दिल को छू लेने वाली कहानी – एक बच्चा और उसी छोटी बहन

दिल को छू लेने वाली कहानी – एक बच्चा और उसी छोटी बहन

तक़रीबन 10 साल का एक ग़रीब लडका अपनी 6 साल की छोटी बहन के साथ एक दिन बाजार से गुजर रहा था।

तभी अचानक से उसे लगा कि उसकी छोटी बहन पीछे छूट गई है। वह रुका औऱ पीछे मुडकर देखा तो पाया कि उसकी बहन एक बड़े खिलौने के दुकान के बाहर खडी किसी चीज को बहुत गंभीरता से निहार रही है।

लडका पीछे आया और अपनी बहन से पूछा ” क्या कुछ चाहिये तुम्हे ?” लडकी ने बड़े मासूमियत के साथ एक गुड़िया की तरफ उंगली उठाकर दिखाई।

बच्चे ने उसका हाथ पकड़ा औऱ एक जिम्मेदार बड़े भाई की तरह अपनी बहन को वह गुड़िया दुकानदार से दिला दी। गुड़िया पाकर उसकी बहन का ख़ुशी का ठिकाना न रहा।

दुकानदार पूरा माज़रा बड़े ग़ौर से देख रहा था।वह उस छोटे से बच्चे के व्यवहार को देखकर बहुत आश्चर्यचकित भी हो रहा था पर वह शांत था।

अब वह बच्चा बहन के साथ काउंटर पर आया और दुकानदार से पुछा, “दादा कितनी कीमत है इस गुड़िया की ?”

दरअसल दुकानदार एक बेहद ही शांत औऱ आध्यात्मिक इंसान था।उम्र के जिस दहलीज़ पर वह खड़ा था,उसने जीवन के कई उतार चढाव देखे थे संभवतः। उन्होने बडे प्यार और अपनत्व से बच्चे के पीठ पर हाथ फेरते हुए पूछा, “बताओ बेटे तुम क्या दे सकते हो इस खिलौने की कीमत ?”

बच्चे ने झट से अपनी जेब से वो सारी सीपें बाहर निकालकर दुकानदार को दे दी जो उसने थोडी देर पहले अपनी बहन के साथ समुंदर के किनारे से चुन कर लाई थी।

See also  हिन्दी कहानी - दूसरे का नुकसान (Hindi Story of Dusare ka Nuksaan)

दुकानदार सारी सीपें लेकर ऐसे गिनने लगा मानो रुपये गिन रहा हो।

सारी सीपें गिनने के बाद वो बच्चे की तरफ देखने लगा तो बच्चा बोला,”दादाकुछ कम है क्या?”

दुकानदार :-” नही नही बेटे ये तो इस गुड़िया की कीमत से कहीं ज्यादा है औऱ जो अधिक है उसे मैं तुमको वापस कर देता हूं” यह कहकर उसने 4 सीपें रख ली और बाकी की सीपें बच्चे को लौटा दी।

बच्चा ने बडी खुशी से दुकानदार को शुक्रिया कहा औऱ वो बाक़ी सीपें जेब मे रखकर बहन को साथ लेकर वहां से निकल गया।

पूरा माज़रा उस दुकानदार का नौकर बड़े ग़ौर से देख रहा था। उसने बड़े आश्चर्य से अपने मालिक से पूछा, ” मालिक ! इतनी महंगी गुड़िया आपने केवल 4 मामूली सीपों के बदले मे दे दी ?”

दुकानदार ने पहले बहुत लंबी सांस ली और फिर हंसते हुए बोला “हमारे लिए ये केवल सीप है पर उस 10 साल के बच्चे के लिये बेहद ही मूल्यवान वस्तु है,सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस उम्र मे वो मासूम नहीं जानता की पैसे क्या चीज़ होते है लेकिन जब वह एक दिन बडा होगा और जब उसे याद आएगी कि उसने सीपों के बदले बहन को गुड़िया खरीदकर दी थी, तब उसे मेरी याद जरुर आयेगी औऱ वह यह सोंचने पर विवश हो जाएगा कि अभी भी इस पृथ्वी पर नेक दिल लोगों की कोई कमी नहीं है और वह अच्छाई के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित होगा।

यही एक घटना जीवन भर उसके अंदर सकारात्मक दृष्टीकोण बढाने मे मदद करेगी और मुझें यक़ीन है कि वह भी एक नेक दिल इंसान बनेगा औऱ ग़रीब ज़रूरतमंदो की मदद करेगा।”