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राष्ट्रीय हिन्दी दिवस – 14 सितंबर – इतिहास और कहानी

हिन्दी भारत की राज भाषा हैं, यह भारत के बहुत बड़े क्षेत्र मे बोली जाती हैं। इसका इतिहास 1000 वर्ष पुराना हैं। भारत मे पहले वैदिक संस्कृत बोली जाती थी, फिर इसने अपना रूप बदल लिया जिसके बाद लौकिक संस्कृत बोलने का चलन बढ़ा, भारत के दर्शन ग्रंथ लौकिक संस्कृत मे लिखे हुये हैं। इसी भाषा मे रामायण, महाभारत, नाटक, व्याकरण लिखे गए हैं। संस्कृत के बाद पालि भाषा का उदय हुआ। पालि भाषा का काल 500 ईशपूर्व से लेकर प्रथम शताब्दी तक रहा।  पालि भाषा मे ही बौद्ध ग्रंथो की रचना हुई हैं। पालि भाषा के बाद प्राकृत भाषा का उदय हुआ। यह भाषा लगभग 500 ईशापूर्व तक जीवित रही, इसी भाषा मे जैन धर्म से जुड़े साहित्य मिलते हैं।

उस समय तक बोलचाल के लिए क्षेत्रीय भाषा बहुत ही ज्यादा हुआ करती थी। उदाहरण के लिए ब्राचंड, शौरसेनी, मराठी, मागधी, अर्धमागधी आदि प्रमुख भाषा हैं। शौरसेनी को पश्चिम हिन्दी कहा जाता हैं और अर्धमागधी को पूर्वी हिन्दी कहा जाता हैं। प्राकृत भाषा के अंतिम समय मे अपभ्रंश भाषा का उदय हुआ। अपभ्रंश का समय काल 500 ईशा से लेकर 1000 ईशा तक रहा हैं। अपभ्रंश का सरल एवं देशी भाषा का नाम अवहट्ट हैं, इसी अवहट्ट भाषा से ही आंगे चलकर हिन्दी भाषा जन्म हुआ हैं।  

हिन्दी भाषा को जन जन तक पहुंचाने के लिए इसका श्रेय भक्त कवियों को जाता हैं। भारत की स्वतन्त्रता मे भी हिन्दी की अहम भूमिका रही हैं। लोग तक जन चेतना लाने के लिए क्रांतिकारियों के द्वारा अखबारो के लिए, पत्रिकाओ के लिए हिन्दी का बढ़चढ़ का इस्तेमाल किया गया। महात्मा गांधी सहित देश के कई प्रमुख ने हिन्दी को राष्ट्र भाषा के रूप मे देखने लगे थे।

इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुये 14 सितंबर 1949 को हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। 1998 के आंकडो के अनुसार पूरे विश्व मे हिन्दी तीसरी ऐसी भाषा हैं जो सबसे ज्यादा बोली जाती हैं। इसके अलावा विश्व की सबसे बड़ी आबादी के द्वारा बोले जाने वाली भाषा हिन्दी हैं। अगर समझने के बारे मे बात करे तो विश्व मे सबसे ज्यादा लोग हिन्दी समझते हैं। विश्व की लगभग 18 प्रतिशत लोग हिन्दी को समझते हैं, जबकि चाइना मे बोले जाने वाली भाषा मैंडरीन को विश्व की लगभग 15.27 प्रतिशत लोग ही समझ सकते हैं और अगर अँग्रेजी भाषा की बात करे तो विश्व की कुल जनसंख्या के 13.85 प्रतिशत लोग ही इसे बोल समझ पाते हैं।

