स्कन्द षष्ठी : संतान के लंबी उम्र के लिए रखे आज व्रत

स्कन्द षष्ठी : संतान के लंबी उम्र के लिए रखे आज व्रत

कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष के षष्ठी के दिन को भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है, भगवान कार्तिकेय को स्कंद कुमार के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को स्कंद छठी कहते हैं। इस दिन जो भी व्यक्ति व्रत करता है और भगवान कार्तिकेय की पूजा करता है उस व्यक्ति की संतान की उम्र लंबी होती है और स्वास्थ्य निरोगी होता है। आज के दिन भारतीय माताएं और कहीं-कहीं पर पिता भी अपने पुत्र-पुत्री की लंबी आयु की कामना से प्रेरित होकर व्रत रखते हैं और शाम होते कार्तिकेय भगवान की स्तुति करके तथा पूजा पाठ करके कथा सुनते हैं।

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि भगवान कार्तिकेय छठी तिथि के स्वामी हैं और इस महीने उन्होंने एक बहुत ही बलवान और ताकतवर असुर को मारा था।

आज का दिन विशेष क्यो हैं?

भगवान शिव और माता पार्वती के पहले पुत्र कार्तिकेय हैं, कार्तिकेय ने कार्तिक के महीने की कृष्णपक्ष के छठवें दिन ताकतवर राक्षस और अत्याचारी तरकासुर का वध किया था। इस दिन को इस लिए विशेष माना जाता हैं, और इस लिए इस महीने का नाम कार्तिक रखा गया हैं। इसके अलावा कार्तिकेय भगवान सभी देवताओ के सेनापति हैं। कार्तिकेय भगवान की पुजा-अर्चना तथा व्रत करने से पुत्र-पुत्री दीर्घायु होते हैं, तथा शत्रु की पराजय होती हैं।

कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं और शक्ति के अधिदेव हैं

भगवान स्कंद यानी कि कार्तिक भगवान शक्ति के अधिदेव हैं। इसके अलावा वह देवताओं के सेनापति भी हैं, कार्तिकेय भगवान की पूजा दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा की जाती है तथा इन्हें मुरूगन के नाम से भी दक्षिण भारत में जाना जाता है। कार्तिकेय भगवान हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं और इन्हें स्कंध एवं मुरूगन नाम से भी जाना जाता है।

See also  पीला पुखराज पहनने के फायदे | pukhraj stone benefits in hindi

भगवान कार्तिकेय आदिदेव महा भोले शिव शंकर एवं महा देवी पार्वती के पुत्र हैं, तमिल हिंदू भगवान कार्तिकेय को बहुत ज्यादा मानते हैं एवं उनकी पूजा करते हैं। उत्तर भारत की तुलना में तमिलनाडु में सबसे ज्यादा पूजा कार्तिकेय भगवान की होती है, पूरे भारत में कार्तिकेय भगवान का सबसे प्रसिद्ध मंदिर भी तमिलनाडु में ही स्थित है।

पूजा और व्रत के नियम

स्कंद छठी पर भगवान शंकर और माता पार्वती जी की पूजा अर्चना की जाती है। लोग स्नान करके मंदिरों में जाते हैं और 12 ज्योतिर्लिंग जहां पर स्थापित होते हैं, वहां उन्हें जल अर्पित करते हैं। इसके साथ ही घर में अखंड दीप जलाते हैं, भगवान को स्नान करवाते हैं इसके लिए दूध, शक्कर, शहद, गंगाजल का इस्तेमाल किया जाता है। स्नान के बाद भगवान को भोग लगाया जाता है और शाम को विशेष पूजा अर्चना करके व्रत सुना जाता है। इस दिन मांस और मदिरा आदि का त्याग करना चाहिए।

स्कंद छठी व्रत का कहानी

स्कंद पुराण के अनुसार नारद-नारायण संवाद में संतान प्राप्ति के लिए और संतान के कष्टो को दूर करने के लिए इस व्रत का विधान बताया गया है। एक दिन पहले से उपवास करके कार्तिकेय भगवान की पूजा करनी चाहिए। कार्तिकेय भगवान की पूजा करने से दुश्मनों पर जीत मिलती है। इसके साथ ही कई तरह की परेशानियां भी दूर होती हैं। पुराणों के अनुसार बताया गया है कि चमन ऋषि ने स्कंद छठी की उपासना की थी, जिसके बाद उनकी आंखों को ज्योति प्राप्त हुई थी। वही एक पुराण में बताया गया है कि स्कंद षष्ठी की कृपा से प्रियव्रत नाम के व्यक्ति का मरा हुआ पुत्र जीवित हो गया था।

See also  सपने में तारे देखना | sapne me tare dekhna

भगवान मुरूगन कौन हैं?

ऊपर के लेख पढ़ कर पता चल गया होगा , की मुरूगन और कोई नहीं बल्कि भगवान शंकर और माता पार्वती के सबसे बड़े पुत्र कार्तिकेय को ही दक्षिण भारत मे कहा जाता हैं। उत्तर भारत की तुलना से सबसे ज्यादा कार्तिकेय भगवान की पुजा दक्षिण भारत मे होती हैं, इसके अलावा कार्तिकेय भगवान यानि की मुरूगन की सबसे ज्यादा मंदिर दक्षिण भारत मे ही स्थित हैं। तमिल हिन्दू के प्रमुख देवता हैं मुरूगन। मुरूगन भगवान को स्कन्द और कार्तिकेय के नाम से जाना जाता हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *