कम्प्यूटर का परिचय (Introduction of Computer)

कम्प्यूटर का परिचय (Introduction of Computer)

वह व्यक्ति जिसे हम ‘‘कम्प्यूटर्स का पिता’’ कहते हैं एवं इंग्लिश गणितज्ञ, चार्ल्स बेवेज है, जो आधुनिक कम्प्यूटर के पुरातन रूप की अवधारणा के लिए उत्तरदायी है। इनको अविष्कार उस समस्या का समाधान था, जिसका सामना उन्नीसवीं सदी के दौरान किया जा रहा था, अर्थात् गणितीय तथा सांख्यिकीय टेबल्स के निर्माण में बहुत ही सावधानियाँ रखी जा रही थी, लेकिन मानवीय त्रुटियों को निष्कासित नहीं किया जा सका। इस समस्या के साथ चार्ल्स बेवेज ने सन् 1822 में एक प्रारंभिक कम्प्यूटर का निर्माण किया जिसे ‘‘डिफरेंस इंजन’’ कहा गया जो विश्वसनीय टेबल्स का निर्माण कर सकता था, जिसे पूर्णतः स्वचालित बनाने का उद्देश्य था। बेसिक इनपुट तथा आउटपुट के लिए इस मशीन में इनपुट/आउटपुट डिवाइस के रूप में पंच कार्ड्स का उपयोग होता था। इस मशीन की आधारीय विशेषताएं आधुनिक कम्पयूटर्स में अभी भी पाई जा सकती है, यही वह कारणा तथा जिसे कम्प्यूटर में अभी भी पाई जा सकती है, यही वह कारण था जिसे कम्पयूटर के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए कम्पयूटर्स कार्य के लिए कम्प्यूटर्स का पिता कहा गया।

‘‘कम्प्यूटर’’ की परिभाषा

इस कम्पयूटर अर्थात संगणक शब्द की व्युत्पत्ति अंग्रेजी के शब्द ‘‘कम्प्यूट’’ अर्थात संगणना करने से हुई। अतएव कम्प्यूटर (संगणक) को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है :-

‘‘एक ऐसी इलेक्ट्रानिक डिवाइस जिसका उपयोग संगणनाओं को करने के लिए किया जाता है, और जिसके द्वारा अंकगणित और तार्किक कार्यों को काफी शीघ्रतापूर्वक और परिशुद्ध रूप से किया जा सकता है।’’

अधिक सटीक रूप से कहा जाए तो कम्प्यूटर एक ऐसी डिवाइस है जो आंकड़ो पर कार्य किया करता है। यह अपनी इनपुट डिवाइसों के माध्यम से इनपुट को ग्रहण किया करता है, उन्हें प्रोसेस करता है  सीपीयू में और वांछित आउटपुट को विभिन्न आउटपुट डिवाइसों पर प्रस्तुत किया करता है। इस कम्प्यूटर में मानवीय भाषा की समझ नहीं हुआ करती है। यह तो बाइनरी रूप से अर्थात 0 और 1 (दो-स्थिति ऑपरेशन) में ही कार्य करता है।

कम्प्यूटर्स की विशेषताएं :

कम्प्यूटर के संबंध में विशेष कुछ क्या है? जी हाँ, इसकी विशिष्टताए ही वे कुछ है जो अन्य मशीनों की तुलना में अलग स्वरूप प्रदान किया करती है। कम्प्यूटर की महत्वपूर्ण विशिष्टताएं निम्नवत रूप से है :

कम्प्युटर की गति

कम्प्यूटर द्वारा अपना कार्य इलेक्ट्रिकल पल्सेस  पर किया जाता है जो अविस्मरणीय गतियों पर गतिमान हुआ करती है, और चूंकि कम्प्यूटर तो इलेक्ट्रॉनिक है इसलिए इसकी आंतरिक गति तो तत्कालिक ही हुआ करती हैं किसी अंकगणितीय गणना को तो एक सेकण्ड के हजारवें, लाख, अरब या खरब भाग में ही किया जा सकता है। इसमें तो एक सेकण्ड में ही दस हजार से भी अधिक आदेशों को कार्यरूप देने की क्षमता होती है।

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कम्प्युटर मे स्टोरेज

कम्प्यूटर की यह काफी महत्वपूर्ण विशिटता है जो इसे अन्य मशीनों की तुलना में एक अलग स्वरूप प्रदान किया करती है। इसमें स्टोरेज (भण्डारण) की सबसे लघुतम इकाई को बिट (बाइनरी डिजिट का संक्षिप्त रूप) कहा जाता है। कम्प्यूटर जिस गति से डाटा को इनपुट करने और प्रोसेसिंग के लिए ओदश दि जाने का कार्य किया जाता है : वह तो मानवीय रूप से असंभव ही है। सेन्ट्रल प्रोसेसिंग युनिट में उपलब्ध स्टोरेज का स्थान सीमित होता है और इसलिए डाटा की बड़ी मात्रा और सभी अपेक्षित प्रोग्राम्स के संपूर्ण आदेशों का स्टोरेज नहीं किया जात सकता। प्रोसेसिंग के समय बाहर ही इनका स्टोरेज नहीं किया जा सकता। प्रोसेसिंग के समय बाहर ही इनका स्टोरेज किया जाता है और प्रोसेसिंग के समय पर इन्हें सी.पी.यू. मेमोरी में पढ़ा जाया करता है।

परिशुद्धता

भ्रमपूर्ण अखबारी शीर्षकों के बाद भी कम्प्यूटर की परिशुद्धता को निरंतर रूप से अच्छी ही हुआ करती है। मशीनरी में त्रुटियों हो सकती है किन्तु त्रुटि-निवारण तकनीकों में बढ़ती कुशलता के कारण इनसे शायद ही गलत परिणाम आते हों। लगभग बिना किसी अपवाद के ही कम्प्यूटर की त्रुटियाँ तो मानवीय भूलों का कारण ही हुआ करती है न कि किसी प्रौद्योगिकीय कमजोरियों से-अर्थात् ये त्रुटियाँ तो प्रोग्रामर की अशुद्ध सोच या फिर अशुद्ध आंकड़ो या फिर निकृष्ट डिजाइन प्रणाली के कारण ही हुआ करती है।

सर्वतोमुखी प्रतिभा

कम्प्यूटर्स लगभग किसी भी कार्य को कर पाने में सक्षम हुआ करते हैं बशर्ते कि कार्य की तर्कबद्ध चरणों के रूप में सीमाबद्ध कर दिया जाए। उदाहरणार्थ वेतनचिट्ठे को तैयार करते अथवा यातायात के प्रवाह को नियंत्रित करने के कार्य को विभिन्न ऑपरेशन्स को एक तर्कसंगत क्रम में विभक्त किया जा सकता है जबकि किसी खरीदी की ध्वनि की तुलना वर्मिर से नहीं की जा सकती। फिर भी, स्वयं कम्प्यूटर की क्षमता को सीमित ही होती है और अंततः विश्लेषण में इसके द्वारा केवल चार आधारगत ऑपरेशन्स ही किए जा सकते हैं :

  1. इसके द्वारा अपनी प्ध्व् कि डिवाइसेस के माध्यम से ही बाहरी दुनिया से सूचना का आदान-प्रदान किया जाता है।
  2. इसके द्वारा आंतरिक रूप से सी.पी.यू. के भीतर ही डाटा को ट्रांसफर किया जाता है।
  3. इसके द्वारा आधारगत अंकगणितीय ऑपरेशन्स को किया जाता है।
  4. इसके द्वारा तुलनागत कार्यों को किया जाता है।
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एक प्रकार से यह कम्प्यूटर सर्वतोमुखी प्रतिभा वाला नहीं होता क्योंकि यह अपने उक्त भार आधारगत कार्यालापों तक ही सीमाबद्ध रहा करता है। फिर भी, चूंकि इन्हीं कार्यालपों को लाया जा सकता है कि ऐसा प्रतीत होने लगता है कि कम्प्यूटर्स तो उच्च कोटि के प्रवीण हैं। प्रोग्रामिंग तो वह कौशल है जिसके द्वारा किसी भी निर्दिष्ट समस्या को इन थोड़े से ऑपरेशन्स में समेटा जा सकता है।

ऑटोमेशन

कम्प्यूटर किसी एडिंग मशीन, केलकुलेटर या चेक आउट से काफी अधिक कुछ है जिसके लिए मनुष्य रूपी ऑपरेटर द्वारा किए जाने वाले ऑपरेशन्स के लिए आवश्यक कुंजियों को दबाने की आवश्यकता हुआ करती है। प्रोग्राम जब एक बार कम्प्यूटर की मेमोरी में पहुँच जाया करता है तब अलग-अलग आदेशों को एक के बाद एक कार्यरूप देने के लिए कंट्रोल यूनिट को ट्रांसफर किया जाता है। सी.पी.यू. द्वारा अन्तिम आदेश मिलने तक कार्य किया जाता है। जो तब स्टॉप प्रोग्राम एक्जीक्यूशन’ की घोषणा किया करता है। बेबेज ने जब दावा किया था कि इसका एनालिटिकल इंजिन तो ऑटोमेटिक ही होगा तब उसका आशय यह था कि प्रोसेस एक बार प्रारंभ होने के उपरान्त संपूर्णतया तक बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के ही जारी रह सकेगा।

कर्मनिष्ठा

अपने मशीनी स्वरूप के कारण कम्प्यूटर में कभी भी इंसानी थकावट या एकाग्रता के अभाव की शिकायतें उत्पन्न नहीं हुआ करती। इसे यदि 30 लाख गणनाएं करनी हों तो इसके द्वारा पहली गणना की ही परिशुद्धता और गति के प्रारंभ करके ठीक इसी प्रकार 30 लाख गणनाओं तक कर्मनिष्ठता का परिचय दिया जाता हैं जिन लोगों को अति बारम्बारता वाले कार्यों को किया जातना है वे इसी कारण से ही कम्प्यूटर को अपने लिए एक खतरे के रूप में स्वीकार यिका करते हैं। किन्तु जो लोग आउटपुट की निरन्तर विश्वसनीयता पर भरोसा किया करते हैं – जैसे कि तेल की रिफाइनिंग और अन्य रासायनिक प्रक्रियाओं में गुणवत्ता नियंत्रण का कार्य किया करते हैं – उनके लिए यही कम्प्यूटर एक काफी भरोसेमंद सहायक बन जाया करता है।

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