इतिहास निरन्तर प्रवाहित होने वाली एक धारा है, घटनाओं और प्रवृत्तियों का क्रमिक विकास है। इसे टुकडों में न देखा जा सकता है न समझा जा सकता है क्योंकि हर नये युग की जड़े पिछले युग से होती है और भविष्य की जड़े वर्तमान में। पत्येक युग की अपनी कुछ खास विशेषताएँ होती है और इन विशेषताओं के आधार पर विद्वानों ने इतिहास को तीन मुख्य कालों में बाँटा है- प्राचीन युग, मध्य युग एवं आधुनिक युग।
आधुनिक युग की प्रारम्भ तिथि- यूरोप में आधुनिक युग का आरम्भ कब से माना जाए। इस सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद है। इस सम्बन्ध में फिशर ने लिखा है- मध्यकालीन विश्व को आधुनिक विश्व से पृथक करने के लिये कोई एक तिथि निश्चित नही की जा सकती। इस पर भी कतिपय विद्वानों का मत है कि 1453 की कुस्तुनतुनिया पर तुर्की की विजय 1492 कोलम्बस द्वारा अमेरिका की खोज 1498 वास्कोडिगामा का भारत पहुँचना और 1517 में मार्टिन लूथर द्वारा धर्म सुधार आन्दोलन का प्रारम्भ से आधुनिक युग का श्री गणेश माना जा सकता है। शेविल महोदय ने बौद्धिक जागरण से इसका प्रारम्भ माना है उनसे सहमत होते हुए कुछ विद्वानों ने विचार प्रकट किये हैं कि बौद्धिक जागरण के कारण ही विश्व में शिक्षा ज्ञान-विज्ञान तथा मानव विकास के सिद्धान्तों का प्रसार हुआ। इन सबके विपरीत एक्टन महोदय ने उस्मानी तुर्को की विजय से यूरोप में आधुनिक युग का प्रारम्भ माना है। वस्तुत: 1453 में कुस्तुन्तुनिया ( आधुनिक इस्तम्बुल ) पर तुर्को के अधिकार कर लेने के फलस्वरूप यूरोप में क्रान्तिकारी परिवर्तन शुरू हो गये। वास्तव मे उक्त सभी वस्तुएँ तुर्क विजय के फलस्वरूप ही घटी थीं। इसी कारण 1453 ई. से यूरोप का आधुनिक युग का प्रारम्भ होना माना जाता है।
आधुनिक युग की प्रमुख विशेषताएँ
आधुनिक युग के प्रारम्भ होते ही यूरोप में अनेक प्रमुख परिवर्तन हुए। यूरोप के राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक जीवन ने अपना मध्यकालीन स्वरूप छोड़कर सर्वथा नवीन स्वरूप धारण किया। आधुनिक यूग की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं-
- शक्तिशाली राज्यों का अभ्युदय- शक्तिशाली राज्यों का अभ्युदय आधुनिक काल की एक महान् विशेषता है। जैसे ही बारूद का आविष्कार हुआ वैसे की सामन्तों की शक्ति का हास हो गया। सामन्तों की शक्ति क्षीण हो जाने से राजाओं की शक्ति बढ़ गई। अपनी इस शक्ति के आधार पर सम्राटों की शक्ति को समाप्त करके शक्तिशाली केन्द्रीय शासन का सूत्रपात किया। इस परिवर्तित परिस्थितियों ने राज्य क्रान्तियों को जन्म दिया जिसके परिणामस्वरूप नगरों का विकास सम्भव हो सका।
- राष्ट्रीय भावना में वृद्धि- मध्यकालीन लोग पोप की पूजा अन्धविश्वास के कारण अधिक किया करते थे। पोप के अधीन विश्वव्यापी चर्च था एवं सम्राट के अधीन विश्वव्यापी राज्य। पोप को लोग विश्व का सम्राट भी मानते थे। प्रत्येक देश में विभिन्न विचारधाराओं के लोग थे। अत: राष्ट्रीय भावना कोई स्थान नहीं था। सामन्तवाद के समाप्त होते ही राज्य सत्ता सम्राट के हाथ में आ गई और जनता अपने को एक ही सम्राट के अधीन समझन लगी। इस प्रकार धीरे-धीरे लोगों में राष्ट्रीय भावना का विकास सम्भव हो सका। धीरे-धीरे लोगों में राष्ट्रीय भावना अन्तर्राष्ट्रीय भावना में परिवर्तित हो रही है।
- व्यापार की उन्नति- यूरोप का व्यापार पाँचवी शताब्दी के आक्रमणों के कारण धीरे-धीरे समाप्त हो गया था। आधुनिक युग के आते ही यूरोप में शांति एवं सुव्यवस्था की स्थापना हुई और धीरे-धीरे व्यापार विकसित होने लगा। 1453 ई. में कुस्तुनतुनिया की विजय ने विषय के देशों के लिये समुद्री मार्गो को खोल दिया। बड़े-बड़े नगरों की स्थापना के कारण भी व्यापार में आशातीत उन्नति सम्भव हो सकी।
