हुलिया दाग प्रथा किसने,कब और क्यों प्रारंभ की थी ?

हुलिया दाग प्रथा किसने,कब और क्यों प्रारंभ की थी ?

अलाउद्दीन खिलजी का शासनकाल भारतीय इतिहास में अत्याचारी और हिन्दू विरोधी रहा हैं, उसने हिन्दुओ पर कई अत्याचार किए, और अत्याचार को और बढ़ाने के लिए उसे अपने शासन व्यवस्था को और मजबूत करना था, इसलिए पश्चिमी देशो से उसने कई तकनीक सीखी, आज उसके एक व्यवस्था पर हम यहाँ बात करेंगे, जिसे उसने पश्चिम से सीखा और अपने शासन मे लागू किया। यह व्यवस्था “हुलिया दाग प्रथा के नाम से प्रचलित हुई” हालांकि बहुत से इतिहासकार का मानना हैं की यह व्यवस्था अशोक भी इस्तेमाल करता था। तो आइये जानते हैं की क्या हैं “हुलिया दाग प्रथा”?

अलाउद्दीन खिलजी शासन में दिल्ली सल्तनत का विस्तार और मजबूती का एक ऐसा दौर आया, जिसमें सेना, प्रशासन, बाजार और जासूसी प्रणाली में कई नए सुधार किए गए। उसने अपने शासनकाल के दौरान अपनी शक्तिशाली सेना और सुदृढ़ प्रशासनिक प्रणाली के माध्यम से दिल्ली सल्तनत को उन्नति के शिखर पर पहुंचाया।

उसके समय में भारत के उत्तर और दक्षिण भाग में राजनैतिक एवं सैन्य परिस्थितियाँ काफी चुनौतीपूर्ण थीं। मंगोल आक्रमणों का खतरा, साम्राज्य के भीतर विद्रोह और बाहरी राज्यों का विरोध – ये सभी उसके शासन के लिए चुनौतियाँ थीं, जिनसे निपटने के लिए उसने नेक सुधार लागू किए।

खिलजी वंश और अलाउद्दीन का उदय

अलाउद्दीन खिलजी का असली नाम अली गुरशास्प था। उसने 1296 ईस्वी में दिल्ली के सिंहासन पर अधिकार किया। अलाउद्दीन ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके साबित किया कि वह केवल एक कुशल शासक ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी नेता भी हैं। अपने चाचा फिरोज खिलजी की हत्या के बाद गद्दी पर बैठे अलाउद्दीन ने सबसे पहले मंगोलों के हमलों को रोकने पर ध्यान केंद्रित किया।

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सेना का महत्व और सुधार

अलाउद्दीन खिलजी का मानना था कि एक मजबूत सेना ही उसके शासन की स्थिरता की गारंटी है। उसकी सेना लगभग 475,000 घुड़सवारों से सुसज्जित थी, जो उस समय के लिए एक बड़ी और शक्तिशाली सेना मानी जाती थी। सेना के कुशल प्रबंधन और सुदृढ़ व्यवस्था के लिए उसने कई सुधार लागू किए।

अलाउद्दीन खिलजी ने दाग़ प्रणाली और हुलिया प्रणाली की शुरुआत की। दाग़ प्रणाली में, घोड़ों पर खास चिन्ह लगाए जाते थे ताकि उनकी पहचान हो सके और भ्रष्टाचार से बचा जा सके। इसी प्रकार हुलिया प्रणाली के अंतर्गत सैनिकों का पूरा विवरण दर्ज किया जाता था, जिससे सेना में अनुशासन और विश्वसनीयता बनी रहे।

मंगोल आक्रमणों का सामना

अलाउद्दीन खिलजी के समय में मंगोल आक्रमण एक बड़ा खतरा थे। मंगोल आक्रमणकारियों से निपटने के लिए उसने अपनी सेना को और भी अधिक कुशल और संगठित बनाया। उनकी जासूसी प्रणाली इतनी मजबूत थी कि मंगोलों की योजनाओं की जानकारी समय रहते मिल जाती थी। मंगोलों के आक्रमण को विफल करने में अलाउद्दीन ने अपनी सैन्य नीति और कुशल प्रशासन का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।

अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत का विस्तार केवल उत्तर भारत तक ही सीमित नहीं रखा। उसने दक्षिण भारत के राज्यों पर भी आक्रमण किया और विजय प्राप्त की। उसके सेनापति मलिक काफूर ने दक्षिण भारत पर धावा बोला और वहाँ के राज्यों को सल्तनत का हिस्सा बना दिया। यह पहली बार था कि एक दिल्ली सुल्तान ने दक्षिण भारत के राज्यों पर अपनी शक्ति का विस्तार किया। इससे सल्तनत का क्षेत्रफल बढ़ गया और दिल्ली का राजकोष भी समृद्ध हुआ।

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प्रशासनिक सुधार और कराधान प्रणाली

अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में एक सुदृढ़ राजस्व प्रणाली लागू की। उसने अपने साम्राज्य के सभी रईसों और जमींदारों से कर वसूलने की व्यवस्था बनाई, जिससे राज्य का खजाना हमेशा भरा रहता। राजस्व प्रणाली के अंतर्गत किसानों और व्यापारियों से भी कर लिया जाता था। उसने सुनिश्चित किया कि कराधान में पारदर्शिता हो और लोग समय पर कर चुकाएँ।

उनकी कराधान प्रणाली के कारण उनकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत हो गई कि वे अपनी सेना का वेतन भी उचित रूप से दे सकते थे। इसके अलावा, बाजारों में वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए उसने सख्त नियम लागू किए, जिससे वस्तुओं के मूल्य सामान्य जनता की पहुँच में बने रहें।

अलाउद्दीन खिलजी का एक और महत्वपूर्ण कदम बाजार सुधार था। उसने दिल्ली के बाजारों में वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम बनाए। इसके तहत सभी आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों को तय किया गया और बाजार में जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए गए। उसने खुदरा विक्रेताओं पर सख्त नजर रखी और अगर कोई व्यापारी निर्धारित मूल्य से अधिक वसूल करता था, तो उसे कठोर दंड दिया जाता था। इस प्रकार, उसके शासनकाल में वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता बनी रही, जिससे सामान्य जनता को राहत मिली।

अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में न्याय प्रणाली को भी सुधारने की कोशिश की। उसने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए। दाग़ और हुलिया प्रणाली इसी का हिस्सा थे, ताकि सेना में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार न हो। इसके अलावा, उसने सभी अधिकारियों और सैन्य अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि वे जनता के साथ उचित व्यवहार करें और उनसे अनावश्यक धन न वसूलें।