स्वामी विवेकानंद अमेरिका यात्रा मे थे, वहाँ पर उनके विचारो से प्रभावित होकर एक अमेरिकन स्वामी विवेकानंद जी के पास आया और उन्हे अपना धर्म परिवर्तित करके हिन्दू धर्म को अपनाने के लिए निवेदन करने लगा।
स्वामी विवेकनद जी ने उस अमेरिकन की बात सुन कर मुस्कुराए और बोले की “मैं यहाँ अमेरिका मे अपने धर्म का प्रचार करने आया हूँ, अपने धर्म की वो बाते बताने आया हूँ जिसे हर कोई अपना कर अपने जीवन को खुशाल बना सकता हैं। सही और गलत का अंतर समझ सकता हैं। मैं यहाँ धर्म परिवर्तन करने नहीं आया हूँ।”
स्वामी विवेकनद जी आंगे बोलते हुये कहते हैं की “मैं यहाँ जिन संदेशो को देने आया हूँ वो एक अच्छा इंसान बनाने के लिए हैं, और एक अच्छा इंसान बनाने के लिए धर्म को परिवर्तित करने की आवश्यकता नहीं होती हैं। हिन्दू कोई मजहब नहीं हैं, यह जीवन जीने की एक पद्धति हैं। यह एक संस्कृति हैं जो विश्वबधुत्व का संदेश देती हैं। हमारी यह हिन्दू संस्कृति मानवता पर आधारित एक जीवन जीने की तरीका हैं। तुम भी अपने धर्म को मानते हुये भारतीय ऋषियों के इन संदेशो को अपने जीवन मे उतारे।”
वह अमेरिकन स्वामी जी की बात सुन कर अभिभूत हो गया। और उनकी तरह लाखो अमेरिकी हैं जो हैं तो किसी और धर्म के लिए उनके जीवन जीने की पद्धति हिन्दू धर्म पर आधारित हैं।
बस हम भारतीय अंगेरेजी को स्टेटस के रूप मे मैंटेन करने के लिए संस्कृति और धर्म का अनादर करते रहते हैं, जबकि अमेरिका मे फोर्ड कंपनी के मालिक, एपल के स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग, होलिवूड के जूनियर रोबर्ट डाउनी, और ना जा कितने ही ऐसे सेलिब्रिटी हैं जो आज सनातन पर विश्वास करते हुये मानवता को ही धर्म मान कर अपने जीवन पद्धति को सुधार रहे हैं।
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