विधि-
- पहले एक साफ सुथरी और बराबर (flat) जगह पर एक चटाई या योगा मैट बिछा ले।
- अब पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाये।
- अपने हाथों को घुटनों पर रखे और हाथों की हथेली ऊपर की ओर आकाश की तरफ होनी चाहिए।
- अब तर्जनी उंगली (अंगूठे के साथ वाली) को गोलाकार मोडकर अंगूठे के अग्रभाग (सिरे) को स्पर्श करना हैं।
- अन्य तीनों उंगलियों को सीधा रखना हैं।
- यह ज्ञान मुद्रा दोनों हाथो से कर सकते हैं।
- आँखे बंद कर नियमित श्वसन करना हैं।
- साथ में ॐ का उच्चारण भी कर सकते हैं। मन से सारे विचार निकालकर मन को केवल ॐ पर केन्द्रित करना हैं।
- दिनभर में कम से कम 30 मिनिट से 45 मिनिट करने पर लाभ मिलता हैं।
लाभ –
- ज्ञान मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से सारे मानसिक विकार जैसे क्रोध, भय, शोक, ईर्ष्या इत्यादि से छुटकारा मिलता हैं।
- बुद्धिमत्ता और स्मरणशक्ति में वृद्धि होती हैं।
- एकाग्रता बढती हैं।
- शरीर की रोग प्रतिकार शक्ति बढती हैं।
- आत्मज्ञान की प्राप्ति होती हैं।
- मन को शांति प्राप्त होती हैं।
- अनिद्रा, सिरदर्द और माइग्रेन से पीड़ित लोगो के लिए उपयोगी मुद्रा हैं।