पूरे भारत मे 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप मे मनाया जाता हैं, सभी स्कूलो और कलेजो मे विद्यार्थी, इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं। और अपने शिक्षक को सम्मानित करते हैं, उनके बारे मे अच्छी बाते काही जाती हैं, शिक्षक बच्चो को धन्यवाद देते हैं, और बच्चो के साथ मिलजुल कर इस दिन सेलिब्रेट करते हैं, ज्ञानवर्धक कहानियाँ, सुनते हैं, बहुत जगह शिक्षको से केक कटाया जाता हैं। बच्चे शिक्षको को गिफ्ट भी देते हैं।
आखिर 5 सितंबर को ऐसा क्या हुआ था की इस दिन को इस तरह से स्कूलो और कलेजो मे उत्सव के साथ मनाया जाता हैं? वास्तव मे 5 सितंबर के दिन भारत के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक दार्शनिक और एक लोकप्रिय शिक्षक थे। उनके विद्यार्थी उन्हे बहुत मानते थे, बच्चो के बीच उनकी लोकप्रियता की वजह से इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप मे मनाया जाने लगा। 5 सितंबर के दिन भारत सरकार भारत भर से चुने गए बेहतरीन शिक्षको को सम्मानित करती हैं।
कौन हैं Dr Sarvepalli Radhakrishnan?
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आजाद भारत के पहले उप-राष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन दर्शनशास्त्र के लोकप्रिय एवं प्रसिद्ध शिक्षक थे। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 20वीं सदी के सबसे शिक्षित लोगो मे से एक थे, तथा वह भारत मे हिन्दुत्व दर्शन के सार्थक एवं उसके विस्तार के लिए प्रयासरत थे, वो पश्चिम दर्शन और हिन्दू दर्शन का मिलाजुला रूप का समर्थन किया करते थे। उनका मानना था की देश मे शिक्षा को विस्तार किया जाना चाहिए, और अच्छे शिक्षको बनाने के लिए सरकार को ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को मद्रास के तिरुमनी गाँव मे हुआ था। उनका जन्म एक ब्रांहण परिवार मे हुआ था। इनके पिता का नाम सर्वपल्ली विरास्वामी थी, वो एक गरीव परिवार से संबन्धित थे, किन्तु बहुत ही ज्ञानी पुरुष थे। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की शादी 16 वर्ष की उम्र मे हो गई थी, इनके 5 बेटियाँ और 1 पुत्र था, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का पुत्र का नाम सर्वपल्ली गोपाल था ये भारत के बड़े इतिहासकारो मे से एक थे। भारत के लोकप्रिय क्रिकेट खिलाड़ी वीवीएस लक्ष्मण, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के खानदान से संबंध रखते हैं। वीवीएस लक्ष्मण डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के भतीजे हैं।
डॉ राधाकृष्णन का प्रारंभिक जीवन और उपलब्धियां:
–डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को आंध्र प्रदेश के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था और वे बहुत होनहार छात्र थे। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की और दर्शनशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की और छात्रवृत्ति के माध्यम से अपनी शिक्षा पूरी की।
-उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज और मैसूर विश्वविद्यालय जैसे प्रसिद्ध भारतीय संस्थानों में भी पढ़ाया और विभिन्न पदों पर रहे।
-आंध्र प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति से लेकर मैनचेस्टर कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में व्याख्यान देने तक, उन्होंने खुद को एक अच्छे शिक्षक के रूप में स्थापित किया। वह न केवल एक मेधावी छात्र थे, बल्कि एक प्रसिद्ध शिक्षक भी थे।
-वह छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय थे और उन्होंने ‘द फिलॉसफी ऑफ रवींद्रनाथ टैगोर‘ नामक पुस्तक भी लिखी, जिसने 1917 में भारतीय दर्शन को वैश्विक मानचित्र पर रखा।
-डॉ राधाकृष्णन को नोबेल पुरस्कार के लिए कई बार नामांकित किया गया था और उन्हें 1954 में भारत रत्न पुरस्कार से भी नवाजा गया था। ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ मेरिट ने उन्हें 1963 में मानद सदस्य बना दिया था।
-उन्हें 1984 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में चुना गया और भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
-वे उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान राज्यसभा के प्रभारी थे और 16 अप्रैल, 1975 को चेन्नई में उनका निधन हो गया।
– भारत सरकार की तरफ से डॉ. राधाकृष्णन सन् 1949 से सन् 1952 तक रूस की राजधानी, मास्को में भारत के Indian Ambassador (राजदूत) पद पर नियुक्त रहे।
– डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के चौथे कुलपति के रूप मे अपनी सेवाए दी हैं। उनका कार्यकाल 1939 से 1948 तक रहा हैं।
राधाकृष्णन से जुड़े एक कहानी- स्टालिन को मानवता का पाठ पढ़ाया
राधाकृष्णन सोवियत रूस में राजदूत थे तो उस दौरान रूसी तानाशाह स्टालिन और राधाकृष्णन की एक रोचक मुलाकात हुई थी. भारत के महान कवि रामधारी दिनकर जी लिखते हैं कि डॉ. राधाकृष्णन पर मेरी भक्ति उनकी विद्वत्ता से भी अधिक उनके निर्भीकता के कारण रही है. जब वे मास्को में भारत के राजदूत थे, बहुत दिनों तक स्टालिन उनसे मुलाकात करने को तैयार नहीं हुआ. अंत में जब दोनों की मुलाकात हुई तो डॉ. राधाकृष्णन ने स्टालिन को अहिंसा की सीख पढ़ा दी थी. डॉ. राधाकृष्णन ने स्टालिन से कहा था, ‘हमारे देश में एक राजा था, जो बड़ा ही अत्याचारी और क्रूर था. उसने रक्त भरी राह से प्रगति की थी, किंतु एक युद्ध में उसके भीतर ज्ञान जग गया और तभी से उसने धर्म, शांति और अहिंसा की राह पकड़ ली. आप भी उसी रास्ते पर क्यों नहीं आ जाते?’ तानाशाह स्टालिन, एक दार्शनिक की इस बात का क्या जवाब देता. डॉ. राधाकृष्णन के जाने के बाद उसने दुभाषिए से कहा, ‘यह आदमी राजनीति नहीं जानता, वह केवल मानवता का भक्त है.’
FAQ – डॉ राधाकृष्णन जी से जुड़े कुछ प्रश-उत्तर
प्रश्न 1- राधाकृष्ण जी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर – 5 सितंबर 1888
प्रश्न 2 – राधाकृष्णन जी की माता का नाम क्या था?
उत्तर – सिताम्मा
प्रश्न 3 – राधाकृष्णन जी के पिता का नाम क्या था?
उत्तर – सर्वपल्ली विरास्वामी
प्रश्न 4 – राधाकृष्ण किन संस्थानो मे कुलपति के रूप मे अपनी सेवाए दी हैं?
उत्तर – बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, आंध्र विश्वविद्यालय , दिल्ली विश्वविद्यालय
प्रश्न 5- राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति कब से लेकर कब तक थे?
उत्तर – 1962 से 1967 तक
प्रश्न 6 – ब्रिटिश शासन काल मे उन्हे कौन सी उपाधि दी गई थी?
उत्तर – सर की उपाधि
प्रश्न 7- जर्मनी के पुस्तक प्रकाशन ने डॉ राधाकृष्णन को किस सम्मान से सम्मानित किया था?
उत्तर – विश्व शांति पुरस्कार से
प्रश्न 8 – डॉ राधा कृष्णन जी का देहावसान (निधन) कब हुआ था?
उत्तर – 17 अप्रैल 1975 को
प्रश्न 9- मरणोपरांत अमेरिकी सरकार ने डॉ राधाकृष्णन जी को कौनसा सम्मान दिया था?
उत्तर – टेंपलटन पुरस्कार