हिन्दी कहानी- दो बहने और बेरोजगारी  | Hindi St

हिन्दी कहानी- दो बहने और बेरोजगारी | Hindi Story | Hindi Kahani

दो सगी बहनें थी, एक बहुत ही आलसी थी और दूसरी बहुत ही मेहनती थी। दोनों ने अभी-अभी अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की थी। दोनों बहने नौकरी खोजने लगी, इसी दौरान देश में महामारी आ गई। और सभी उद्योग कंपनियों को नुकसान हो गया और उन्होंने नई भर्तियां करना बंद कर दिया।

अब यह दोनों बहने घर मे ही रहती और मोबाइल, फेसबुक चला कर अपने दिन बिता रही थी। छोटी बहन घर का काम करती और खाना-पीना बनाती और रात को थोड़ा मोबाइल में फेसबुक, यूट्यूब में वीडियो देखती है। वह बीजिनेस करने के विडियो देखती। बड़ी बहन आलसी थी, इसलिए उसके पास मोबाइल चलाने का बहुत समय रहता था, फेसबुक भी देखती, यूट्यूब भी देखती और ट्विटर चलाती। अभद्रता से भरे शॉर्ट विडियो देखती। और खुद भी टिकटोक के विडियो बना कर समय बर्बाद करती।

आते-जाते आस पड़ोस के लोग हमेशा दोनों बहनों को नौकरी के लिए टोका करते। क्योंकि उनके घर में काम करने वाली सिर्फ एक बूढ़ी मां थी और कोई नहीं। पड़ोसियों का नौकरी के लिए अक्सर टोका जाना बड़ी बहन को पसंद नहीं था। वह अपनी योगिता का ठीकरा सरकार पर फोड़ ने लगती। जब भी कोई उसे नौकरी के लिए टोकता तो वह बोल देती – “काका क्या करें ऐसी निकम्मी सरकार आपने चुनी है, देश में बेरोजगारी का माहौल है नौकरी कहां से करें। ”

लेकिन छोटी बहन को अपने घर की चिंता थी, वह कर्मठ लड़की थी। उसे पता था की देश का माहौल इस समय सही नहीं है। उसे पता है दूसरों को अपने भाग्य के लिए दोष देने से किस्मत नहीं बनती है।

See also  अजीत गौतम की कहानी - अमरूद का पेड़

वह घर का काम छोटे से ही करती आ रही है, इसलिए वह खाना-पीना बनाने में बहुत ही माहिर थी। उसने समोसे का ठेला खोल लिया और पास के ही चौराहे में शाम को स्वादिष्ट समोसे, पकोड़े और फूलकी बनाकर बेचने लगी।

उसका यह कार्य देखकर बड़ी बहन और उसकी तरह ही अकर्मठ और आलसी लोग छोटी बहन का उपहास उड़ाने लगते।

लेकिन छोटी बहन ने उनके उपहास की ओर ध्यान नहीं दिया और अपने कार्य पर लगी रही। उसके ठेले का नाम, अब पूरे शहर में लोकप्रिय हो गया। और उसकी दुकान खूब चलती। दुकान को चलाने के लिए अब उसने 2-4 सहायक भी रख लिए।

गांव के एक बूढ़े काका ने बड़े गर्व से लड़की की प्रशंसा करते हुए कहा कि – “हमारे भारत में ऐसे ही योग्य लोगों की जरूरत है जो नौकरी ना मांगे बल्कि नौकरियां दें।”

अब हर कोई उसकी तारीफ करता, यहां तक की अब उसकी आलसी और अकर्मठ बड़ी बहन भी अपनी छोटी बहन के ठेले में काम करने लगी। जल्दी ही उस छोटी बहन ने एक बड़ी दुकान खरीद ली और राज्य के दूसरे शहरों में भी उसके दुकान की फ्रेंचाइजी खोली जाने लगी और देखते ही देखते वह छोटी बहन लाखों रुपए महीने कमाने लगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *