आजकल लोग जल्दी लोकप्रिय होने के लिए हिंदू धर्म पर चुटकुले लिखते हैं, हिंदू त्योहारों के दिन, हिंदू धर्म के प्रति अपनी हीन भावना को प्रदर्शित करते हैं। हिंदू धर्म से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियों को गलत तरीके से पेश करते हैं, कि सुनने वाले को भी एक बार अपने धर्म में कमी लगने लगती है।
यूट्यूब के जमाने में आजकल बहुत से स्टैंड अप कॉमेडियन बनकर घूम रहे हैं, आज चुटकुलों के नाम पर, फ़ूहड़ चुटकुले और हिंदू धर्म पर फब्तियां कसते हैं, और हम निर्लोज्जो की तरह उनके उन फ़ूहड़ चुटकुलों पर हंसते हैं। यह हंसी उनके फूहर चुटकुलों पर नहीं है, यह हंसी हम अपने महान विरासत, महान धर्म पर करते हैं।
और ऐसा इसलिए है क्योंकि हमें खुद अपने धर्म के बारे में बहुत ज्यादा पता नहीं होता है, और जो किसी से सुन लिया उसी को सच मानकर, हम जीवन भर शर्मिंदा महसूस करते हैं। जब भी हमारे पास समय होता है तो हम इंटरनेट में यहां वहां उटपटांग चीजें देखते हैं। और कभी भी अपने धर्म के बारे में जानने की कोशिश नहीं करते। और इसी का फायदा देश में बैठे जहरीले, आक्रांता, विदेशी और जबरन धर्म परिवर्तित कराने वाले जैसे लोग लगातार उठाते रहते हैं, विदेश से आए हुए लोगों को हम सर पर बैठा कर, उनकी पूजा करने लगते हैं और ऐसा सिर्फ इसलिए है कि हम अपने धर्म के बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानते, और वह इसका फायदा उठा कर वह हमें हर पल, हर समय लज्जित करते रहते हैं।
कई बार जब किसी व्यक्ति के बहुविवाह पर सवाल उठाया जाता है, तो वह पलट कर बोल देता है तुम्हारे भगवान ने तो 16000 शादियां की थी तुम हमें क्यों ज्ञान बता रहे हो। और हम अपना मुंह लटका कर वापस आ जाते हैं, क्या हमने कभी सच्चाई जानने की कोशिश की, कि 16000 शादियों के पीछे की क्या सच्चाई है, तो आइए जानते हैं इसके पीछे इसके पीछे की सच्चाई, कि क्या सच में भगवान श्री कृष्ण ने 16000 शादियां की थी?
श्री कृष्ण भगवान रुकमणी जी के साथ द्वारिका में बैठे किसी बात पर चर्चा कर रहे थे, कि तभी स्वर्ग के राजा इंद्र उनके पास आकर, उनसे प्रार्थना करते हैं की नरकासुर के द्वारा पूरे ब्रह्मांड में आतंक मचाया जा रहा है, हर तरफ त्राहि-त्राहि है, वह जहां पर भी जाता है तो उस राज्य से सैकड़ों स्त्रियों को उठाकर अपने राज्य ले जाता है। अत्याचार कर रहा है कृपया उस अत्याचारी से की रक्षा करें।
भगवान ने इंद्र की प्रार्थना को स्वीकार किया, और अपनी तीसरी रानी सत्यभामा के साथ नरकासुर से युद्ध करने के लिए गरुड़ में सवार होकर चल पड़े, नरकासुर उत्तर पूर्व भारत में अपनी राजधानी बनाकर रहता था, उसकी यह राजधानी वर्तमान में असम में आता है। नरकासुर की राजधानी का नाम प्रागज्योतिषपुर था, वहां पहुंचकर भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से सबसे पहले मुर दैत्य सहित मुर के छः पुत्र- ताम्र, अंतरिक्ष, श्रवण, विभावसु, नभश्वान और अरुण का संहार किया।
मुरु दैत्य के वध को सुनकर नरकासुर अपने कई सेनापतियों और दैत्यो की सेना को साथ लेकर भगवान कृष्ण से युद्ध करने के लिए निकल पड़ा। नरकासुर को श्राप था कि उसकी मृत्यु किसी महिला के हाथों ही होगी। कृष्ण भगवान सर्व ज्ञानी है उन्हें इस श्राप के बारे में पता था। इसलिए उन्होंने अपने साथ सत्यभामा को भी इस युद्ध में लाने का निश्चय किया था। सत्यभामा को भगवान ने अपना सारथी बनाया था, और नरकासुर के साथ घोर युद्ध हुआ, भगवान कृष्ण ने सत्यभामा की सहायता से नरकासुर का वध कर दिया।
भगवान जब नरकासुर को मारकर, नरकासुर के द्वारा बनवाई कालकोठरी पर गए, तो वहां 16000 कन्याओं को कैद में पाया, भक्तवत्सल भगवान श्री कृष्ण ने उन 16000 कन्याओं को आजाद करवाया, और उन्हें अपने अपने ग्रह धाम जाने के लिए कहा। सभी कन्याओं ने आत्महत्या की इच्छा व्यक्त की, और उन्होंने कहा यह भगवान कृष्ण अब हमें, यह समाज नहीं स्वीकारेगा। समाज हमें केबल उलाहना के अलावा कुछ भी नहीं देगा, जिससे हम तो दुखी तो होंगे ही। साथ में हमारे माता-पिता को भी अपमानित होना होगा। इसलिए अब वापस जाने से अच्छा है कि हम सभी आत्महत्या कर आपके पुण्य लोक को प्राप्त हो जाएं।
तब भगवान ने उनकी अस्मिता और अवहेलना से बचाने के लिए, उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया, लेकिन यह जरूर उन्हें बताया, की यह हमारी आखरी मुलाकात है। सभी कन्याओं ने अपनी सहमति व्यक्त की, तो कृष्ण भगवान ने उन सभी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया, और उन्हें आदेश दिया की वह अपने-अपने ग्रह ग्राम में जाकर अपने माता-पिता के साथ रहे।
इस प्रकार भगवान ने उन सभी अपराहन की गई, शोषित की गई, अत्याचार से प्रताड़ित की गई उन कन्याओं को लोकलज्जा से बचाने के लिए, उन सभी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया,
लेकिन हमारे देश में ऐसे लोग दोगले भरे पड़े हैं, जो लगातार हमारे धर्म को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, और इसमें एक बहुत बड़ी पार्टी का भी हाथ है, वह भी हिंदू धर्म को लगातार अपमानित, और तोड़ने का काम करती आ रही है। इसलिए लोगों को अपने धर्म के बारे में ज्यादा से ज्यादा पढ़ना चाहिए, जिससे समाज में फैली भ्रांतियों को कुछ समझ सके, और दूसरे लोगों को भी सतर्क कर सकें। इस देश की कुछ पार्टियां और कुछ पैसा खोर लोग लगातार हमारे धर्म के खिलाफ काम कर रहे हैं, और यह सब हमें पता होना चाहिए।