हम किसी भी बुरे वक्त का सामना बड़ी ही सरलता से कर सकते हैं।