डरावनी कहानी  – काल डायन

डरावनी कहानी – काल डायन

बहुत पुरानी बात है तब पानी के ज्यादा शाधन नहीं हुआ करते लोग कुए बाबड़ी तालाब आदि से पानी पिया करते थे! तो यह कहानी भी एक तालाब की है! जो कि उस काली डायन के जादू से अमृत से ज़हर बन गया था! यह डायन कैसे बनी कैसे इस तालाब का पानी विष बन गया मैं यह कहानी आपको बताता हूँ!एक गाँव मैं एक औरत के कोई बच्चा नहीं था! वह औरत गांव के मुखिया की पत्नी थी उसके शादी को काफी समय हो गया था! सब लोग उसे बाँझ कहा करते थे!सारे गाँव वाले उसका मुंह भी नहीं देखना कहते थे कहते थे कि इसका मुंह देख लिया तो पूरा दिन बेकार चला जायेगा पर मुखिया कि पत्नी थी इसलिए लोग थोड़ी बहुत बात चीत कर लिया करते थे!एक दिन गांव मैं एक फकीरा बाबा भिक्षा मांगते हुए आ पहुँचता है तो वह बतों ही बातों मैं उसका हाथ देखने लग जाता है! और कहता है आपको बच्चा नहीं है ना वह बोली आपको कैसे पता चला वह बोला हम हस्त रेखा मैं निपुण है और हाथ देखकर यह बता सकते हैं कि क्या होने वाला है क्या होगा वह बोली अच्छा तो यह बताओ कि मेरे बच्चा कब होगा तो उसने कहा आपको भगवान् ने बच्चा तो नहीं दिया पर मैं एक रास्ता बताता हूँ!वह सुनो अमावस्या की रात को किसी एक ऐसे लड़के कि बलि पीपल के पेड़ के नीचे दो!जो अपने माँ बापके एकलोता पुत्र हो औरउसके खून से अपने बाल धोना फिर कहना ए प्यासी आत्माओ यह बलि मेरी तरफ से स्वीकार करो और मुझे एक पुत्र दे दो!एक लोटे मैं उस कुए का पानी भर कर उस मैं उसके सरीर की दो बून मिला कर खुद पी लेना और उस लड़के के सिर के बाल अपनी साडी की गांठ मैं बंधे रखना तो युम्हे अवस्य एक पुत्र पैदा होगा इतना कहकर वह वहां से भिक्षा लेकर चला गया! उस दिन के ठीक तीन दिन बाद अमावश्या थी उस औरत ने वही किया जो उस बाबा ने बताया था उसने अपने देवरानी के लड़के कि बलि दे दी और खून की दो बूंदे पानी मैं मिलाकर खुद पी लिया और उस सिर के कुछ बाल को काटकर अपनी गांठ मैं बांध लिया और बिना पीछे मुड़े अपने घर आ गयी सुबह गांव बालों को पता चला कि मुखिए के भाई के बेटे को किसी ने मार के वहां फेक रखा है

जब यह बात मुखिए और उसके भाई ने सूनी तो वह नंगे पैर दौड़ पड़े धीरे धीरे सारा गांव इकठ्ठा हो गया उस लड़के की माँ का रो रो बुरा हो गया था!तब किसी व्यक्ति ने हिम्मत जुटाकर उस सिर को धड से जोड़ा और उसे नदी मैं बहाने की सलाह दी वेसा ही किया लोगो ने उस लाश को पानी मैं बहा दिया!सब लोग यही कह रहे थे किसने किया यह सब कैसे हुआ सब लोगों केलिए यह घटना चिंता का विषय बन गयी थी! जब मुखिया घर पहुंचा तो क्या देखता है की उसकी पत्नी तो पकवान बना रही थी वह बड़ी खुश नज़र आ रही थी मुखिया ने क्रोध मैं कहा क्या तुम्हे इस बात का बिलकुल भी दुःख नहीं है की हमारे भाई का बेटा मर गया है वह पहले ऐसी नज़रों से देखी जैसे की उसे मार ही डालेगी फिर कहने लगी लड़का उसका मरा है मेरा नहीं मैं क्योँ शोक मनाऊँ और हसने लगी और कहने लगी तुम पागल हो तुम्हे तो खुस होना चैये की अब तुम्हारे भी एक पुत्र आने वाला है और यह जान कर और ख़ुशी होगी की वह इस जायदात का अकेला वारिस होगा हां हां हां वह फिर ऐसे हसी यह देखकर मुखिया से रहा नहीं गया और उसे जान से मारने के लिए तलवार उठाने चला गया वह अन्दर तलवार ढून्ढ रहा था पर तलवार नहीं मिली!जब वह पत्नी के बेद के पास पहुंचा तो क्या देखता है की सारे कपडे खून से लथपत हैं और तलवार भी वही पडी है और उस पर खून लगा है वह यह सब देखते ही समझ गया की यह सब इसने पुत्र प्राप्ति केलिए बलि दी है उसने उसे मारने का विचार बनाया की अभी मैं इसको मार दूंगा तो सब लोग मुझे गलत समझेंगे!और वह वहां से चला गया उस दिन से गाँव मैं ऐसी ऐसी घटना होने लगी किसी की भैंस मर गयी किसी ने उसे मार डाला और उस के सरीर के अंग इधर-उधर फैले पड़ेजैसे की किसी ने उसे नोच नोच कर खाया हो तो किसी दिन किसी का कुत्ता किसी का बछडा तो किसी की बकरी मर गयी और उसी तरीके से वह मर रही थी जिस तरीके भैंस को किसी ने मारा था ऐसी घटना से सारा गांव परेशान था किसी को यह समझ नहीं आ रहा था की आखिर हो क्या रहा है!

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एक दिन की बात है मुखिया रात को अपने गेट के पास सोया हुआ था आधी रात के समय उसे गेट खुलने की आवाज आई वह जाग गया उसने देखा की एक औरत बाल फिकरे हुए आधी रात को बहार चली जा रही है देखने मैं तो ऐसा लग रहा था की जैसे उसको कोई खींच कर ले जा रहा हो! भादों(अगस्त) की काली रात थी चरों तरफ से आवाजें आ रही थी कही शियार तो कहीं कुत्ते भोकते ऐसा लग रहा था उसे की जैसे यह रात जाने क्या क़यामत ढायेगी!अचानक उसे एक गाय के बछड़े के रंभाने की आवाज आई वह समझ गया हो न हो यही सारे गांव की बर्बादी का कारन हैं! मुखिया के दिमाग मैं एक आइडिया आया की क्योँ न मैं चलकर देखूं की यह कहाँ जाती है! वह उठकर चल दिया उसने आगे चल के क्या देखा कि पड़ोसी के गाय का बछड़ा का कटा हुआ मुंड पडा है और उसके धड को वह औरत खींचकर पीपल की और ले जा रही हे और ले जा कर उसने वही शब्द दोहराया यह लो प्यासी आत्माओ मैं तुम्हारे लिए भोजन लायी हूँ! मुखिया यह सब नीम के पेड़ से छुपकर देख रहा था! एक दम वह क्या देखता है कि चार काली छाया वहाँ प्रकट हुई देखते ही देखते वह ऐसे भयानक सरीर मैं बदल गयी की उसे देखकर उसके सर्रीर के रोयें खड़े हो गए उनके ये बड़े-बड़े दांत लाल-लाल आंखें सरीर पूरा जला हुआ बड़े बड़े नाखून आंखें तो ऐसे चमक रहीं थी की बार-बार बदलने वाली लाइट जल रही हो इतना भयानक द्रश्य उसने अपनी ज़िन्दगी मैं कभी नहीं देखा था! वह क्या देखता है कि वो चरों भूत और उसकी पत्नी उस लाश को खाने लगी दोनों हाथों से लापा-लप जैसे की कोई भूखा व्यक्ति खाने पर टूट पड़ता है!यह सब देखकर मुखिया के पर के नीचे की ज़मीन खिशक गयी की उसकी पत्नी एक डायन है! जब उन्होंने सारे मांश को नोच-नोच कर खा डाला तब उसने एक भूतों की एक बात सूनी और कहा की बस तीन दिन बाद फिर अमवस्या है और हमारी शक्ति उस दिन बढ़ जायेगी तब हम तुम्हे पुरी शक्ति शोंप देंगे और तुम अपनी मर्जी से कुछ भी कर सकती हो तुम गांव वालों को अपनी उंगली पर नाचा सकती हो!

उसने यह सब सुनकर सारे गाँव को चोरी-चोरी जगा करके कहा देखो मैं तुम्हे बताता हूँ की तुम्हारी बर्बादी एक डायन की वजह से हुई है! और सब से कहा की अपनी अपनी लाठी उठाओ और चलो मेरे साथ आज उस डायन का अंत हम सब मिलकर करेंगे! और सब भागते हुए उस पीपल की और चल दिए सारे गांव को अपनी तरफ आते देख सारे भूत तो गायब हो गए पर वह डायन खडी रह गयी! मुखिया की पत्नी को इस हालत मैं देखकर सारे गांव वालों के तो होश उड़ गए और वह रुक गए मुखिया ने कहा खड़े क्योँ रह गए यह तुम्हारी मालकिन नहीं डायन है डायन और यह बोलते हुए सब उसे लाठियों से मारने लगे वह अपनी जान बचाकर भागी और भागते हुए उस कुए मैं जा गिरी उसकी साडी ऊपर अटक गयी और वह चिल्लाने लगी बचाओ बचाओ सारे गांव नव कहा इसे सजा अपने आप मिलेगी लटकी रहने दो इसे वह चिल्लाती रही सारे लोग उसका यह तमाशा देख्र रहे थे!वह चीखती रही चिल्लाती रही मुझे ऊपर निकालो मुझे पानी पिलाओ पर किसी ने उसकी सहायता नहीं की पर वो बार-बार यही बोलती रही कि मैं तुम सब गांव वालों को बर्बाद कर दूंगी!एक एक को मैंने पानी के लए नहीं तर्शाया तो मेरा नाम भी काली डायन नहीं! यही नाम दिया हैं तुमने मुझे मैं तुम्हीं छोडूंगी नहीं दो दिन तक उसकी लाश यूंही लटकती रही तीसरे दिन अमावस्या थी उस दिन की रात के बाद उस लाश का पता नहीं चला की कहाँ गयी उसकी लाश जबकि कुआ बिलकुल सूखा था! उस बात को काफी टाइम हो चुका था लोग उसके बारे मैं भूल चुके थे कुछ दिन बाद ऐसी ऐसी खबर सुनने मैं मिली की उस कुए से आवाजें आती है कभी वही बात सुनाई पड़ती की मैं तुम लोगो को पानी के लिए तडपा दूंगी और कभी रात मैं मन्त्रों की आवाजें आती लोग उस राज़ को समझ रहे थे कि उसका जब तक शरीर नहीं जल जाता तबतक उसकी आत्मा भटकती रहेगी!कुछ दिनों बाद गांव के कुए का अचानक पानी सूख गया तो वो लोग परेशान हो गए कुछ इनो बाद क्या देखते हैं की जिस कुए मैं वह मारी थी वह पानी से भर गया है! यह आश्चर्य देखते हुए कुछ लोगों ने कहा क्या पता है की उसी ने यह सब किया हो कुछ लोग कह रहे थे की उस बात को बहुत समय हो गया है अब वो यहाँ कहाँ राखी है और कहा चलो पानी इसी से खीच के पिया करेंगे!सुबह जब कुछ लोगों ने कहा चल कर पानी खींचते हैं

