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2023 मार्च में ग्यारस कब हैं? | 2023 March me Gyaras kab hai

मार्च मे ग्यारस कब हैं? | March me Gyaras kab hai

हर महीने ग्यारस के दो व्रत होते हैं। इसलिए मार्च के महीने मे भी दो ग्यारस है। पहली ग्यारस 03 मार्च 2023 को हैं, इस ग्यारस को अमलकी एकादशी या फिर आमलकी ग्यारस भी कहते हैं। हिन्दू कलेंडर के अनुसार अमलकी ग्यारस फाल्गुन के महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ता हैं। आमलकी ग्यारस 02 मार्च 2023 की सुबह 06:39 पर प्रारम्भ होगा, तथा 03 मार्च 2023 की सुबह 09:11 पर समाप्त हो जाएगा। उदयातिथि के अनुसार अमलकी ग्यारस 03 मार्च 2023 को मनाया जाएगा।

  • आमलकी ग्यारस कब है -> 03 मार्च 2023 (उदयातिथि)
  • शुभ मुहूर्त – सुबह 06:45 से लेकर सुबह 11:06 बजते तक
  • अमलकी ग्यारस का व्रत पारण समय – 04 मार्च 2023 को सुबह 06:25 से सुबह 08:46 तक

जबकि मार्च महीने का दूसरा ग्यारस 18 मार्च 2023 के दिन मनाया जाएगा। इस ग्यारस को पापमोचनी ग्यारस कहा जाता हैं। पापमोचनी ग्यारस हिन्दू कलेंडर के अनुसार चैत्र के महीने मे कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता हैं। पापमोचनी ग्यारस 17 मार्च 2023 की दोपहर 02:06 पर प्रारम्भ होगा और अगले दिन 18 मार्च 2023 की सुबह 11:13 पर समाप्त हो जाएगा। उदयातिथि के अनुसार 18 मार्च को ही पापमोचनी ग्यारस मनाया जाएगा।

  • पापमोचनी ग्यारस कब है– 18 मार्च 2023 (उदयातिथि)
  • व्रत पारण का समय -> 19 मार्च 2023 को सुबह 06:10 से सुबह के 08:07 तक

2023 मार्च मे ग्यारस कब की है |

  • मार्च का पहला ग्यारस  – 03 मार्च 2023 (अमलकी एकादशी)
  • मार्च का दूसरा ग्यारस – 18 मार्च 2023 (पापमोचनी एकादशी)
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ग्यारस का व्रत कब पारण किया जाता हैं? gyaras ka vrat paran

एकादशी के व्रत को जब समाप्त किया जाता है या टोडा जाता है तो उसे पारण कहा जाता है। ग्यारस के व्रत को अगले दिन सूर्य उदय होने के बाद ही तोड़ा जाता है यानी पारण किया जाता है। एकादशी व्रत को द्वादशी समाप्त होने के पहले ही पारण कर लेना जरूरी है।

जो भाग एकादशी या ग्यारस का व्रत कर रहे हैं उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि जब वह व्रत तोड़े तो उस समय हरि वासर का दौर ना चल रहा हो। हरि वासर समाप्त होने का इंतजार करें उसके बाद ही व्रत को तोड़े। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती है। जब यह समय बीत जाए तभी व्रत का पारण करना चाहिए। एकादशी व्रत को समाप्त करने का सबसे अच्छा समय प्रातः काल होता है। एकादशी का व्रत करने वाले भक्तों को दोपहर के दौरान व्रत का पारण करने से बचना चाहिए।

कभी-कभी ऐसा होता है की एकादशी का व्रत लगातार दो दिन हो जाता है तब ऐसी स्थिति में पहले दिन वाले एकादशी का व्रत करना चाहिए दूसरे दिन पड़ने वाली एकादशी को दूजी एकादशी के नाम से जाना जाता है। दूजी एकादशी का व्रत सन्यासियों विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक भक्तों को करना चाहिए।

अमलकी ग्यारस के व्रत का महत्व | amalaki gyaras ka mahatva

प्राचीन कथा के अनुसार एक बार ब्रम्हा जी को अपने जन्म की कथा जानने की इच्छा हुई, तथा उन्हे अपने जन्म के उद्देश्य के बारे मे नहीं पता था। इसलिए ब्रम्हा जी के मन मे कई प्रश्न थे, उन्हे अपने इन प्रश्नो का उत्तर जानना था, इसलिए उन्होने अपने जन्म के रहस्य को जानने के लिए कठिन तपस्या शुरू कर दी। भगवान विष्णु उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर, उन्हे अपना दर्शन दिया। ब्रम्हा जी ने जब भगवान विष्णु को देख तो ब्रम्हा जी के आंखो से आँसू बहाने लगे, ब्रम्हा जी के आँसू जब धरती पर गिरे तो वहाँ पर आंवले का पेड़ उत्पन्न हुआ। भगवान विष्णु ने जब आंवले के वृक्ष को देखा तो उसे देव वृक्ष कहा और यह भी कहा कि इस वृक्ष में देवी देवताओं का वास होगा। जो भी इंसान आमले के वृक्ष के नीचे बैठकर उनकी पूजा करेगा और व्रत रखेगा उसके सभी पाप और दोष दूर हो जाएंगे तथा उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी और वह स्वर्ग का अधिकारी होगा। उसी समय से प्रतिवर्ष फागुन के शुक्ल पक्ष की एकादशी को अम्लकी एकादशी या अम्लकी ग्यारस का व्रत किया जाता है और आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। इसी प्रकार आंवला नवमी के दिन भी आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर उसकी पूजा की जाती है।

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पापमोचनी ग्यारस के व्रत का महत्व | papmochani gyaras ka mahatva

पापमोचनी एकादशी सभी एकादशी में विशेष महत्व रखती है क्योंकि इस व्रत को करने वाले व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है। जो व्यक्ति एकादशी के व्रत को नियमित रूप से रखता है उसके मन की चंचलता और दोष दूर हो जाते हैं। पापनाशिनी एकादशी के व्रत से पापों का नाश होता है जिससे व्यक्ति के अंदर पुण्य कर्म की भावना जाती है जिससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में प्रसन्नता और धन तथा अच्छे स्वास्थ्य का वास होता है। पापमोचनी एकादशी के व्रत से आरोग्यता संतान प्राप्ति और पाप से मुक्ति के तीनों मिलते हैं तथा कई ग्रह निशांत होते हैं जिससे जीवन सरल और सुख में हो जाता है।

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4 comments

  1. March me gyaras ke sabhi aur sahi jankari is website me mil gai hain, mai bahut hi satisfied feel kar Rahi hu. Thanku for this content.

  2. March me gyaras ki sampurn janakari Dene ke liye dhanyavad. March 2023 me ek gyaras 03 March ko hain, jabki dusara gyaras 18 March ko hain. Dhanyavaad is article ko likhane ke baare me.

  3. मुझे नहीं पता था की एकादशी को ही ग्यारस कहा जाता है। इस वेबसाइट के माध्यम से मुझे पता चला कि प्यारा और एकादशी दोनों एक ही है। इस आर्टिकल को लिखने के लिए धन्यवाद।

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