एक महिला की आदत थी कि वह हर रोज रात में सोने से पहले अपनी दिन भर की खुशियों को एक काग़ज़ पर लिख लिया करती थीं।
एक रात उसने लिखा…
मैं खुश हूं कि मेरा पति पूरी रात ज़ोरदार खर्राटे लेता है क्योंकि वह ज़िंदा है और मेरे पास है… भले ही उसकी खर्राटो की आवाज़ से मैं सो नहीं पाती, फिर भी मुझे खुशी हैं क्योंकि वह मेरे साथ हैं, इसके लिए मैं भगवान का शुक्रिया करती हूँ।
मैं खुश हूं कि मेरा बेटा सुबह सवेरे इस बात पर झगड़ा करता है कि रात भर मच्छर-खटमल सोने नहीं देते, इसका मतलबा यह हैं की वह अपनी रात घर पर ही गुज़रता है, और आवारागर्दी नहीं करता…इस पर भी भगवान का शुक्र है…
मैं खुश हूं कि हर महीना बिजली,गैस, पेट्रोल, पानी वगैरह का अच्छा खासा टैक्स देना पड़ता है ,इसका मतलब यह हैं की ये सब चीजें मेरे पास,मेरे इस्तेमाल में हैं … अगर यह ना होती तो ज़िन्दगी कितनी मुश्किल होती? इस पर भी भगवान का शुक्र है…..
मैं खुश हूं कि दिन ख़त्म होने तक मेरा थकान से बुरा हाल हो जाता है….
यानी मेरे अंदर दिनभर सख़्त काम करने की ताक़त और हिम्मत सिर्फ ऊपरवाले के आशीर्वाद से है…
मैं खुश हूं कि हर रोज अपने घर का झाड़ू पोछा करना पड़ता है और दरवाज़े -खिड़कियों को साफ करना पड़ता है शुक्र है मेरे पास अपना घर तो है…
जिनके पास छत नहीं उनका क्या हाल होता होगा…? इस पर भी भगवान का शुक्र है की उन्होने मुझे रहने के लिए छत दिया हैं…
मैं खुश हूं कि कभी कभार थोड़ी बीमार हो जाती हूँ यानी कि मैं ज़्यादातर सेहतमंद ही रहती हूं। इसके लिए भी भगवान का शुक्र है..
मैं खुश हूं कि हर साल दिवाली पर उपहार देने में पर्स ख़ाली हो जाता है यानी मेरे पास चाहने वाले मेरे अज़ीज़ रिश्तेदार ,दोस्त हैं जिन्हें मैं उपहार दे सकूं…अगर ये ना हों तो ज़िन्दगी कितनी बे रौनक हो गई होती? इस पर भी भगवान का शुक्र है…..
मैं खुश हूं कि हर रोज अलार्म की आवाज़ पर उठ जाती हूँ यानी मुझे हर रोज़ एक नई सुबह देखना नसीब होती है…
ज़ाहिर है ये भी भगवान का ही करम है…
जीने के इस फॉर्मूले पर अमल करते हुए अपनी भी और अपने से जुड़े सभी लोगों की ज़िंदगी संतोषपूर्ण बनानी चाहिए…..छोटी-छोटी परेशानियों में खुशियों की तलाश कर खुश रहना चाहिए।