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लालची किसान और मुर्गी | Lalchi Kisan aur Murgi ki hindi kahani

लालची किसान और मुर्गी की कहानी -1

यह कहानी एक लालची किसान और मुर्गी की है। गोपालपुर नाम के गांव में एक राजू नाम का किसान रहता था। वाह बहुत ही स्वार्थी था तथा लालच के वशीभूत होगा वह अपने सभी कार्य करता था। गांव के सभी लोग उस किसान के लालच स्वभाव के कारण उसे पसंद नहीं करते थे। लेकिन किसान गांव का एक धनी आदमी था इसलिए मजबूरी में दूसरे किसान उसके सामने उसकी तारीफ किया करते थे। एक बार गांव में एक बड़े साधु महात्मा आए थे। उनका प्रवचन सुनने के लिए गांव के सभी लोग प्रतिदिन शाम को उनकी कुटिया में आया करते थे।

महात्मा बहुत ही सिद्ध आदमी थे, इसलिए प्रवचन सुनने आए गांव के लोग एक-एक करके महात्मा से अपने सुखी जीवन के लिए वरदान प्राप्त करते और अपने घर लौट जाया करते थे। जब उस लालची किसान को यह पता चला कि गांव में आए हुए महात्मा बहुत ही सिद्ध पुरुष हैं और उनसे जो भी वरदान मांगा जाता है वह पूर्ण होता है। तो राजू नाम के उस लालची किसान में भी महात्मा के पास जाकर उनके दर्शन किए। महात्मा ने किसान से वरदान मांगने के लिए कहा तब किसान में एक ऐसी मुर्गी मांगी जो रोजाना सोने का अंडा देती हो। महात्मा किसान की लालच को जान गए और प्रसन्न होकर उन्होंने किसान को एक मुर्गी वरदान के रूप में भेंट की। वह मुर्गी प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में एक सोने का अंडा दिया करती थी किसान बहुत खुश रहने लगा था लेकिन धीरे-धीरे किसान की लालच बढ़ने लगी। मुर्गी के रोजाना एक सोने का अंडा देने से उसे अब संतोष नहीं था।

एक दिन किसान बैठे-बैठे इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था कि आखिर ऐसा क्या किया जाए की मुर्गी के पेट से एक बार नहीं सारे सोने के अंडे निकाल लिए जाएं।

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तभी उसे एक युक्ति सूझी और वह नाई की दुकान गया और वहां से तेज धार वाला उस्तरा लाया और मुर्गी का पेट चीर दिया जिसकी वजह से मुर्गी वहीं पर तुरंत मर गई। लेकिन मुर्गी के पेट में एक भी सोने का अंडा नहीं दिखा। किसान को अपनी गलती का एहसास हो गया था वह अपने लालच में वशीभूत होकर एक निस्सहाय पक्षी की हत्या कर दी। ऊपर से उसे जो रोजाना सोने के अंडे मिलते थे अब वह भी उसे नहीं मिलेंगे। वह अपनी मूर्खता पर खूब रोया और रोते-रोते पागल हो गया।

लालची किसान और मुर्गी की कहानी – 2

एक गांव में एक लालची किसान रहता था। एक शाम वह अपने घर में बैठा हुआ था और धन कमाने के रास्तों पर विचार कर रहा था। तभी उसके दरवाजे पर एक साधु महात्मा आए और उससे एक गिलास पानी मांगा। किसान ने पहले कुछ साधु को बहाने बताकर भगाने की कोशिश की लेकिन साधु को बहुत जोर से प्यास लगी थी इसलिए उसने किसान को लालच दिया कि अगर वह से पानी पिलाता है तो वह उसे एक ऐसी चीज देगा इसकी वजह से इसकी किस्मत बदल जाएगी।

किसान लालच में आकर तुरंत साधु महात्मा को जलपान कराया। इसके बाद साधु महात्मा ने अपने वचन के अनुसार उस लालची किसान को एक मुर्गी भेंट की और उस किसान से कहा कि यह होगी जब तक तुम्हारे पास रहेगी तुम्हारे घर के सभी सदस्यों का विकास होगा और किसी भी कार्य पर घाटा नहीं लगेगा।

किसान को एक गिलास पानी के बदले मुर्गी का सौदा बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा। उसमें उस मुर्गी को रख लिया धीरे-धीरे समय बीतता गया और किसान तरक्की करता गया। किसान का पिता गांव का प्रधान बन गया तथा किसान का बेटा शहर में कोतवाल की नौकरी पा गया। स्वयं किसान के पास ढेर सारी जमीन हो गई और उसका जीवन ऐसो आराम से बीतने लगा।

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एक दिन वाह अपने घर के आंगन में नीम के पेड़ के नीचे बैठा हुआ था तभी एक सेठ उसके पास आया और उससे दुनियादारी की बात करने लगा। बातों ही बातों में सेठ ने किसान के आंगन में घूम रही मुर्गी की तारीफ की और उसे खरीदने की अपनी इच्छा प्रकट की। किसान ने पहले तो मना कर दिया और सेठ से कहा कि वह इस मोदी को नहीं बेचेगा। यह मुर्गी उसे किसी साधु ने पुरस्कार के रुप में दी है और जब से यह मुर्गी मेरे पास आई है तब से मेरा विकास बहुत तेजी से हो रहा है।

जब सेठ को इस बात का पता चला तो उसने भी मुर्गी खरीदने की ज़िद ठान ली और मुर्गी की कीमत दुगनी करता चला गया हर बार किसान सेठ को मना करता गया लेकिन आधे घंटे बाद सेठ ने किसान को मुर्गी के बदले 10 लाख रुपए देने की बात कही।

सेठ नहीं जाओ 10 लाख सुना तो उसका मन लालच में आ गया और उसने सोचा की इस 10 लाख से मैं और भी नए व्यापार शुरू कर सकता हूं। इसके बदले इस मुर्गी को दे देने में ही मेरी भलाई है। क्या पता मेरे विकास में इस मुर्गी का कोई योगदान ना हो और यह मेरा भ्रम हो। ऐसा सोचकर किसान ने मुर्गी सेठ को 10 लाख रुपए में बेच दी।

सेठ उस मुर्गी को लेकर अपने रास्ते चला गया इधर किसान मुर्गी के बदले 10 लाख रुपए पाकर बहुत खुश था। अगले दिन जब वह 10 लाख रुपए लेकर बैंक की ओर जा रहा था तभी किसी चोर ने उसके सारे पैसे चुरा लिए। वाह बहुत दुखी अवस्था में अपने बेटे के पास गया जो कि शहर का कोतवाल था। जब वह अपने बेटे के पास गया तो पता चला कि भ्रष्टाचार के आरोप में उसका बेटा अभी अभी सस्पेंड हो गया है। किसान को अपनी गलती का एहसास हो गया था। उसे समझ आ गया था कि उसके घर की किस्मत में उस मुर्गी का योगदान था। लालच में पड़कर उसने अपने घर का नुकसान करा लिया।

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अब बहुत देर हो चुकी थी वह कुछ भी नहीं कर सकता था, अब उसके हाथ में सिर्फ पछताना ही लिखा था।

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