ताशकंद किस देश की राजधानी है
ताशकंद को ताशकेन्ट भी कहा जाता है। ताशकंद उज़्बेकिस्तान नाम के देश की राजधानी है। उज़्बेकिस्तान की राजभाषा उजबेक है। इसके साथ ही ताशकंद सेंट्रल एशिया का सबसे बड़ा शहर है। ताशकंद प्राचीन समय से व्यापार और हस्तकला के लिए जाना जाता है इसके अलावा यह यूरोप से पूर्वी एशिया के लिए आने जाने वाले रास्ते का एक मुख्य केंद्र भी था। आठवीं शताब्दी में अरबो ने ताशकंद पर आक्रमण करके इसे अपने कब्जे में ले लिया था।
1865 में यह शहर रूस के नियंत्रण में आ गया था। 1867 में यह शहर तुर्किस्तान का प्रशासनिक केंद्र भी था। ताशकंद 1924 तक तुर्किस्तान की राजधानी रहा। इधर उज़्बेकिस्तान की राजधानी समरकंद हुआ करती थी, लेकिन 1930 में उज़्बेकिस्तान की राजधानी को समरकंद से बदलकर ताशकंद कर दिया गया। 1930 से लेकर अब तक उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद है। ताशकंद का मुख्य फसल कॉटन का है, इसके अलावा यहां पर चावल,गेहूं, सब्जियां आदि की भी फसल उगाई जाती है। ताशकंद में फूड प्रोसेसिंग से संबंधित तथा कपड़े उद्योग से संबंधित कई प्रकार की इंडस्ट्री है। ताशकंद में उच्च स्तर की शिक्षण संस्थान भी है जिन में उजबेक अकैडमी आफ साइंस का काफी नाम है।
ताशकंद में सालाना 8 इंच तक की बारिश हो जाती है। ताशकंद में पहाड़ी स्थल में ज्यादा पानी गिरता है, जबकि मरुस्थली स्थल में कम पानी गिरता है। ताशकंद में जुलाई के महीने में 32 डिग्री तक का तापमान होता है जो कि कई बार 40 डिग्री तक भी जाता है। ताशकंद का सबसे गरम महिना जुलाई का होता हैं, यहाँ पर 36 से 40 डिग्री तक तापमान होता हैं।
ताशकंद समझौता क्यों हुआ
1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था और इस युद्ध की समाप्ति के बाद भी भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार विवाद हो रहे थे। तब ऐसी स्थिति में सोवियत संघ भारत और पाकिस्तान के बीच शांति समझौता करना चाहता था। इसलिए उसने 4 जनवरी 1966 को भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान को ताशकंद में वार्ता के लिए आमंत्रित किया था। इसी क्रम में 10 जनवरी 1966 को ताशकंद में भारत और पाकिस्तान शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारत ने इस युद्ध में पाकिस्तान के कई क्षेत्रों को अपने अधिकार में कर लिया था। लेकिन इस समझौते की तहत उसे वह सभी जीते हुए क्षेत्र को वापस पाकिस्तान को देना पड़ा। इस समझौते के तहत भारत के सैनिक पाकिस्तान के जीते हुए स्थान को छोड़कर वापस अपनी पुरानी सीमा पर आ जाएंगे। दोनों पक्षों ने युद्ध विराम के शर्तों का पालन करने का इस शांति समझौते में प्रण लिया और एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का भी प्रण लिया। एक दूसरे की कटुता को छोड़कर राजनयीक संबंधों की स्थापना करने पर भी इस समझौते पर जोर दिया गया था।
ताशकंद में किसकी मृत्यु हुई?
ताशकंद मे भारत के प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु हुई थी। ताशकंद मे 10 जनवरी 1966 को भारत और पाकिस्तान के बीच सामझौता हुआ था, 1965 की लड़ाई मे भारत ने पाकिस्तान के कई क्षेत्रो को अपनी अधिकार मे कर लिया था, इस समझौते के तहत वो सारी जमीन भारत ने पाकिस्तान को लौटा दी थी। लाल बहादुर उस समय भारत के प्रधानमंत्री थे, उनकी इस तरह का सामझौता करने का कोई मन नहीं था। फिर भी उन्हे इस समझौते पर हस्ताक्षर करने पड़े। और अगले ही दिन 11 जनवरी 1666 को उनकी मृत्यु हो गई। प्रत्यक्ष दर्शियों का मानना हैं की उन्हे जहर दिया गया था। कुछ का मानना हैं की शायद समझौते के बाद भारत आकार वो कुछ ऐसा बताते की भारत के ही कई लोगो के कुछ राज खुल सकते थे। लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत रहस्यमय हैं। और कई तरह की कोन्स्पिरेसी थेओरी उनकी मौत से जुड़े हुये हैं। सच क्या हैं, ये खोजकर्ता थोड़ा बहुत इतिहास पढ़ कर खुद ही समझ सकते हैं। लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु को बहुत से लोग हत्या मानते हैं, और इससे संबन्धित फिल्म ‘द ताशकंद फाइल’ विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन मे बनी हुई हैं। आप इस फिल्म को देख कर भी थोड़ा बहुत जागरूक हो सकते हैं। फिल्म के अनुसार लाल बहादुर शास्त्री जी की ताशकंद मे हत्या हुई थी।