- राष्ट्रीय भाषा और राष्ट्रीय साहित्य का विकास- राष्ट्रीय भावना के साथ-साथ राष्ट्रीय साहित्य में भी अभिवृद्धि हुई। पहले लेटिन भाषा ही सब कुछ थी। परन्तु आधुनिक युग में अपनी-अपनी राष्ट्र भाषा बढ़ी। मार्टिन लूथर ने बाइबिल का अनुवाद जर्मन भाषा में किया फ्रांस और इंग्लैण्ड में राष्ट्रीयतस बढी जिससे बौद्धिक विकास में योगदान मिला।
- पूँजीवाद का जन्म- आधुनिक यूरोप में सामन्तवाद के स्थान पर पूँजीवाद का जन्म हुआ। पूँजीपतियों ने मजदूरों पर अनेक प्रकार के अत्याचार करने शुरू कर दिये अत: दोनों के मध्य में संघर्ष चल पड़ा। सरकार ने इसमें किसी प्रकार से हस्तक्षेप नही किया, जिससे मजदूरों की दशा बहुत ही खराब हो गई। पूँजीपतियों तथा श्रमिकों के बीच ऐसी खाई पैदा हो गई, जिसका पाटना कठिन दिखाई देने लगा।
- मध्यम वर्ग का प्रादुर्भाव- व्यापार तथा नगरों के विकास ने समाज में एक नवीन वर्ग को जन्म दिया। इस वर्ग को मध्यम वर्ग कहा जाता है। इस नवीन वर्ग ने कालान्तर में अपनी शक्ति के आधार पर सामाजिक व्यवस्था की काया पलट दी। धीरे-धीरे यह वर्ग धनी हुआ और उसने सामन्तों से लोहा लेकर उन्हें नीचा दिखलाया।
- धर्म सुधार- धार्मिक क्षेत्र में सुधार आधुनिक युग की एक महान् विशेषता है। लोगों ने अपने तर्क के आधार पर अन्धविश्वास का गला घोट दिया। इस आन्दोलन का परिणाम यह हुआ कि धीरे-धीरे जो त्रुटियाँ धर्म के क्षेत्र में घर कर गई थी समाप्त हो गई।
- नवीन आविष्कार- नवीन आविष्कारों की भरमार भी आधुनिक युग की एक महान् विशेषता थी। इन आविष्कारों ने लोगों के विचारों को इधर-उधर फैलाने में महान् सहायता दी। छापखाने के आविष्कारों ने पोप तथा सामन्तों की शक्ति को समाप्त करने में योग दिया।
- नवीन भौगोलिक अन्वेषण- भौगोलिक अन्वेषणों को भी आधुनिक युग में कम स्थान नहीं है। 1453 ई. में यूरोप का व्यापार एशिया के लिये कुस्तुनतुनिया विजित होने पर समाप्त हो गया। अब अन्य देशों के निवासियों ने मार्गो को खोजना आरम्भ कर दिया। इसके परिणामस्वरूप भारत तथा अमेरिका का पता चला। अब लोगों के लिये व्यापार का क्षेत्र काफी विशाल हो गया।
- औपनिवेशिक विस्तार- औपनिवेशिक विस्तार भी आधुनिक यूरोप की एक महान् विशेषता थीं। दूसरे शब्दों में हम कह सकते है कि आधुनिक युग का प्रारम्भ औपनिवेशिक साम्राज्य में हुआ। धर्म सुरक्षा आन्दोलन में भी लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक भागे और बस गय। नवीन देशों का पता लगने पर लोगों ने वहाँ अपनी सत्ता स्थापित कर ली। धीरे-धीरे औपनिवेशिक विस्तार को लेकर महान् उथल-पुथल मच गई। लोगों ने धीरे-धीरे विश्व के कोने-कोने में अपने व्यापारिक अड्डे स्थापित कर लिये।
- नवीन नगरों की स्थापना- औपनिवेशिक वृद्धि के साथ-साथ नगरों की वृद्धि हुई। इन नगरों में औद्योगिक केन्द्रों की स्थापना हुई। लोगों का सम्पर्क आपस में स्थापित हो गया। इसमें लोगों को आर्थिक लाभ भी हुआ।
- धर्म प्रचार- यात्रा की अनेक सुविधाएँ हो जाने पर चर्च ने विश्व के कोने-कोने में धर्म प्रचार के लिये योजना बनाई। समस्त देशों में चर्च की शाखाएँ खोली गई। इन चर्चो ने विश्व में ईसाई शिक्षा को प्रोत्साहित किया।
- नवीन अर्थव्यवस्था- मध्यकालीन अर्थव्यवस्था व्यापारियों पर निर्भर करती थी। भौगोलिक अन्वेषणों के कारण व्यापारियों की श्रेणियों समाप्त हो गई। इसके स्थान पर ज्वाइन्ट स्टॉक कम्पनियों का सूत्रपात हुआ। अब राज्य की ओर से व्यापार तथा उद्योग धन्धों के लिये नियम भी बनाये जाने लगे। व्यापारियों की सुविधा के लिये अन्तर्राष्ट्रीय नियमों को बनवाया गया। विशाल कारखानों की स्थापना के कारण साम्राज्यवाद एवं पूँजीवाद का उदय हुआ। इस प्रकार अनेक परिवर्तन हुए जिनके कारण आधुनिक युग का भी श्री गणेश हुआ।