हिन्दी कहानी- लालची सब्जीवाला (Hindi Story of Lalchi Sabjiwala)

हिन्दी कहानी- लालची सब्जीवाला (Hindi Story of Lalchi Sabjiwala written by Ajeet Mishra)

एक बार की बात है, एक लालची सब्जी वाला सब्जी बेचने के लालच में गोविंद नगर में अपनी दुकान खोल लिया। उस सब्जी वाले का नाम भोला था। स्वभाव से वह बहुत लालची था, लालच के चक्कर में वह अपना ईमान, विचारधारा और अपने देश को भी बेच सकता था।

गोविंद नगर में और भी बहुत सारे सब्जी वाले थे, क्योंकि वह सब्जी वाले बहुत पुराने थे इसीलिए गोविंद नगर के ज्यादातर नगर वासी पुराने सब्जी वालों से ही सब्जी खरीदते थे। इसलिए भोला की बिक्री ज्यादा नहीं हो पाती थी। इसलिए वह धीरे-धीरे षड्यंत्र करने के बारे में सोचने लगा कि कुछ ऐसा किया जाए कि यहां से पुराने सब्जी वालों का पत्ता कट जाए और लोग सिर्फ मेरे से ही सब्जी खरीदें।

लालची लोग हमेशा स्वार्थी होते हैं और किसी के सगे नहीं होते, इनकी विचारधारा समय के साथ बदलती रहती हैं क्योंकि इनकी मुख्य विचारधारा लालच और स्वास्थ्य से परिपूर्ण होती है और यह गंदी सोच वाले होते हैं।

अब भोला लगातार षड्यंत्र करने लगा कि कैसे वह पुराने सब्जी वालों को वहां से हटाए।

एक दिन वह अपने ही तरह भ्रष्ट लोगों के साथ, बैठकर रात को दारु पी रहा था, तभी उसके एक दोस्त ने भोला से कहा कि तुम बाजार से केमिकल लेकर दूसरे सब्जी वालों की सब्जी में छिड़क दो, जब नगरवासी उनकी सब्जी खरीद कर खाएंगे तो सब की तबीयत खराब हो जाएगी और उसके बाद सभी नगरवासी तुम्हारे यहां से सब्जी खरीदेंगे।

भोला को यह आइडिया बहुत पसंद आया, उसने अपने भैया के किराने की दुकान से कुछ केमिकल खरीद कर सब्जी मंडी में रखें पानी की टंकी में घोल दिया।

सब्जी मंडी में रखी उस टंकी के पानी का इस्तेमाल सब्जी वाले सब्जी सीचने के लिए करते थे।

शाम होते ही जब सब्जी मंडी मे सब्जी की दुकानें लगने लगी तो सभी सब्जी वाले टंकी के पानी से अपनी अपनी सब्जी को सींच दिए, मंडी में भीड़ बढ़ने लगी, लोग सब्जी लेने आने लगे रोज की तरह ही नगरवासी पुराने सब्जी वालों से ही सब्जी खरीद कर चले गए।

रात को जैसे ही नगर वासियों ने सब्जी बना कर खाना खाया। सभी के पेट में दर्द होने लगा बहुतो-को उल्टी दस्त चालू हो गया। अगले दिन भोला सब्जी वाले ने सबके कान भरने चालू कर दिए की दूसरे सब्जी वाले केमिकल युक्त सब्जी बेचते हैं और इसीलिए आप लोगों का यह बुरा हाल कल रात को हुआ है। आप लोग मेरे हां से सब्जी खरीदें, मैं साफ-सुथरी सब्जियां ही भेजता हूं।

See also  Best Hindi Story of अकलमंद दादी और कटहल का आचार (2022)

नगर वाले उसकी बात मान कर, अगले दिन से भोला सब्जी वाले की दुकान से ही नगरवासियों ने सब्जी लेना चालू कर दिया। सब्जी बेचने वाले पुराने दुकानदारों की सब्जियां नहीं बिकी और ना ही उनके यहां कोई ग्राहक सब्जी लेने आया।

महीने बीत गए और ऐसा ही चलता रहा, नगर के सभी लोग भोला सब्जी वाले के यहां से ही सब्जी खरीदने लगे। धीरे धीरे भोला अपने रंग दिखाने लगा और मंडी से सस्ती सब्जियां जोकि काफी पुरानी हुआ करती थी। उन्हें लाया करता और नगर के मंडी में उसे महंगे दामों में बेचा करता।

बाकी के पुराने सब्जी वाले अपने सब्जी के व्यापार को कहीं और ले जाकर प्रारंभ कर दिया, तो कुछ लोगों ने सब्जी बेचना बंद करके फुलकी के ठेले खोलिए। इसलिए अब सब्जी बेचने के लिए भोला की एकमात्र सब्जी की दुकान ही थी।

धीरे-धीरे लोगों को समझ में आने लगा कि भोला बहुत महंगी सब्जी बेचता है और सब्जी भी ताजी नहीं रहती है, पर नगरवासी अब क्या करें, अब नगर में सिर्फ एक ही सब्जी की दुकान थी, इसलिए मजबूरी में भोला से ही सब्जी लेना पड़ता था। कुछ लोग काम के लिए दूसरी जगह जाया करते थे तो वह अपने खाने के लिए सब्जी दूसरी जगह से ले आया करते थे। लेकिन बाकी सब लोग ऐसा नहीं कर पाते थे।

एक दिन नगर के व्यापारियों का एक मिलन सम्मेलन था, इस मिलन सम्मेलन में नगर के कुछ विक्रेता जमा हुए थे। इस आयोजन में खाने पीने की व्यवस्था थी और मनोरंजन के लिए नाच गाने की व्यवस्था की गई थी। भोला भी इस आयोजन में आया हुआ था। भोला को शराब पीने का बहुत शौक था, वह आयोजन में देर रात तक रुका और देर रात होते ही सभी व्यापारी एक जगह बैठ कर मादक पदार्थों का सेवन करने लगे। भोला भी वहां पर बैठकर इन मादक पदार्थों का सेवन करने लगा और धीरे-धीरे उसे नशा चढ़ने लगा।

जैसे ही वह नशे से वशीभूत हो गया, उसने बड़े घमंड के साथ कहा कि मेरे को देखो व्यापार कैसे करते हैं, यह मेरे से सीखना चाहिए, कैसे मैंने एक झटके से कई सालों से सब्जी बेचने वाले व्यापारियों का धंधा चौपट कर दिया और अभी नजर में मैं एकलौता सब्जी वाला हूं, जो सब्जी का व्यापार करता हूं। नगर का हर व्यक्ति मेरे से ही सब्जी खरीदता है।

See also  Hindi Kahaniya - आधी को छोड़ पूरी की धावे | Hindi Story - Aadhi ko Chhod Puri ko Dhaave

वहां पर एक पिंटू फुलकी वाला भी था, जो पहले सब्जी बेचा करता था। सब्जी बेचकर उसे पहले बहुत मुनाफा होता था क्योंकि भोला के पहले ज्यादातर नगरवासी पिंटू के यहां से ही सब्जी लिया करते थे। पिंटू एक ईमानदार सब्जी वाला था और वह ताजी सब्जी लाकर बहुत कम दाम में सब्जी बेचा करता था। जैसे ही उसने भोला के बड़बोले पन को सुना उसने अपने जेब से मोबाइल निकाल लिया और उसकी रिकॉर्डिंग करने लगा। रिकॉर्डिंग करते हुए उसने भोला से पूछा कि क्यों भोला तुमने कैसे दूसरे सब्जी वालों का धंधा चौपट किया? यह तो बताओ?

नशे में चूर भोला ने कहा कि मैंने अपने एक दोस्त की मदद से अपने भाई के किराना की दुकान से कुछ केमिकल लेकर आया और उसे पानी की टंकी में मिला दिया। उस पानी से सभी सब्जी वालों ने अपनी सब्जी को सींचा था और जब लोगों ने उन सब्जी को खरीद कर खाया तो उनकी तबीयत खराब हो गई।

मैंने शहर में अफवाह फैला दी की सभी सब्जी वाले केमिकल से उगाई गई सब्जियों को बेचते हैं जबकि मैं शुद्ध और बिना केमिकल युक्त सब्जियों को बेचता हूं। इसके बाद लोगों ने दूसरे सब्जी वालों से सब्जी लेना बंद कर दिया और मेरा धंधा दिन दुगनी रात चांदनी की रफ्तार से चलने लगा। इधर जब सब्जी वालों की दुकानें नहीं चल रही थी तो कुछ सब्जी वाले दूसरे नगर में जाकर रहने लगे तो कुछ दूसरे धंधा करने लगे।

पिंटू ने यह सब बात रिकॉर्ड कर ली और अगली सुबह सभी पुराने सब्जी वालों को इकट्ठा किया और उन्हें यह वीडियो दिखाया। सभी सब्जी वाले नाराज हो गए और पुलिस वालों को बुलाकर उनसे शिकायत कर दी पुलिस वालों ने वीडियो देखकर भोला के खिलाफ षड्यंत्र और धोखाधड़ी का केस लगा कर उसे जेल में डाल दिया।

जब नगर वासियों को पता चला कि भोला को पुलिस ने पकड़ लिया है और उसने षड्यंत्र करके दूसरे सब्जी वालों को यहां से भगा दिया था। तब सभी नगर वासियों को बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई और उन्होंने पुराने सब्जी वालों से माफी मांगी।

See also  अपमान का बदला भाग- 1 (शीलेन्द्र मिश्रा, MCA)

भोला को भी अपनी गलती का एहसास हो गया पर अब बहुत देर हो चुकी थी। अब उसका जीवन जेल में ही बिताना था।

अब सभी पुराने सब्जी वाले वापिस नगर में आकर सब्जी बेचने लगे और पिंटू भी फुलकी के ठेले के साथ-साथ सब्जी की दुकान को भी चलाने लगा और पहले से ज्यादा मुनाफा कमाने लगा।

Moral of Story –  लालच पर आकर कभी भी कोई गलत काम नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका परिणाम दुखदाई होता है, और जब तक हम अपनी आंखों से किसी चीज को होते हुए ना देख ले, तब तक हमें किसी के बहकावे में आकर किसी भी बात को नहीं मान लेना चाहिए।

One comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *