रामायण की चौपाई है जिससे संकट समाप्त हो जाते है, रामायण के रचयिता कौन है, कौन हैं तुलसीदास, तुलसीदास जी का संक्षिप्त परिचय,

रामायण की चौपाई है जिससे संकट समाप्त हो जाते हैं

रामायण की चौपाई है जिससे संकट समाप्त हो जाते है

दीनदयाल बिरिदु सम्भारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।” यह रामायण की चौपाई हैं जिससे संकट समाप्त हो जाता हैं। रामायण के कई चौपाई और दोहे बहुत ही ताकतवर हैं, इन चौपाई में से “दीनदयाल बिरिदु सम्भारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।” यह चौपाई संकट दूर करने के लिए इस्तेमाल होती हैं।

ऊपर बताई गई चौपाई, रामायण के सुंदर कांड से संबन्धित हैं। यह चौपाई सीता जी के कथन को परिभाषित करती हैं। हनुमान जी जब लंका को आग लगा कर वापस सीता जी के पास आए थे, और लंका से विदा लेने के लिए सीता माता जी से आज्ञा ली, तब सीता जी ने हनुमान जी को कहा की जब आप श्री राम के समक्ष पहुंचे तो मेरा यह संदेश जरूर पहुंचाए। तब सीता जी ने संदेश के रूप मे यह चौपाई कही “दीनदयाल बिरिदु सम्भारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।” इस चौपाई में सीता जी राम भगवान से कहा रही हैं की “हे प्रभु जिस प्रकार आप दीन-दुखी के कष्टो को हरते हैं, उसी प्रकार मेरे ऊपर आए इस भरी संकट को हरो।”

इसलिए ऐसी मान्यता हैं की जो भी भक्त पूजा के बाद भगवान को स्मरण करते हुये इस चौपाई को जपता हैं, भगवान राम उसके सभी कष्ट को हारते हैं। इसलिए अगर कोई भक्त जीवन मे कई परेशानियों से घिरा रहता हैं, तो उसे शनिवार और मंगलवार के दीन इस चौपाई को 108 बार किसी हनुमान मंदिर में जपना चाहिए। इसके साथ ही इस चौपाई को रोजाना 7 बार या फिर 11 बार पूजा करते समय जरूर जपना चाहिए।

See also  चमेली का पौधा घर में लगाना चाहिए या नहीं

रामायण के रचयिता कौन है

रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि हैं। भारत के इतिहास मे महर्षि वाल्मीकि जी को आदि कवि के नाम से भी वर्णित किया जाता हैं, क्योंकि उन्हे इतिहास का पहला कवि माना जाता हैं। रामायण मे 24000 श्लोक हैं साथ में पूरी रामायण 7 कांड मे विभक्त हैं।

वाल्मीकि ऋषि जी का लघु परिचय निम्न प्रकार से हैं-

वाल्मीकि जी का नाम अग्नि शर्मा
धर्म सनातन
पिता का नाम प्रचेता (सुमाली के नाम से भी जाने जाते थे)
प्रसिद्ध का कारण रामायण की रचना
उपाधि आदि कवि / महर्षि
गोत्र भृगु
जन्म जयंती अश्विनी महीने की पूर्णमासी के दिन
रामायण की भाषा संस्कृत

कई बार लोगो को भ्रम हो जाता है की रामायण की रचना तुलसीदास जी ने की थी, परंतु यह गलत हैं, रामायण की रचना वाल्मीकि जी ने की थी जबकि रामचरित मानस की रचना तुलसी दास जी ने की थी। तुलसीदास जी के द्वारा रचित रामचरित को अवधि भाषा मे लिखा गया हैं। जबकि वाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण संस्कृत मे लिखा गया हैं। तुलसी दास जी संष्कृत के बहुत बड़े ज्ञाता थे, लेकिन फिर भी उन्होने रामचरित को लिखने के लिए अवधि भाषा को चुना, क्योंकि वह चाहते थे की भगवान राम की लीला जन साधारण लोगो तक पहुंचे। क्योंकि सन 1500 के समय संस्कृत केवल पढे लिखे लोगो के द्वारा ही बोली या समझी जाती थी। तुलसीदास जी रामकथा को हर एक जन समूह तक पहुंचाना चाहते थे, इसलिए उन्होने रामचरितमानस की रचना अवधि भाषा मे की थी।

कौन हैं तुलसीदास?

तुलसी दास जी का असली नाम रामबोला दुबे था, जिनहे बाद मे गोस्वामी तुलसीदास के नाम से भी जाना जाता हैं। ऐसा माना जाता हैं की तुलसी दास की जन्म 11 अगस्त 1511 को उत्तर प्रदेश के कासगंज मे हुआ था। तुलसीदास जी ने अपने जीवन का अधिकतम समय बनारस और अयोध्या मे बिताए थे, बनारस मे तुलसीदास जी क नाम पर एक घाट भी हैं। रामचरित मानस के अलावा तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की भी रचना की थी, जी हाँ वही हनुमान चालीसा जिसका पाठ हम रोज करते हैं। तुलसी दास जी की मृत्यु 30 जुलाई 1623 को 111 वर्ष की उम्र मे बनारस के अस्सीघाट में हुई थी।

See also  रविवार के दिन झाड़ू खरीदना चाहिए कि नहीं

तुलसीदास जी का संक्षिप्त परिचय

तुलसीदास जी का नाम रामबोला दुबे
पिता जी का नाम आत्माराम दुबे
माता का नाम हुलसी देवी
धर्म सनातन धर्म
जन्म तिथि 11 अगस्त 1511
पुण्य तिथि 23 जुलाई 1623
जन्म स्थान कासगंज, उत्तर प्रदेश
पत्नी का नाम रत्नावली
प्रसिद्धि का कारण रामचरितमानस, विनय पत्रिका और हनुमान चालीसा की रचना
गुरु का नाम नरसिंघ जी महाराज
उपाधि गोस्वामी, संत

Keyword – रामायण की चौपाई है जिससे संकट समाप्त हो जाते है, रामायण के रचयिता कौन है, कौन हैं तुलसीदास, तुलसीदास जी का संक्षिप्त परिचय,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *