यह कहानी 18वीं और 19वीं सदी के बीच के समय की है, जब अनानास केवल एक फल नहीं था, बल्कि ब्रिटेन की शाही पहचान और सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक बन चुका था। ऑस्ट्रेलिया, जो कभी ब्रिटेन की पीनल कॉलोनी (दंड स्थल) था, उसी दौर में जॉन गुडविन नामक व्यक्ति को सात साल की सजा मिली थी। गुडविन पर आरोप था कि उसने सात अनानास चुराए थे, जो उस समय बेहद दुर्लभ और कीमती थे।
गुडविन के मामले ने यह साबित कर दिया कि अनानास की चोरी साधारण अपराध नहीं था। 1493 में जब क्रिस्टोफर कोलंबस ने इस फल को नई दुनिया से खोजा, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह फल एक दिन यूरोप के अमीर और शक्तिशाली लोगों का प्रतीक बन जाएगा। अनानास, जिसे सत्रहवीं सदी के मध्य में ‘किंग पाइन’ (फलों का राजा) घोषित किया गया, जल्द ही ब्रिटेन की राजशाही और अभिजात वर्ग के जीवन का हिस्सा बन गया।
फ़्रांस के चिकित्सक पीयर पोमेट ने इसे “धरती का बेहतरीन फल” बताया था। अनानास की महत्ता इतनी थी कि ब्रिटेन के राजा चार्ल्स द्वितीय ने इसे अपने शाही प्रतीक के रूप में अपनाया। एक अनानास को शाही बाग़बान द्वारा प्रस्तुत किए जाने पर राजा ने उसकी एक पेंटिंग भी बनवाई थी।
18वीं सदी में अनानास इतना महंगा हो गया था कि इसे सिर्फ अमीर और शाही परिवारों के लोग ही खरीद सकते थे। कई बार अनानास सिर्फ सजावट के रूप में उपयोग किया जाता था। इसे महफिलों और डिनर पार्टियों में प्रदर्शित किया जाता, लेकिन शायद ही कभी खाया जाता। अनानास का उपयोग इतना विशिष्ट था कि इसका किराया भी लिया जाता था। जो लोग इसे खरीद नहीं सकते थे, वे किसी विशेष अवसर पर इसे किराए पर लेकर अपने सामाजिक स्तर को ऊंचा दिखाने की कोशिश करते थे।
अनानास फल तक सीमित न रहते हुए समाज और फैशन को भी प्रभावित किया। अनानास थीम पर बर्तन, कपड़े, इमारतें, और यहां तक कि फर्नीचर तक बनाए गए। ब्रिटेन में अनानास से प्रेरित डिजाइन लोगों के लिए प्रतिष्ठा का एक नया मापदंड बन गया। यह अनानास की लोकप्रियता और प्रतीकात्मकता का ही नतीजा था कि विंबलडन टेनिस चैंपियनशिप के कप पर एक मिनिएचर गोल्ड पाइनएपल रखा गया, जिसे आज भी विजेताओं को दिया जाता है।
18वीं सदी के अंत तक, अनानास की खेती ब्रिटेन में शुरू हो चुकी थी। जब यह फल सस्ता होने लगा और अधिक लोगों की पहुंच में आ गया, तब इसकी सामाजिक प्रतिष्ठा घटने लगी। जिन अमीरों ने कभी अनानास को अपनी संपत्ति और रुतबे का प्रतीक बनाया था, उन्हें यह देखकर झटका लगा कि अब मध्यम वर्ग भी इसे खरीद सकता था।
लेकिन इसका अर्थ यह नहीं था कि अनानास की लोकप्रियता समाप्त हो गई। यह फल ब्रिटेन की संस्कृति का हिस्सा बन चुका था, और इसकी रम से लेकर पेंटिंग्स और डिज़ाइन तक, अनानास का प्रभाव अटूट रहा।
अनानास का इतिहास काफी पुराना और दिलचस्प है। यह पौधा मूल रूप से दक्षिणी ब्राजील और पैराग्वे के बीच स्थित पराना और पैराग्वे नदियों की जल निकासी वाले क्षेत्रों से उत्पन्न हुआ था। लेकिन यह धीरे-धीरे दक्षिण अमेरिका के विभिन्न हिस्सों में एक प्रमुख फसल के रूप में फैल गया। पुरातात्विक प्रमाण बताते हैं कि अनानास का उपयोग बहुत पहले से किया जा रहा था। पेरू में इसके उपयोग के प्रमाण 1200 से 800 ईसा पूर्व तक मिलते हैं, और मैक्सिको में 200 ईसा पूर्व से लेकर 700 ईस्वी के बीच इसके प्रमाण मिले हैं। यह वह समय था जब माया और एज़्टेक सभ्यताओं ने अनानास की खेती शुरू की थी। 1400 के दशक के अंत तक, अनानास एक प्रमुख फसल बन चुका था और दक्षिण अमेरिका के मूल निवासियों का मुख्य भोजन भी था।
क्रिस्टोफर कोलंबस ने 4 नवंबर 1493 को ग्वाडेलूप द्वीप पर इसे देखा। कोलंबस अनानास को स्पेन वापस ले गया और वहां इसे “पिना डे इंडेस” नाम दिया गया, जिसका अर्थ है “भारतीयों का पाइन”।
अनानास का वैश्विक सफर यहीं से शुरू हुआ। पुर्तगाली अनानास को ब्राजील से लेकर भारत में 1550 तक पहुंचा चुके थे। इसके साथ ही, स्पेनिश लोगों ने ‘रेड स्पैनिश’ किस्म को लैटिन अमेरिका से फिलीपींस तक पहुंचाया। फिलीपींस में अनानास को विशेष रूप से कपड़ा बनाने के लिए उगाया जाने लगा, और यह प्रथा कम से कम 17वीं सदी से चली आ रही थी।
अनानास का सफर एक जंगली पौधे से शुरू होकर वैश्विक फसल बनने तक का है। इसकी शुरुआत दक्षिण अमेरिका में हुई, फिर इसे यूरोप और एशिया के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाया गया। आज, अनानास न केवल एक स्वादिष्ट फल है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी काफी गहरा है।