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जापान की राजधानी | जापान की मुद्रा

जापान की राजधानी

जापान एशिया के पूर्व मे स्थित एक देश हैं, जिसकी राजधानी वर्तमान मे टोक्यो हैं। समय के साथ-साथ इतिहास मे जापान की कई राजधानी रह चुकी हैं। लेकिन टोक्यो को 1941 से जापान की राजधानी होने का गौरव प्राप्त हैं।

1868 मे जापान के सम्राट और जापान के सरकार को क्योटो से हटाकर एदों में स्थानांतरित कर दिया गया था। बाद मे एदों का नाम बादल कर टोक्यो कर दिया गया। और जैसे की ऊपर बताया जा चुका हैं की 1941 में शिक्षा मंत्रालय ने टोक्यो को राजधानी के रूप मे मान्यता दे दी थी। परंपरानुगत जिस जगह पर जापान का सम्राट निवास करता था उसी जगह को देश की राजधानी माना जाता था। टोक्यो के पहले जापान की राजधानी योशीनों हुआ करती थी, और योशीनों के पहले जापान की राजधानी क्योटो हुआ करती थी।

जापान की मुद्रा

जापान की मुद्रा को “जापानी येन” के नाम से जाना जाता हैं, विश्व मे अमेरिकी डॉलर और यूरो के बाद जापान की मुद्रा “येन” विश्व की तीसरी सबसे बड़ी व्यापारिक मुद्रा हैं। जापानी भाषा मे येन का मतलब गोल वस्तु होता हैं। अँग्रेजी बोलचाल और उच्चारण मे जापानी मुद्रा को “येन” बोला जाता हैं। जापान मे काफी पुराने समय से अंग्रेज़ो का व्यापारिक संबंध था, जिसकी वजह से अंग्रेज़ जापानी मुद्रा को येन बोलते थे और यही कारण हैं की अब जापान की मुद्रा का प्रचलित नाम येन हैं। 1870 के समय जापान मे चाँदी, स्वर्ण और तांबे के सिक्के चला करते थे।

  1. जापान मे वर्तमान मे चल रहे सिक्के की सबसे छोटी मुद्रा 1 येन की हैं। इस सिक्को को सुद्ध एलोमीनियम से बनाया गया हैं।
  2. जबकि जापान में वर्तमान मे चल रहे सिक्के की बड़ी मुद्रा 500 येन हैं। इस सिक्के के निर्माण मे 75% तांबा, 12.5% जिंक और 12.5% निकाल को मिश्रित करके बनाया गया हैं।
  3. अगर नोट की बात करे तो जापान मे सबसे छोटी मुद्रा 1000 येन की हैं। इस नोट मे जापान के एक बैकटेरिओलोजिस्ट हाइडियो निगुची की तस्वीर बनी हुई हैं।
  4. इसके साथ ही नोट मे सबसे बड़ी मुद्रा 10,000 येन की हैं, इस नोट मे जापान के दर्शनशास्त्री फुकुजवायूकिची की तस्वीर अंकित हैं।

जापान का झण्डा

जापान का झण्डे का आकार चौकोर हैं और यह सफ़ेद रंग का हैं, इस चौकोर आकार के बीचों बीच एक लाल रंग की गोल आकृति को रखा गया हैं। जापान मे इस झंडे को “नीशोकी” कहा जाता हैं, जिसका अर्थ “सूरज का झण्डा” होता हैं, लेकिन जापान के लोग इस झंडे को हिनोमारू भी कहते हैं, जिसका अर्थ हैं “सूरज का गोला”। जापान के झंडे को नीचे प्रदर्शित किया गया हैं।

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japan ka jhada | जापान का झण्डा

जापान के झने का अनुपात 2:3 हैं, यानि की जापान के झंडे की लंबाई अगर 6 फिट होगी तो चौड़ाई 9 फिट होगी। इस झंडे को पहली बार 27 फरवरी 1870 को अपनाया गया था और 13 अगस्त 1999 को इसे आधिकारिक रूप से राष्ट्रिय झण्डा के रूप मे स्वीकार्य किया गया था।

