भ्रष्ट देव हस्तर और बारिश की रात

भूत की कहानी : भ्रष्ट देव हस्तर और बारिश की रात

गहरी रात थी, और बाहर लगातार बारिश हो रही थी। ठंडी हवा के साथ बारिश की बूँदें भी ठंडी हो रही थीं, और ठिठुरते मौसम ने पूरे गाँव को एक अजीब सी खामोशी में डाल दिया था। अमरेश, एक युवा लेखक, अपने छोटे से घर में बिस्तर में लेटा हुआ था, जहाँ उसने अपने नए उपन्यास पर काम करने के लिए किसी पुस्तक को पढ़ रहा था। उसके कमरे की खिड़कियाँ भींग रही थीं, और बाहर की बारिश का शोर भीतर के सन्नाटे को और बढ़ा रहा था।

अमरेश को यह पुरानी किताब उसके किसी दोस्त ने दी थी, और बताया था की यह किताब वह किसी पुराने किले के तहखाने से पाया था। अमरेश को अचानक किताब पढ़ते हुये चाय पीने का मन हुआ, किताब बहुत ही रोचक थी, मौसम शानदार था, इसलिए चाय पीते हुये पुस्तक को पढ़ना महोल को और अधिक रोचक बना देगा, ऐसा सोचकर वह चाय बनाने के लिए उठा और रसोई में गया। जैसे ही वह रसोई की ओर बढ़ा, अचानक बिजली गुल हो गई। अंधेरे में रसोई में काम करना उसे कठिन लगा, इसलिए उसने रसोई के प्लेटफॉर्म के नीचे बने दराज से मोमबत्ती को निकाला और मोमबत्ती जलाई। मोमबत्ती की हल्की चमक में, उसके कमरे की दीवारों पर अजीब से अंधेरे साए डगमगाने लगे।

उसने इसे भ्रम सझकर नजरअंदाज किया और चाय के कप को लेकर अपने बिस्तर में वापस आ कर फिर से अपनी उस पुरानी किताब को पढ़ने लगा, किताब के पन्ने पलटते हुए उसने एक पन्ने को देखा जो उसे बड़ा अजीब लगा। उस पन्ने पर एक पुरानी कहानी का उल्लेख था, जो एक प्राचीन प्राणी के बारे में थी, उस प्राणी का नाम हस्तर था। हस्तर का जन्म लोगो के इच्छा पूर्ति के लिए हुआ था, लेकिन समय के साथ वह भ्रष्ट हो गया और भ्रष्ट होने के बाद वह इन्सानो की आत्मा को अपने अंदर निगलने लगा, जिससे वह और ताकतवर हो जाए। इस पन्ने में उसी रहस्यमय प्राणी हस्तर की कहानी थी, हस्तर का प्रभाव और उपस्थिति मानवीय दिमाग पर गहरा और भयानक असर डालते थे।

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अमरेश ने डर लगाने लगा और उसने तुरंत ही किताब को बंद किया, चाय के कप को उसने बिस्तर के बगल में रखे हुये साइड-टेबल मे रख दिया और बिस्तर पर लेट गया। लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी। बारिश की आवाज के साथ-साथ उसे किसी के घबराहट भरे सांसों की आवाज सुनाई देने लगी। वह एक क्षण को चौंका, लेकिन उसने सोचा कि यह केवल बारिश की आवाज का ही असर है।

जब वह सोने की कोशिश कर रहा था, अचानक एक अजीब सी खटपट उसे सुनाई दी। जैसे ही उसने कमरे में  मोमबती के माध्यम से प्रकाश किया, उसने देखा कि उसकी खिड़की के शीशे पर एक हाथ की छाप बनी हुई थी और शीशे में दरार आ गई थी। यह हाथ काफी बड़ा तो था ही साथ में बाद अजीब भी था, या कहे तो विकृत भी था। ऐसा लग रहा था की कोई अजीब सा प्राणी दीवार में उल्टा लटका हुआ, खिड़की के शीशे पर बाहर से जबरदस्त दबाव डाला हो।

