एक शहर में एक ढाबा था, उस ढाबे मे बहुत स्वादिष्ट खाना बनता था। दूर-दूर से लोग उसके ढाबे में खाना खाने आते थे। लेकिन ढाबे के मालिक को धीरे-धीरे घमंड होने लगा और वह ढाबे में जब खाना अधिक बच जाता था, तो वह उस खाने को फेंक दिया करता था। उसके कर्मचारी उससे बोलते कि बचे खाने को हम गरीबों को क्यों नहीं बांट देते? तो ढाबे का मालिक नाराज हो जाता और कहता कि – “मेरे ढाबे का खाना इतना स्वादिष्ट है, अगर मैं इसे फ्री में बांटने लगूंगा तो फिर मेरे ढाबे में कौन खाने आएगा?”
यह सोच कर वह खाने को फेंकवा दिया करता था। एक दिन एक गरीब भिखारी उसके ढाबे में आया और खाने के लिए कुछ मागने लगा लेकिन ढाबे के मालिक ने उसे कुछ भी खाने को नहीं दिया और उसे ढाबे से भगाने लगा।
लेकिन वह बेचारा भिखारी फिर भी ढाबे के मालिक से खाने के लिए भीख मांगता रहा, लेकिन ढाबे के मालिक ने उसे कुछ नहीं दिया और उसके सामने ही खूब सारा खाना फेंक दिया जिसे कुत्ते, बिल्ली आदि जानवर खाने लगे।
भिखारी बहुत भूखा था, उसने कई दिनों से खाना नहीं खाया था, उसी समय ढाबे के मालिक ने उसे ढाबे से भगाने के लिए धक्का दिया और उसके धक्के से भिखारी गिर गया और मर गया।
इस घटना के 13 दिन बाद ढाबे का मालिक, रात को 12:00 बजे के लगभग रोज की तरह ही अपने घर जा रहा था। तभी उसे महसूस हुआ, की कोई उसके पीछे आ रहा है। उसने पलट कर देखा, लेकिन पीछे कोई नहीं था। जब तक वह घर नहीं पहुंच गया, जब तक उसे यही लगता रहा कि जैसे कोई उसके पीछे आ रहा है। वह बहुत डर रहा था।
घर पहुंचते ही उसने अपनी पत्नी को खाना लाने के लिए कहा, पत्नी जैसे खाना लेकर आई तभी उसे एक जोर का धक्का लगा और पूरा खाना ढाबे के मालिक के ऊपर गिर गया। ढाबे का मालिक बहुत नाराज हुआ, इसके बाद वह भूखा ही सोने लगा, तभी उसके घर के दरवाजे अपने आप ही खुलने और बंद होने लगे। वह डर गया और तुरंत भागते हुए ढाबे में गया जैसे ही वह ढाबा गया, वहां पर मौजूद सभी कुर्सियां और टेबल हवा में उड़ने लगे।
वह बहुत परेशान हो गया, उसी समय नौकर ने पास के ही एक समसान से जाने-माने तांत्रिक को बुला लिया। वह तांत्रिक बहुत पहुंचा हुआ तांत्रिक था, वह भूतों को पकड़ना खूब जानता था, उसने अपने कमंडल से पानी निकाला और उसमें कुछ मंत्र बोलकर उसे होटल में छिड़कने लगा।
तभी उसके मंत्र मे फस कर वहां एक भूत प्रगट हो गया, उस भूत को देखकर सभी जान गए कि यह भूत और कोई नहीं बल्कि 13 दिन पहले जो भिखारी आया था, यह वही है।
तांत्रिक ने भूत से पूछा – “तुम क्यों ढाबे के मालिक को परेशान कर रहे हो?”
तब भूत ने बताया कि 13 दिन पहले जब मैं जिंदा था, तो ढाबे के मालिक से मैंने खाना मांगा तो इसने मुझे खाना नहीं दिया, जिसके कारण मेरी मौत हो गई। इसलिए अब मैं अपनी मौत का बदला ले रहा हूं।
तांत्रिक ने भूत से कहा की – “ढाबे के मालिक से गलती हो गई है तो इसे माफ कर दो, ऐसा यह क्या करें जिससे यह तुम्हारे प्रकोप से बच सके?”
तब ढाबे के मालिक ने कहा कि -“मैं तो इसे मार देना चाहता हूं लेकिन आप बहुत पहुंचे हुए तांत्रिक हैं और मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूं। इसलिए मैं अभी नहीं मारूंगा, अगर यह मेरे दो काम कर दे।”
तांत्रिक ने पूछा – “कौन से दो काम इसे करना होगा? तो मुझे बताओ।”
तब भूत ने कहा – “अगर यह रोज 51 भिखारियों को मुफ्त में खाना खिलाए और पास मे ही हनुमान मंदिर बनवा कर हर शनिवार को सुंदरकाण्ड करवाए तो मैं इसका बाल भी बांका नहीं करूंगा और इसे जीवित छोड़ दूंगा।”
यह सुनकर ढाबे के मालिक ने तुरंत भूत को प्रणाम किया और दोनों काम करने का वादा करने लगा कि अब वह रोजाना 51 भिखारियों को मुफ्त में खाना खिलाएगा, इसके साथ ही हनुमान जी के मंदिर बनाकर वहां हर शनिवार को सुंदरकांड करवाएगा।
भूत ने जब यह सब सुना तो उसने ढाबे के मालिक की तरफ देखा और कहा कि अगर तू ऐसा करता है तो मैं तुझे कोई नुकसान नहीं पाहुचाऊंगा और इसके बाद वह जोर-जोर से हंसा और गायब हो गया।
अब उस ढाबे का मालिक हर शनिवार को मंदिर में सुंदरकांड करवाता है और रोजाना 51 भिखारियों को मुफ्त में खाना खिलाता है। भूत अब उससे बहुत प्रसन्न रहने लगा जिसकी वजह से ढाबे का मालिक पहले से भी ज्यादा पैसे कमाने लगा।
बोलो हनुमान जी की जय
इस hindi story मे शिक्षा – कभी भी किसी भूखे का अपमान नई करना चाहिए और हमेशा गरीब की मदद करनी चाहिए और भगवान की पुजा करनी चाहिए, इससे मनुष्य खुश रहता हैं और लोगो का आशीर्वाद पता है। यह hindi kahani आपको कैसी लगी कमेन्ट कर के जरूर बताए और अगर आपको यह hindi story पसंद आई तो प्लीज इसे शेयर जरूर करे।