जापान के प्रधानमंत्री

क्रमांक जापान के प्रधानमंत्रियों के नाम कार्यकाल की समयावधि
92 किशिदा फुमियो  2021– वर्तमान
91 सुगा योशिहाइड  2020–21
90 अबे शिंजो  2012–20 दूसरी बार
89 नोडा योशिहिको  2011–12
88 कान नाओटो  2010-11
87 हटोयामा युकिओ  2009-10
86 सो तारो  2008-09
85 फुकुदा यासुओ  2007–08
84 अबे शिंजो  2006-07 पहली बार
83 कोइज़ुमी जुनिचिरो  2001–06
82 मोरी योशीरो  2000–01
81 ओबुची कीज़ो  1998-2000
80 हाशिमोतो रायतारो  1996–98
79 मुरायामा तोमिची  1994–96
78 होसोकावा मोरिहिरो  1993–94
77 मियाज़ावा किइची  1991–93
76 कैफू तोशिकी  1989–91
75 ताकेशिता नोबोरू  1987-89
74 नकासोने यासुहीरो  1984–87 दूसरी बार
73 नकासोने यासुहीरो  1982-84 पहली बार
72 सुजुकी ज़ेंको  1980-82
71 ओहिरा मसायोशी  1979-80 दूसरी बार
70 ओहिरा मासायोशी  1978-79 पहली बार
69 फुकुदा ताकेओ  1976-78
68 मिकी टेको  1974-76
67 तनाका काकुई  1972-74 दूसरी बार
66 तनाका काकुई  1972 पहली बार
65 सातो ईसाकु  1970-72 तीसरी बार
64 सातो ईसाकु  1967-70 दूसरी बार
63 सातो ईसाकु  1964–67 पहली बार
62 इकेदा हयातो  1963–64 तीसरी बार
61 इकेदा हयातो  1960-63 दूसरी बार
60 इकेदा हयातो  1960 पहली बार
59 किशी नोबुसुके  1958-60 दूसरी बार
58 किशी नोबुसुके  1957-58 पहली बार
57 इशिबाशी तंज़ान  1956-57
56 हुतोयामा इचिरो  1955-56 तीसरी बार
55 हटोयामा इचिरो  1955 दूसरी बार
54 हटोयामा इचिरो  1954-55 पहली बार
53 योशिदा शिगेरु  1953-54 5वीं बार
52 योशिदा शिगेरु  1952–53 चौथी बार
51 योशिदा शिगेरु  1949–52 तीसरी बार
50 योशिदा शिगेरू  1948-49 दूसरी बार
49 कात्यामा तेत्सु  1947-48
48 योशिदा शिगेरू  1946–47 पहली बार
47 शिदेहरा किजुरो  1945-46
46 कोइसो कुनियाकी  1944-45
45 तोजो हिदेकी  1941-44
44 कोनो फुमिमारो  1941 तीसरी बार
43 कोनो फुमिमारो  1940-41 दूसरी बार
42 अबे नोबुयुकी  1939-40
41 कोनो फुमिमारो  1937-39 पहली बार
40 हिरोटा कोकी  1936-37
39 ओकाडा कीसुके  1934-36
38 सैतो मकोतो  1932-34
37 इनुकाई सुयोशी  1931-32
36 वाकात्सुकी रीजिरो  1931 दूसरी बार
35 हमागुची ओसाची  1929–31
34 तनाका गिची  1927-29
33 वाकात्सुकी रीजिरो  1926-27 पहली बार
32 काटो ताकाकी  1924-26
31 यामामोटो गोनोह्यो  1923-24 दूसरी बार
30 काटो टोमोसाबुरो  1922-23
29 ताकाहाशी कोरेकियो  1921–22
28 हारा ताकाशी  1918–21
27 तेरहची मसाताके  1916-18
26 ओकुमा शिगेनोबु  1914-16 दूसरी बार
25 यामामोटो गोनोह्यो  1913-14 पहली बार
24 कत्सुरा तारो  1912–13 तीसरी बार
23 सायंजी किमोची  1911-12 दूसरी बार
22 कात्सुरा तारो  1908–11 दूसरी बार
21 सायंजी किमोची  1906–08 पहली बार
20 कत्सुरा तारो  1901–06 पहली बार
19 इतो हिरोबुमी  1900-01 चौथी बार
18 यामागाटा अरिटोमो  1898-1900 दूसरी बार
17 ओकुमा शिगेनोबु  1898 पहली बार
16 इतो हिरोबुमी  1898 तीसरी बार
15 मात्सुकाता मसायोशी  1896–98 दूसरी बार
14 इतो हिरोबुमी  1892-96 दूसरी बार
13 मात्सुकाता मसायोशी  1891–92 पहली बार
12 यामागाटा अरिटोमो  1889–91 पहली बार
11 कुरोदा कियोताका  1888-89
10 इटो हिरोबुमी  1885-88 पहली बार
9 हटा सुतोमु 1994
8 उनो सोसुके 1989
7 आशिदा हितोशी 1948
6 सुजुकी कांटारो 1945
5 हिगाशिकुनी नारुहिको 1945
4 योनी मित्सुमसा 1940
3 हिरानुमा किचिरो 1939
2 हयाशी सेंजुरो 1937
1 कियौरा कीगो 1924
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जापान का मौसम

जापान की सीमा उत्तर से दक्षिण तक लंबे आकार मे हैं, और इसीलिए जापान की जलवायु मे विविधता हैं। मुख्य रूप से जापान में चार अलग-अलग मौसम है, जैसे – वसंत, ग्रीष्म, शरद ऋतु और सर्दी। जलवायु के आधार पर हम जापान को चार भाग मे बाँट रहे हैं, जिससे आपको जापान की जलवायु समझने मे सरलता हो।

