सरकारी डॉक्टरों की सैलरी कितनी होती है और जूनियर रेसिडेंट और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर क्या होते हैं

सरकारी डॉक्टरों की सैलरी कितनी होती है और जूनियर रेसिडेंट और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर क्या होते हैं

नीट की परीक्षा देकर कोई भी विद्यार्थी डॉक्टरी की पढ़ाई कर सकता है। लेकिन नीट को निकाल लेना कोई आसान काम नहीं है, इसके लिए मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई करनी होती है।

2019 में 15,19,375 लोगों ने नीट की परीक्षा दी थी, जिसमें केबल 7,97,035 विद्यार्थियों ने परीक्षा को पास किया था।

जबकि 2020 में 15,97,435 विद्यार्थियों ने नेट की परीक्षा दी थी, लेकिन इनमें से 7,71,499 विद्यार्थी ही नेट की परीक्षा को पास कर पाए।

देश में एमबीबीएस के लिए कुल 83,075 सीट हैं। एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए 4:30 साल लगते हैं, इसके बाद 1 साल के लिए रूलर प्रैक्टिस या फिर इंटरशिप करना जरूरी होता है।

इसके बाद ही किसी क्षेत्र की विशेषज्ञता ली जा सकती है, विशेषज्ञता लेने के लिए पीजी करना होता है। पीजी करने के लिए नीट पीजी नाम की परीक्षा को एमबीबीएस के विद्यार्थी देते हैं इसके बाद मेडिकल स्टूडेंट को जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में कार्य करते हैं।

इसके बाद उन्हें 3 साल के लिए सीनियर रेजीडेंट बंद कर प्रेक्टिस करना पड़ता है। इसके बाद एक और परीक्षा देनी होती है और इस परीक्षा को पास करके ही कोई सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर से सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनता है।

इसका अर्थ यह है कि एक 12वीं के विद्यार्थी को 13 साल की कड़ी मेहनत करनी पड़ती है तब जाकर वह डॉक्टर कहलाता है या डॉक्टर बन पाता है

लेकिन डॉक्टर बनने की यात्रा यहीं पर खत्म नहीं होती है, अब यहां से नौकरी की तलाश की यात्रा शुरू होती है, क्योंकि हमारे देश में डॉक्टरों की जनसंख्या के अनुपात में बहुत कमी है इसलिए डॉक्टर को काम आसानी से मिल जाता है।

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लेकिन वह अपने इस 13 वर्ष की यात्रा में कितना कमा पाते हैं आज हम आपके सामने इससे संबंधित कुछ आंकड़ों को रखेंगे।

एमबीबीएस की इंटर्नशिप के दौरान ट्रेनी डॉक्टर की औसत सैलरी लगभग 15000 से लेकर ₹25000 के आसपास होती है, अगर अच्छे सरकारी अस्पताल में वह काम कर रहा है तो उसकी प्रति महीने की कमाई ₹40000 से लेकर ₹70000 तक हो सकती है।

वहीं सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर को ₹60 हजार से लेकर 1.25 लाख तक का सैलरी प्रति महीने मिल जाती है।

अब अगर हम एमबीए से एमबीबीएस करने वालों की तुलना करें तो एक सामान्य कॉलेज से एमबीए करने वाले विद्यार्थी को पहले साल ही 12 लाख रुपए का पैकेज मिलता है, और अगर हम IIM जैसे संस्थाओं की बात करें तो यहां से एमबीए करने वाले विद्यार्थी को पहले साल ही 22 लाख रुपए का पैकेज मिल जाता है। जबकि एमबीबीएस पास करने के बाद डॉक्टर की सैलरी सालाना ₹6 लाख ही मात्र होती है, यानी कि एमबीए के विद्यार्थी से आधी कमाई एमबीबीएस के विद्यार्थी की होती है।

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