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जब कुए के पास पहुंचे तो कुए मैं पानी नही यह सब देखकर लोग आश्चर्य मैं पड़ गए की पानी गया कहाँ तब उसमें से अजीब आवाज आई कहा था न पानी के लिए तडपा दूंगी मुझे पानी नहीं पिलाया था तुम लोगो ने हा हा हा हा अब मैं तुम सबको पानी के लिए ही नहीं खाने के लिए भी मुंहताज कर दूंगी यहाँ अब कभी पानी नहीं बरसेगा हा हा हा हा अब गाँव वाले परेशान हो गए उनके पास पानी ख़तम हो गया था दुसरे गांव से पानी लाना पड़ता था पानी न बरसने के कारण वह कुआ भी सूखने लगा तब उस गाँव के मुखिया ने भी उन्हें पानी भरने के लिए मन कर दिया और कहा तुमने जो किया है उसके लिए हम क्योँ दुःख झेलें जाओ!अब उसे भुगतो!कभी कुए मैं पानी आ जाता तो कभी नहीं जब गांव वाले प्यास से परेशान हो गए तो कुछ लोग ने उस से पानी खींच लिया और उसे जैसे ही पिया तो उसका सरीर पूरी तरह सड गया किसी को चरम रोग हो गया किसी के हाथ पैर गलना सूरू हो गए यह भयानक द्रश्य देखकर और लोगो ने तो उसे छुआ तक नहीं अब गाँव वालों की बुरी दशा हो गयी सब लोग भगवान् को याद करने लगे है भगवन यह सब किस जन्म के पापों की सजा दे रहा है तू बस चरों तरह हा हाकार मच गयी!उस दिन से गांव मैं तो जैसे मातम सा छा गया हो! दुसरे दिन सुबह मैं उस गांव से एक बाबा आता हुआ नज़र आया सफ़ेद वस्त्र माथे पे तिलक हाथ मैं कमंडल एक हाथ मैं माला बस राम का नाम लेते हुए चले आ रहे थे! सब गांव वालों ने उस बाबा को आते देख सब लोग उनके चरणों मैं गिर पड़े और कहने लगे बाबा हमे इस संकट से बचालो! बाबा ने कहा क्या बात है

आप सारे गांव वाले इतने परेशान क्योँ हो तब बाबा को मुखिया ने सारी बात बताई तब बाबा ने कहा की मैं तुम्हारी इस काम मैं अवस्य मदद करूंगा और कहा मैं कल अपने शिष्य विराट को ले कर आऊँगा क्योँ की इस काम के लिए मुझे एक सदभाव और ईश्वर पर विश्वास करने वाले व्यक्ति की ज़रुरत हे और वह बुद्धि मैं भी निपुण है! आप लोग धेर्य रखिये मैं अवश्य वापस आऊँगा यह कह कर बाबा वहां से चले गए दुसरे दिन सूर्य उदय होने से पहले वह अपने शिष्य विराट के साथ उस गांव मैं पहुँच गए! सब लोगो ने बाबा को प्रणाम किया बाबा ने कहा की कुछ लोग जा कर पूजा का सामन ले कर आओ मैं यहाँ पर हवन करूंगा और अपने शिष्य से कहा की तुम इस कुए मैं अन्दर जा कर उस डायन का अंत करोगे और अमीन तुम्हे कुछ ध्यान मैं रखने वाली बाते बताता हूँ कि इस कुए मैं उतरने से पहले तुम्हे सच्चे मन से भगवान् का स्मरण करके बिना मुंह मैं पानी जाये हुए नीचे पहुंचना पड़ेगा और तुम्हें इस कुए की गहराई यानी पातळ तक पहुँचाना पड़ेगा ध्यान रहे यह काम सूरज डूबने से पहले ख़तम करना पडेगा क्यूंकि दिन के डूबते ही बुरी आत्माओ की शक्ति बढ़ जाती है!ध्यान रहे की सबसे पहले डायन के बाल काटने हैं जिससे वह कमजोर पड़ जायेगी जब वह पूरी तरह से कमजोर पड़ जाए तब भगवान् का नाम लेकर यह खंज़र जो मैं तेरे को दे रहा हूँ इससे उसको मार देना और उसके सरीर को जला देना और मैं यहाँ यज्ञ करके तुम्हारी मदद करूंगा!उनका शिष्य तो समझ गया पर कुछ गाँव वालों ने पुछा बाबा इस कए मैं पानी मैं कैसे उसकी लाश को जलाओगे तब बाबा ने बताया कि वह पाताल लोक मैं अपने घरों की तरह रह रही है वहां भी आत्माओ और भूत प्रेतों के घर हुआ करते हैं!

तब गाँव वालों को समझ मैं आया!बाबा ने अपने शिष्य से कहा की अब देर मत करो तुम जल्दी जाओ! तब उनका शिष्य ने भगवान् का नाम लेकर उस कुए मैं कूद गया! और इधर बाबा मन्त्रों से यज्ञ करने लगे!जब विराट वहां पहुंचा तो क्या देखता है काफी बड़ा खंडर है और कहीं से मन्त्रों की आवाजें आ रही हैं तो वो वह जाकर क्या देखता की एक बाल फकेरे हुए एक औरत आहुत्ति आग मैं दीये जा रही है! जैसे ही वह उसके पास पहुंचा तो उसे पता चल गया और वह पीछे मुड़कर देख के बोली कौन हो तुम और यहाँ क्योँ आये हो वह बोला मैं विराट हूँ और गांव वालों की तरफ से मैं तुम्हें यहाँ मारनेके लिए आया हूँ! वह हँसी हा हा हा हा तुम मरोगे मुझे साधारण मनुष्य गांव वालों ने तुझे भेजा और तू मरने चाला आया लौट जा और अपने प्राण बचा ले मुझसे नहीं तो वह बोला नहीं तो क्या मुझे मार डालोगी वह बोली समझदार हो वह बोला तू अपने प्राण बचाना चाहती है तो इस गांव और इस कुए को छोड़कर चली जाओ नहीं तो मुझे मारना होगा! उसने इतना कहकर जैसे ही उसके ऊपर उसे मारने को झपटा वह एक दम गायब हो गई और उसका बार खाली निकल गया अब बस उसे उसकी आवाज सुनाई दे रही थी अब वह क्या करे उसके पीछे से उसे एक बार उसने उसे ऐसा मारा की उसका सिर दीवार से टकराया और बेहोश हो गया तभी उसे उसके गुरु की आव्वाज सुनाई दी बेटे अपनी आत्मा की शक्ति से देख और भगवान् क्या ध्यान लगा तुझे सब कुछ नज़र आएगा! उसने भगवान् का ध्यान करके आंखें खोली तो उसे वह डायन दीवार से छुपी हुई नज़र आई और उसके बाल दिख रहे थे तभी उसको गुरु की बात का ध्यान आया तो उसने झट से उसके बाल काट दिए और वह झट से उसको मारने के लिए खंज़र उठाया तो वह गिडगिडाने लगी की तुम आदमी हो मैं औरत और मैं निहत्थी हूँ

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तुम मुझे छोड़ दो और रोने लगी बाल काटने से उसकी सारी शक्ति कमज़ोर पड़ गयी पहले तो उसे उस पर दया आई पर जब गाँव वालों के दुःख को याद किया तो उसने देर न करते हुए वह खंज़र उसके सीने के बीच उतार दिया और उस अग्नि कुंड मैं उसके शरीर को जला दिया उसकी आत्मा चीखती चिल्लाती हुई मैं वापस आऊँगी मैं वापस आऊँगी उस कुए से ऊपर से निकल गयी जब गांव वालों ने वह आत्मा देखी तो वह लोग डर गए तब बाबा ने कहा अब कोई डरने की बात नहीं है अब इसका शरीर खत्म हो चुका है!अब यह तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती तभी विराट कुए से बाहर आया तब गांव वालों ने उस बधाई दी और कहा की अगर तुम ना होते तो पता नहीं हमारा क्या होता तब विराट ने कहा यह सब तो भगवान् की कृपा है!तब बाबा ने गांव वालों से कहा अब तुम ख़ुशी ख़ुशी से इस कुए का पानी पी सकते हो! सभी गांव वालों ने पानी पिया और बाबा का आदर सत्कार किया! तभी जोर-जोर से बदल हुए और पानी बरसने लगा और गांव वाले ख़ुशी से झूम उठे तब उस गांव मैं फिर से खुशहाली छा गयी!