एक ब्रांहण भिक्षु थे मारुत। मारुत बहुत ही धनवान परिवार से थे, उनके पिता राजा के यहाँ प्रधानमंत्री थे। मारुत जब युवा थे तो वह बहुत सुंदर थे, लेकिन जैसे ही उन्होने जवानी की दहलीज मे कदम रखा उनके मन में वैराग्य जाग गया और वो भगवान को खोजने गृहस्थ छोड़ छोड़ दिया था।
एक दिन मारुत आगरा की गलियों मे 5 घर भिक्षा मांगने के लिए गुजर रहे थे, ठीक उसी समय आगरा की मशहूर नर्तकी रिची ने मारुत को देखा तो रिची उनकी सुंदरता को देखकर मोहित हो गई।
रिची ने मारुत को पुकारा तो भिक्षा लेने के लिए मारुत वहीं पर ठहर गए। रिची ने मारुत से कहा, ‘मैं आपको देखकर मोहित हो गई हूँ, भिक्षा छोड़िए मैं तो आपको अपना सब कुछ देना चाहती हूं। आप यहाँ-वहाँ क्यू भटक रहे हैं, मेरे साथ मेरे घर में आइए।’
मारुत समझ गए कि इसकी दृष्टि अभी देह पर है। मारुत ने कहा, ‘हे सुंदरी, मैं तुम्हारे पास जरूर आऊँगा, लेकिन वह समय अभी नहीं आया हैं।’
रिची ने कहा, ‘लेकिन वो समय कब आएगा?’
मारुत बोले, ‘इस प्रश्न का जवाब समय ही देगा की वह समय कब आयेगा।’
ऐसा बोलकर मारुत वहां से विदा हुये। कुछ वर्षों के बाद मारुत वापस आगरा आए और और आगरा की गलियो मे भिक्षा मांगते हुये भटक रहे थे। उन्ही मार्ग पर एक महिला बैठी हुई थी। उस औरत के शरीर से बदबू आ रही थी, वह औरत बहुत बीमार लग रही थी, उसके कपड़े फटे हुये थे, वह महिला और कोई नहीं बल्कि रिची थी। दुराचार की वजह से उसे भयंकर रोग हो गया था। अब उसके पास कुछ नहीं बचा था। उस मार्ग से मारुत भी गुजर रहे थे, तभी उन्होने उस औरत को देखा और मारुत उस औरत को देखकर पहचान गए। उन्होंने महिला के सिर पर हाथ रखा और बोले, ‘रिची तुम पूछती थी ना की मैं कब तुम्हारे पास आऊंगा, देखो आज मैं आ गया हूं।’
बीमार रिची ने मारुत से पूछा, ‘आप कौन हैं?’
मारुत ने अपना परिचय दिया, और रिची के शरीर के घाव को अपने गमछे से पोछने लगे, उसे साफ-सुथरे कपड़े पहनाए, तो रिची ने रोते हुए कहा, ‘मारुत तुम अब आए हो? अब मेरे पास न तो यौवन है, न सौंदर्य है, सब समाप्त हो गया है।’
मारुत ने कहा, ‘भिक्षु के आने का यही सही समय होता है, मैं सही समय पर आया हूं।’
सीख – साधु प्रवृत्ति के लोग किसी भी इंसान की शरीर एवं बाहरी सुंदरता से मोहित नहीं होते हैं। जब कोई व्यक्ति संसार की उपभोगो की वजह से दुखी और अशांत हो जाता है, तब साधु-संत ऐसे लोगों की मदद करते हैं, उनके दुख, अशांति को दूर करके उनके मन को शांति की ओर ले जाते हैं, यही प्राचीन हिन्दू धर्म की साधुता एवं अच्छाई है।
यह hindi story एक साधू की हैं जो की बहुत अमीर हुआ करता था, परंतु उसने अपने जीवन को भगवान की खोज मेलगा दिया और बुरे वक्त मे लोगो की मदद करने लगा जो की किसी भी साधू का कर्तव्य होता हैं। यह hindi story आपको कैसी लगी कमेन्ट कर के बताईये।
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