पिता की संपत्ति

किस दोष के कारण पिता की संपत्ति में बेटे को अधिकार नहीं मिल पाते है?

हिंदू समाज में पितृ संपत्ति का अधिकार एक महत्वपूर्ण विषय है, लेकिन कई बार व्यक्ति को अपने पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी नहीं मिलती। इसे केवल कानूनी या पारिवारिक दृष्टि से देखने के बजाय, ज्योतिष शास्त्र में भी इसके गहरे कारण बताए गए हैं। कुंडली में कुछ विशेष ग्रहों की स्थिति, अशुभ योग और पितृ दोष जैसे कारणों से व्यक्ति को पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता। आइए ज्योतिषीय दृष्टि से इस विषय को विस्तार से समझते हैं।

पितृ दोष और श्राद्ध कर्म की उपेक्षा

अगर कुंडली में पितृ दोष हो, तो व्यक्ति को पिता की संपत्ति से वंचित होने की संभावना अधिक रहती है। पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब पूर्वजों की आत्मा अशांत रहती है, विशेष रूप से तब जब उनके श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान न किए गए हों। सूर्य और राहु का मेल, सूर्य और शनि का संबंध या नौवें भाव में राहु-केतु का प्रभाव पितृ दोष का संकेत देता है। ऐसे व्यक्ति को अक्सर संपत्ति विवादों का सामना करना पड़ता है या पिता की संपत्ति मिलने में अड़चनें आती हैं।

चतुर्थ और दशम भाव पर ग्रहों का प्रभाव

चतुर्थ भाव पारिवारिक सुख और संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि दशम भाव पिता से जुड़े अधिकारों को दर्शाता है। यदि इन भावों में अशुभ ग्रह स्थित हों या उन पर शनि, राहु या केतु की दृष्टि हो, तो व्यक्ति को पिता की संपत्ति मिलने में कठिनाई होती है। विशेष रूप से, यदि दशमेश (दशम भाव का स्वामी) नीच का हो या छठे, आठवें, बारहवें भाव में स्थित हो, तो पिता की संपत्ति मिलने की संभावना काफी कम हो जाती है।

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शनि और सूर्य का आपसी प्रभाव

शनि और सूर्य का आपसी संबंध व्यक्ति के पिता से रिश्ते को दर्शाता है। यदि कुंडली में शनि और सूर्य की युति हो या वे आमने-सामने हों, तो पिता से संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, व्यक्ति को पैतृक संपत्ति प्राप्त होने में कठिनाई होती है। विशेष रूप से, यदि सूर्य नीच का हो (तुला राशि में) और उस पर शनि की दृष्टि हो, तो व्यक्ति पिता के प्रेम और संपत्ति दोनों से वंचित रह सकता है।

संपत्ति से वंचित होने से बचने के उपाय

  • पितृ दोष निवारण के लिए श्राद्ध और तर्पण करें – प्रतिवर्ष पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों के लिए तर्पण करना आवश्यक है। इससे पूर्वजों की कृपा बनी रहती है और पितृ संपत्ति संबंधी अड़चनें दूर होती हैं।
  • सूर्य को जल अर्पित करें – यदि कुंडली में सूर्य कमजोर हो, तो प्रतिदिन तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें गुड़ और लाल फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
  • हनुमान चालीसा और शनि उपाय करें – यदि शनि की वजह से पिता से संबंध खराब हों, तो प्रत्येक शनिवार को सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • मंगल दोष निवारण करें – यदि मंगल की वजह से संपत्ति विवाद हो, तो मंगलवार के दिन हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करें और गरीबों को मसूर की दाल दान करें।
  • राहु-केतु से बचाव के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें – अगर राहु-केतु की वजह से संपत्ति संबंधी अड़चनें आ रही हों, तो प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
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डिस्क्लेमर: इस लेख में प्रस्तुत जानकारी प्राचीन ज्योतिषीय मान्यताओं और धारणाओं पर आधारित है। हमारी वेबसाइट meribaate.in इस जानकारी की पुष्टि या समर्थन नहीं करती है। यह सामग्री केवल मनोरंजन और सामान्य ज्ञान की दृष्टि से प्रस्तुत की गई है। किसी भी उपाय या सुझाव को अपनाने से पहले योग्य ज्योतिषी या विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है।