उत्तरी जापान (होक्काइडो और तोहोकू)

  1. सर्दी: -6 डिग्री सेल्सियस से 1 डिग्री सेल्सियस  के औसत तापमान के साथ ठंडा और बर्फीला।
  2. वसंत: तापमान धीरे-धीरे 3 डिग्री सेल्सियस से 15 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है।
  3. गर्मी: 17 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस  के तापमान के साथ गर्म रहता हैं।
  4. शरद ऋतु: तापमान धीरे-धीरे 15 डिग्री सेल्सियस से 6 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।

मध्य जापान (कांटो, चूबु और कंसाई)

  1. सर्दी: 2 डिग्री सेल्सियस से 10 डिग्री सेल्सियस  के औसत तापमान के साथ ठंड।
  2. वसंत: तापमान 9 डिग्री सेल्सियस से 19 डिग्री सेल्सियस  तक बढ़ने के साथ गर्म रहता है।
  3. गर्मी: 25 डिग्री सेल्सियस से 31 डिग्री सेल्सियस के तापमान के साथ गर्म और आर्द्र रहता है।
  4. शरद ऋतु: 17 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान रहता हैं।

पश्चिमी जापान (चुगोकू और शिकोकू)

  1. सर्दी: 7°C से 14°C का तापमान के साथ हल्की ठंडी।
  2. वसंत: 12 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस के तापमान के साथ हल्का मौसम रहता हैं।
  3. गर्मी: 25 डिग्री सेल्सियस से 31 डिग्री सेल्सियस  के तापमान के साथ गर्म और आर्द्र भरा मौसम रहता हैं।
  4. शरद ऋतु: 18 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान रहता हैं।

दक्षिणी जापान (क्यूशू और ओकिनावा)

  1. सर्दी: 8 डिग्री सेल्सियस से 17 डिग्री सेल्सियस का तापमान रहता हैं।
  2. वसंत: 15 डिग्री सेल्सियस से 23 डिग्री सेल्सियस का तापमान रहता हैं।
  3. गर्मी: 28 डिग्री सेल्सियस से 33 डिग्री सेल्सियस का तापमान रहता हैं।
  4. शरद ऋतु: 21 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस का तापमान रहता हैं।

जापान में हिन्दू

जापान में हिंदू धर्म एक अल्पसंख्यक धर्म है, हिन्दू धर्म को मनाने वाले लोग जापान में बहुत कम हैं। ज़्यादातर जापानी लोग शिंटोवाद या बौद्ध धर्म को मानते हैं, जापान में बहुत ही कम व्यक्ति और समुदाय हैं जो हिंदू धर्म को मानते हैं।

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हाल के वर्षों में, हिंदू मंदिरों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और त्योहारों की उपस्थिति के माध्यम से हिंदू धर्म ने जापान में कुछ स्थिति अपनी मजबूत की हैं लेकिन यह स्थिति न के बराबर ही हैं। हिंदू देवताओं के कुछ मंदिर टोक्यो, क्योटो और कोबे जैसे शहरों में पाए जाते हैं। जापान में हिंदू धर्म को मनाने वाले लोग मुख्य रूप से भारतीय, नेपाली और श्रीलंकाई मूल के लोग ही हैं। ये ऐसे लोग हैं जो काम, शिक्षा या विवाह जैसे कारणों से जापान में आ गए हैं और यही रह रहे हैं।

FAQ : जापान से जुड़े प्रश्न और उत्तर

जापान कब आजाद हुआ था?

जापान को कभी भी किसी विदेशी शक्ति द्वारा उपनिवेश (गुलाम) नहीं बनाया गया। इसके बजाय, जापान ने दुनिया के कई देशो को अपने उपनिवेश का हिस्सा बनाया था, जिसमे चीन और कोरिया जैसे देश शामिल हैं।

जापान का राष्ट्रिय खेल क्या हैं?

जापान का राष्ट्रिय खेल सूमों रेस्लिंग हैं। इस खेल मे सूमों आपस मे लड़ाई करते हैं।

जापान में कौन से धर्म को मानते हैं?

जापान में ज़्यादातर लोग बुद्ध धर्म और शिंतोवाद का पालन करते हैं।

नमस्ते को जापान में क्या बोलते हैं?

नमस्ते को जापान मे कोन्निचिवा कहते हैं, जापान मे कोन्निचिवा का मतलब हैं की “आपका स्वागत” हैं।

निप्पन किस देश का पुराना नाम है?

निप्पन जापान का पुराना नाम हैं, निप्पन का अर्थ “उगते हुये सूरज का देश” होता हैं।

 

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