उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड मायावती जी के नाम हैं क्योंकि मायावती जी उत्तर प्रदेश के 4 बार मुख्यमंत्री पद को संभाला हैं। मायावती के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था (लॉ एंड ऑर्डर) पर विशेष ध्यान दिया गया। उनकी सरकार ने इस दिशा में कई कठोर कदम उठाए, जिनका उद्देश्य राज्य में अपराध पर नियंत्रण और शासन-प्रशासन में सुधार करना था
मायावती जी, बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख नेता, चार बार मुख्यमंत्री रही है:
- पहली बार: 1995 (कुछ ही महीनों के लिए)
- दूसरी बार: 1997
- तीसरी बार: 2002
- चौथी बार: 2007-2012 (पूरा कार्यकाल)
उत्तर प्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड योगी आदित्यनाथ जी के नाम हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को पदभार संभाला और अब तक (नवंबर 2024 तक) मुख्यमंत्री पद पर बने हुए हैं। उनका कार्यकाल लगातार जारी है, और वह उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने लगातार दूसरा कार्यकाल भी जीता। सबसे लंबे समय तक लगातार मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड और सबसे ज्यादा समय तक मुख्य मंत्री रहने का रिकार्ड योगी आदित्यनाथ जी के नाम दर्ज हो चुका है।
योगी आदित्यनाथ का कार्यकाल
योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने लगातार दो कार्यकाल पूरे किए हैं और यह उपलब्धि उन्हें राज्य के इतिहास में सबसे लंबे समय तक निरंतर मुख्यमंत्री पद पर बने रहने वाला नेता बनाती है। उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने बुनियादी ढांचे, कानून-व्यवस्था, और विकास के विभिन्न पहलुओं में महत्वपूर्ण सुधार देखा है।
- पार्टी: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
- निरंतर कार्यकाल: 7 वर्ष, 256 दिन (और जारी)
योगी आदित्यनाथ भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता हैं, जिनका नाम आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में प्रसिद्ध है। उनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के एक छोटे से गांव पंचुर में हुआ था। उनका जन्म एक सामान्य हिन्दू परिवार में हुआ था, लेकिन बचपन से ही उनका झुकाव धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों की ओर था। आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह बिष्ट था। बचपन में ही उनका रुचि साधु-संन्यासियों और धार्मिक कार्यों में बढ़ी, और वे अक्सर अपने माता-पिता से पूजा-पाठ के बारे में बातें करते थे। उनका जीवन एक साधारण गांव के लड़के से बढ़कर भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण हस्ती बनने तक का सफर रहा है।
योगी आदित्यनाथ ने अपनी पढ़ाई के दौरान ही योग, साधना और सन्यास की ओर रुझान दिखाना शुरू किया। युवा अवस्था में उन्होंने गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरक्षनाथ मठ में संन्यास लेने का फैसला किया। वे महंत अवैद्यनाथ के शिष्य बने और उनका नाम योगी आदित्यनाथ रखा गया। इसके बाद उन्होंने गोरखपुर में ही मठ का संचालन शुरू किया और वहां की धर्म-प्रचार गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनके कार्यों ने गोरखपुर और आसपास के क्षेत्रों में उन्हें एक प्रभावशाली धार्मिक नेता के रूप में स्थापित किया।
योगी आदित्यनाथ की राजनीति में एंट्री 1998 में हुई, जब उन्होंने भा.ज.पा. के टिकट पर गोरखपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और विजयी हुए। इसके बाद वे लगातार पांच बार गोरखपुर से सांसद चुने गए। सांसद के रूप में उनके काम ने उन्हें एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया। वे अपनी साफगोई, मजबूत नेतृत्व और गरीबों के लिए काम करने के लिए जाने जाते हैं।
2017 में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था, विकास कार्यों, और धार्मिक मुद्दों पर ध्यान दिया गया। उनके शासन में उत्तर प्रदेश ने कई बुनियादी ढांचे के विकास, सड़क निर्माण, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार देखे हैं।
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ आया, जिसमें उन्होंने धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर भी बेबाकी से अपनी राय रखी। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद से राज्य में अपराधों में कमी आई, और विकास के कई कार्य तेजी से चलने लगे।
विश्वनाथ प्रताप सिंह (वी.पी. सिंह)
विश्वनाथ प्रताप सिंह (वी.पी. सिंह) उत्तर प्रदेश के एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने बाद में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएँ दीं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में 9 जून 1980 से 28 जून 1982 तक कार्य किया।वी.पी. सिंह ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में 2 दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990 तक कार्य किया। उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल को मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने के लिए याद किया जाता है, जिसने देश में आरक्षण नीति को लेकर बड़ा प्रभाव डाला।
गोविंद बल्लभ पंत का राजनीतिक सफर
गोविंद बल्लभ पंत (गोविंद बल्लभ पंत) उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे और भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते थे। उनका जन्म 10 मई 1887 को हुलासी, उत्तर प्रदेश में हुआ था। पंत जी का जीवन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और बाद में राज्य के प्रशासन में उनके योगदान के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण है। गोविंद बल्लभ पंत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। वे महात्मा गांधी के सशक्त समर्थक थे और कई आंदोलनों जैसे नमक सत्याग्रह, नागपुर कांड, और भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। उनका उद्देश्य भारतीय जनता को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ जागरूक करना और स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए प्रेरित करना था। 1947 में भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, उत्तर प्रदेश को अपना पहला मुख्यमंत्री मिला और वह थे गोविंद बल्लभ पंत। उनका कार्यकाल 15 अगस्त 1947 से 27 दिसंबर 1954 तक रहा। पंत जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद उत्तर प्रदेश को एक संगठित प्रशासन प्रदान किया।