अमरेश का दिल धड़कने लगा, और उसने तुरंत खिड़की की ओर देखा। बाहर केवल बारिश का शोर था और अंधेरे में छुपी हुई रात का डर, घुप्प अंधेरे में एक इंच भी कुछ नहीं दिख रहा था। उसने सोचा कि यह सब उसकी कल्पना का ही हिस्सा हो सकता है। लेकिन जैसे ही वह कमरे में लौटा, उसे एक ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ, और मोमबत्ती की लौ बेतरतीब ढंग से हिलने-डुलने लगी, जिसकी वजह से कुछ समय के लिए कमरे में प्रकाश कम हो गया।

उसने देखा कि उसके कमरे के चारों ओर अजीब से आकृतियाँ बन गई थीं, और एक पुराना चित्र दीवार पर उभर आया था। चित्र में एक विशाल, भयावह प्राणी था, जिसकी आंखें चमकदार और विकृत थीं। यह वही प्राणी था, जिसका उल्लेख उसने अपनी किताब में पढ़ा था – हस्तर।

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अमरेश ने अपने साहस को समेटते हुए उस चित्र के पास जाकर देखा। चित्र की आंखों में एक चुम्बकीय शक्ति थी, जो उसे अपनी ओर खींच रही थी। जैसे ही उसने चित्र के करीब पहुंचा, कमरे का तापमान अचानक गिर गया और एक गहरी ठंडक उसके शरीर में समा गई।

वह अचानक समझ गया कि हस्तर की उपस्थिति अब केवल किताब में नहीं, बल्कि यथार्थ में भी हो सकती है। उसके चारों ओर अजीब से सायें घेरने लगे, और एक धुंधली आवाज उसके कानों में गूंजने लगी। वह आवाज एक पुरानी और भयावह चेतावनी थी, जो उसे चेतावनी दे रही थी कि हस्तर ने उसे पहचान लिया है और अब वह उसके पास आ रहा है।

अमरेश का दिल तेजी से धड़क रहा था, और उसने भागने का प्रयास किया। लेकिन जैसे ही वह कमरे के दरवाजे की ओर बढ़ा, दरवाजा अपने आप बंद हो गया। उसकी सांसें तेज हो गईं और उसकी आंखें डर से चौड़ी हो गईं।

तभी, अंधेरे से एक विशाल छाया उभर आई। वह छाया धीरे-धीरे आकार लेने लगी और उसकी भयावहता दिन के उजाले को भी मात देने वाली थी। हस्तर, अपनी भयानक उपस्थिति के साथ, अमरेश के सामने खड़ा था। उसकी आंखें चमक रही थीं और उसके चारों ओर एक ठंडी हवा चल रही थी।

अमरेश की चीखें हवा में खो गईं, और उसकी आँखों के सामने सब कुछ धुंधला होने लगा। वह समझ गया कि अब कोई रास्ता नहीं है। हस्तर की शक्ति और प्रभाव ने उसे पूरी तरह से घेर लिया था, और वह एक भयावह और रहस्यमय काले धुंध में खो गया।

सुबह हुई, और बारिश अब भी जारी थी। अमरेश का घर अभी भी वैसा ही था, लेकिन उसकी जगह पर एक अधूरी कहानी छोड़ गई थी। उसके कमरे की दीवारों पर वही हाथ की छाप बनी हुई थी, और किताब अब भी उसके बिस्तर पर रखी थी, जिसमें हस्तर की कहानी का एक और पन्ना खुला हुआ था।

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वह पन्ना अब भी वही पुरानी कहानी कह रहा था, लेकिन अमरेश का नाम अब उसमें शामिल हो चुका था, एक और नाम उस रहस्यमय और भयावह प्राणी के साथ जुड़े हुए चिरकालिक कहानी में।

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