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भारत मे 14 सितंबर को इसे राजभाषा घोषित किया गया था, इस लिए 14 सितंबर को पूरे भारत मे राष्ट्रीय हिन्दी दिवस (hindi bhasha) मनाया जाता हैं। यह भाषा जन-जन की भाषा हैं, यह राष्ट्र का गौरव हैं। लेकिन अभी भी इसे रोजगार की भाषा नहीं समझा जाता हैं, जिसकी वजह से लोगो को अग्रेजी की शरण लेनी पड़ती हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं हैं की हिन्दी आज भाषाओ की रेस मे पिछड़ रही हैं। अगर लपरवाही से भी आध्यन किया जाए तो हम आसानी से जान जाएंगे। की हिन्दी जो कभी अपभ्रंश तो कभी उर्दू और फारसी के शब्दो के सहारे चला करती थी, वह अब धीरे धीरे अपने शब्दो के सहारे चलाने लगी हैं, तकनीक ने हिन्दी को प्राथमिकता दी हैं।

हिन्दी दिवस की शुरुआत (1949 से 1950)

अङ्ग्रेज़ी भाषा का चलन बहुत ही तेज़ी के साथ बढ़ रहा था। इसकी वजह से हिन्दी की लगातार अनदेखी हो रही थी, देश के एक बहुत बड़ा वर्ग का अपेक्षित होने की शंका हुई, इस लिए हिन्दी के प्रति लोगो को जागरूक और उसके विकास मे योगदान के लिए प्रेरित करना इस Hindi Diwas को मनाने का मुख्य लक्ष्य था। और इसी लिए 14 सितंबर 1953 से प्रति वर्ष इस दिन को Hindi Diwas के रूप मे मनाया जा रहा हैं। आजादी से दो वर्ष बाद भारत के संविधान सभा के द्वारा 14 सितंबर 1949 को एक मत से यह निर्णय लिया गया की हिन्दी भारत की राज भाषा होगी।

14 सितंबर को ही क्यो हिन्दी को राज भाषा बनाया गाय, इसके पीछे भी एक प्रमुख कारण हैं। वास्तव मे 14 सितंबर 1949 को हिन्दी के विकास मे योगदान देने वाले एक कलाम के सिपाही व्येवहार राजेंद्र सिंह का जन्म हुआ था। व्येवहार राजेंद्र सिंह का जन्म 14 सितंबर 1900 मे हुआ था। इनके संघर्ष और मेहनत की वजह से हिन्दी राज भाषा बन सकी। इनका जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर मे हुआ था। जब हिन्दी को भारत की राजभाषा 14 सितंबर 1949 को घोषित किया गया था, उस दिन व्योवहार राजेंद्र सिंह का 50वां जन्मदिन था। उनके अलावा हिन्दी को राजभाषा बनाने के लिए मैथलीसरण गुप्त, हजारीप्रसाद द्विवेदी, महादेवी वर्मा, काका कलेलकर जैसे साहित्यकारो ने भी अहम भूमिका निभाई थी। इन लोगो ने दक्षिण भारत की यात्राए की और दक्षिण भारत के लोगो को हिन्दी के प्रति मनाया एवं समझाया।

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हिन्दी से जुड़े रोचक तथ्य

  1. भारत में कुल 461 भाषाएं बोली जाती हैं, जिनमें से 14 पूरी तरह से बिलुप्त हो गए हैं
  2. भारत में लगभग 77% लोग हिंदी को बोलते और समझते हैं, हिंदी जैसी बोली जाती है, वैसी ही लिखी जाती है।
  3. इंटरनेट में 5 में से दो व्यक्ति हिंदी में ही जानकारी को खोजना एवं पढ़ना पसंद करते हैं।
  4. हिंदी में 52 शब्द है, जबकि अंग्रेजी में 26 वर्ग है। हिंदी भाषा में 11 स्वर और 33 व्यंजन है।
  5. 1977 में अटल बिहारी बाजपेई ने भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र सभा में हिंदी भाषा के माध्यम से संबोधन किया था।
  6. गूगल के द्वारा बताया गया है कि इंटरनेट में अंग्रेजी के मुकाबले, हिंदी ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। अंग्रेजी 19% की रफ्तार से बढ़ रही है जबकि हिंदी 94% की रफ्तार से बढ़ रही है।
  7. हिंदी भाषा में आधारित पहला वेब पोर्टल सन 2000 में आया था।
  8. पूरे विश्व में लगभग 176 विश्वविद्यालयों में हिंदी को पढ़ाया जाता है, जबकि अगर अमेरिका की बात करें तो वहां 45 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है।
  9. नरेंद्र मोदी भारत के इकलौते ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो विदेशों में आयोजित कॉन्फ्रेंस एवं जनसभा को हिंदी में ही संबोधित करते हैं।
  10. भारत में वर्तमान में जो हिंदी बोली जाती है, उसे मानक हिंदी कहा जाता है।
  11. हिंदी संस्कृत की अपभ्रंश भाषा है।
  12. हिंदी उन 7 भाषाओं में से एक है, जिनका इस्तेमाल करके वेब एड्रेस बनाए जाते हैं।
  13. 1889 में बिहार में उर्दू को हटाकर हिंदी को अपनी आधिकारिक भाषा बना ली थी।
  14. अंग्रेजी भाषा में कई शब्द हिंदी भाषा से लिए गए हैं,  उदाहरण के लिए अवतार, ठग, गुरु, बाजार, जंगल, कर्म।
  15. 1888 में आधुनिक हिंदी का पहला उपन्यास चंद्रकांता को माना जाता है, इसके लेखक देवकीनंदन खत्री है।

हिन्दी साहित्य के जनक

हिन्दी साहित्य के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र जी को माना जाता है । आज हिन्दी जिस मुकाम मे हैं, उसका सबसे ज्यादा श्रेय अगर किसी को जाता हैं तो वह भारतेन्दु हरिश्चंद्र जी को ही जाता हैं। किसी भी भाषा का प्रसार सबसे ज्यादा साहित्यकार करते हैं। अगर साहित्यकार कोई अच्छी रचना करता हैं, तो जनता उस साहित्य को पढ़ने के लिए व्याकुल हो जाती हैं। और उस साहित्य के माध्यम से उस भाषा का खूब प्रचार होता हैं, जिस भाषा मे वह साहित्य लिखा गया हैं। अब उदाहरण के लिए मैं अपनी बात करता हूँ, मेरा जन्म इंदौर मे हुआ हैं। मैं इंदौर मे पढ़-लिख हूँ, फिर भी मेरे को अवधि भाषा समझ मे आती हैं। जबकि मैं अवधि भाषा बोले जाने वाले किसी भी क्षेत्र मे नहीं गया हूँ।

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ऐसा इस लिए हैं की मेरे गर मे एक साहित्य पढ़ा जाता हैं जो तुलसीदास जी ने लिखा था। इस साहित्य का नाम रामचरितमानस हैं। मैं रामचरितमानस पढ़ता हूँ, और इसीलिए मेरे अंदर अवधि भाषा को समझने की काला उत्पन्न हुई। ठीक इसी तरह से भारेतेन्दु हरीशचन्द्र हिन्दी भाषा के प्रथम रचनाकर हैं, जिनहोने हिन्दी का प्रयोग करके साहित्य की रचना की थी। और इसीलिए उन्हे हिन्दी साहित्य का जनक कहते हैं। भारतेन्दु का जन्म 9 सितंबर 1850 को हुआ था। भारतेन्दु सिर्फ 34 वर्ष तक ही जीवित रहे हैं, पर उन्होने इतने अल्प समय होने के बावजूद ऐसे कार्य किए हैं जिसकी वजह से वो आज इतिहास के पन्नो मे अमर हो चुके हैं। उन्होने इतने अल्प समय मे उन्होने गद्द से लेकर कविता, नाटक से लेकर पत्रकारिता तक हिन्दी भाषा का पूरा स्वरूप बादल कर रख दिया। आधुनिक हिन्दी के सभी गुणो के स्रोत भारतेन्दु हरीशचन्द्र जी की रचनाओ मे मिल जाते हैं।