चाचाई जलप्रपात (Chachai WaterFall) रीवा, मध्यप्रदेश का दूसरा सबसे ऊंचा जलप्रपात

चाचाई जलप्रपात (Chachai WaterFall) रीवा, मध्यप्रदेश का दूसरा सबसे ऊंचा जलप्रपात

चाचाई जलप्रपात मध्य प्रदेश का दूसरा सबसे ऊंचा जल प्रपात हैं। यह मध्य प्रदेश के उत्तर मे स्थिर रीवा जिले मे स्थित हैं। यह रीवा का सौभाग्य हैं की रीवा मध्य प्रदेश का एक लौता जिला हैं जहा मध्य प्रदेश के दो सबसे ऊंचे जल प्रपात हैं। जी हाँ चाचाई से कुछ पहले ही मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा जलप्रपात भी रीवा मे ही मौजूद हैं। मध्य प्रदेश के सबसे ऊंचे जलप्रपात को क्योटी जलप्रपात के नाम से जाना जाता हैं।

भारत के पहले प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू जी को भी यह चाचाई का जलप्रपात बहुत भाया था। प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी इस झरने के करीशमे उर सुंदरता को देख कर मंत्रमुग्ध हो गए थे।

हालांकि विकास कार्यो की वजह से यह जलप्रपात मे पानी की कमी हो गई हैं। क्योंकि जिस नदी का पानी इस जलप्रपपात मे आता हैं उसे तो मोड मे मोड दिया गया हैं। एक मोड से पानी बह कर डैम मे चला जाता हैं, जिससे बिजली बनाने की योजना हैं, और दूसरे मोड से पानी गाँव की ओर जाता हैं जिसका इस्तेमाल किसान खेत को सीचने के लिए करेंगे।

यह जलप्रपात बीहड़ नदी पर स्थित हैं। इस chachai waterfall की ऊंचाई 130 मीटर हैं, जबकि इसकी गहराई 115 मीटर हैं। इस जलप्रपात की चौड़ाई 175 मीटर हैं। इसे भारत का नियाग्र फाल भी कहते हैं। बीहर नदी के प्रारंभिक स्वरूप को देखकर सहसा यह विश्वास नहीं किया जा सकता कि आगे चलकर नदी की पतली-सी धारा इतने विशालतम जलप्रपात का निर्माण करेगी।

समाजवाद के सबसे बड़े चिंतक एवं समाजसुधारक श्री राममनोहर लोहिया जी भी इस मनोरम स्थान पर आकर आध्यन एवं लेखन का कार्य करते थे।

सतना के पवन लिखते हैं : (लोगो का अनुभव)

पुरवा फॉल का दौरा करने के बाद मैं चाचाई फॉल की ओर चल पड़ा जो पुरवा फॉल से 8 किलोमीटर दूर है। यह रीवा-सिरमौर राजमार्ग पर स्थित है और सतना से 60 किमी और इलाहाबाद से 115 किमी दूर है। यह सबसे अच्छा मैंने देखा है। पुरवा और चाचाई फॉल दोनों के साथ अच्छी बात यह है कि यहां बिल्कुल भी भीड़ नहीं होती है। मुश्किल से 10 आगंतुक थे। हम लोगो ने शांति के साथ पतझड़ की सुंदरता का आनंद लिया और झरने का भी आनंद लिया। अगर क्योटी को उसके असली रूप और मनोहारी रूप मे देखना हैं तो बारिश के मौसम मे यहाँ आए। वरना नवंबर के बाद झरने मे एक पतले धागे की तरफ जलप्रपपात से पानी गिरता हुआ दिखेगा।

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रीवा के अजीत मिश्रा जी लिखते हैं : (लोगो का अनुभव)

यह स्थान बहुत ही मनोरम हैं, यहाँ आकर मन को बहुत सुकून एवं शांति मिलती हैं। यहाँ ज्यादा भीड़ नहीं होती हैं, और एक धून्ध जैस वातावरण होने की वजह से बहुत ही सुकून महसूस होता हैं। लेकिन ध्यान रहे अगर आप यहाँ घूमने का प्लान बना रहे हैं तो जुलाई से लेकर नवंबर के महीने के बीच आए, और गर्मी के महीनो मे तो भूलकर भी ना आए।

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