मैहर का मंदिर

मैहर का मंदिर की उत्पत्ति की कथा- जय माँ शारदा 1008

मैहर का मंदिर मैहर नामके स्थान पर स्थित हैं। मैहर एक नगर हैं यह मध्य प्रदेश के सतना जिले का एक नगर पालिका है| इस जिला बनाने का प्रयास भी लगातार किए जा रहे हैं। मैहर में श्रद्धेय देवी माँ शारदा का प्रसिद्ध मैहर का मंदिर त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित है। मैहर की माता शारदा मध्यप्रदेश के चित्रकूट से लगे सतना जिले में मैहर नगर की लगभग 600 फुट की ऊंचाई वाली त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित है, जो मैहर देवी माता के नाम से सुप्रसिद्ध हैं|

यहां श्रद्धालु माता का दर्शन कर आशीर्वाद लेने उसी तरह पहुंचते हैं जैसे जम्मू में मां वैष्णो देवी का दर्शन करने जाते हैं। मां मैहर देवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए 1063 सीढ़ियां तय करनी पड़ती है | महावीर आला-उदल को वरदान देने वाली मां शारदा देवी को पूरे देश में मैहर की शारदा माता के नाम से जाना जाता है। अब ropeway बनने से सीढ़ी चढ़ने वाली  कठिनाई दूर हो गयी है।

तीर्थस्थल के सन्दर्भ में पौराणिक कहानियां और दन्तकथाए –

मैहर का मंदिर कैसे बना इसके पीछे एक पौराणिक कहानी है, जिसमें कहा गया है कि सम्राट दक्ष प्रजापति की पुत्री सती, भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी| लेकिन राजा दक्ष शिव को भगवान नहीं, भूतों और अघोरियों का साथी मानते थे और इस विवाह के पक्ष में नहीं थे| फिर भी सती ने अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध जाकर भगवान शिव से विवाह कर लिया |

एक बार राजा दक्ष ने ‘बृहस्पति सर्व’ नामक यज्ञ रचाया, उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन जान-बूझकर अपने जमाता भगवान महादेव को नहीं बुलाया | महादेव की पत्नी और दक्ष की पुत्री सती इससे बहुत आहत हुई और यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से भगवान शिव को आमंत्रित न करने का कारण पूछा, इस पर दक्ष प्रजापति ने भरे समाज में भगवान शिव के बारे में अपशब्द कहा | तब इस अपमान से पीड़ित होकर सती मौन हो उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठ गयी और भगवान शंकर के चरणों में अपना ध्यान लगा कर योग मार्ग के द्वारा वायु तथा अग्नि तत्व को धारण करके अपने शरीर को अपने ही तेज से भस्म कर दिया। भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया और यज्ञ का नाश हो गया |भगवान शंकर ने माता सती के पार्थिव शरीर को कंधे पर उठा लिया और गुस्से में तांडव करने लगे | ब्रह्मांड की भलाई के लिए भगवान विष्णु ने ही सती के अंग को बावन भागों में विभाजित कर दिया | जहाँ-जहाँ सती के शव के विभिन्न अंग और आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्ति पीठों का निर्माण हुआ | उन्हीं में से एक शक्ति पीठ है माँ शारदा का यह मंदिर जिसे मैहर का मंदिर के नाम से जाना जाता हैं, जहां मां सती का हार गिरा था | मैहर का मतलब है, मां का हार, इसी वजह से इस स्थल का नाम मैहर पड़ा | अगले जन्म में सती ने हिमाचल राजा के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया और घोर तपस्या कर शिवजी को फिर से पति रूप में प्राप्त किया |

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इस तीर्थस्थल के सन्दर्भ में दूसरी भी कथा प्रचलित है।

कहते हैं आज से 200 साल पहले मैहर में महाराज दुर्जन सिंह जुदेव राज्य करते थे। उन्हीं कें राज्य का एक ग्वाला गाय चराने के लिए जंगल में आया करता था। इस घनघोर भयावह जंगल में दिन में भी रात जैसा अंधेरा छाया रहता था। तरह-तरह की डरावनी आवाजें आया करती थीं। एक दिन उसने देखा कि उन्हीं गायों के साथ एक सुनहरी गाय कहां से आ गई और शाम होते ही वह गाय अचानक कहीं चली गई।

दूसरे दिन जब वह इस पहाड़ी पर गायें लेकर आया तो देखता है कि फिर वही गाय इन गायों के साथ मिलकर घास चर रही है। तब उसने निश्चय किया कि शाम को जब यह गाय वापस जाएगी, तब उसके पीछे-पीछे जाएगा।

गाय का पीछा करते हुए उसने देखा कि वह ऊपर पहाड़ी की चोटी में स्थित एक गुफा में चली गई और उसके अंदर जाते ही गुफा का द्वार बंद हो गया। वह वहीं गुफा द्वार पर बैठ गया। उसे पता नहीं कि कितनी देर कें बाद गुफा का द्वार खुला। लेकिन उसे वहां एक बूढ़ी मां के दर्शन हुए। तब ग्वाले ने उस बूढ़ी महिला से कहा, ‘माई मैं आपकी गाय को चराता हूं, इसलिए मुझे पेट के वास्ते कुछ मिल जाए। मैं इसी इच्छा से आपके द्वार आया हूं।’

बूढ़ी माता अंदर गई और लकड़ी के सूप में जौ के दाने उस ग्वाले को दिए और कहा, ‘अब तू इस भयानक जंगल में अकेले न आया कर।’

वह बोला, ‘माता मेरा तो जंगल-जंगल गाय चराना ही काम है। लेकिन मां आप इस भयानक जंगल में अकेली रहती हैं? आपको डर नहीं लगता।’

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तो बूढ़ी माता ने उस ग्वाले से हंसकर कहा- बेटा यह जंगल, ऊंचे पर्वत-पहाड़ ही मेरा घर हैं, में यही निवास करती हूं। इतना कह कर वह गायब हो गई। ग्वाले ने घर वापस आकर जब उस जौ के दाने वाली गठरी खोली, तो वह हैरान हो गया। जौ की जगह हीरे-मोती चमक रहे थे। उसने सोचा- मैं इसका क्या करूंगा। सुबह होते ही महाराजा के दरबार में पेश करूंगा और उन्हें आप बीती कहानी सुनाऊंगा।

दूसरे दिन भरे दरबार में वह ग्वाला अपनी फरियाद लेकर पहुंचा और महाराजा के सामने पूरी आपबीती सुनाई। उस ग्वाले की कहानी सुन राजा ने दूसरे दिन वहां जाने का ऐलान कर, अपने महल में सोने चला गया। रात में राजा को स्वप्न में ग्वाले द्वारा बताई बूढ़ी माता के दर्शन हुए और आभास हुआ कि आदि शक्ति मां शारदा है।

स्वप्न में माता ने राजा को वहां मूर्ति स्थापित करने की आज्ञा दी और कहा कि मेरे दर्शन मात्र से सभी की मनोकामनाएं पूरी होंगी। सुबह होते ही राजा ने माता के आदेशानुसार सारे कर्म पूरे करवा दिए। शीघ्र ही इस स्थान की महिमा चारों ओर फैल गई। माता के दर्शनों के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से यहां पर आने लगे और उनकी मनोवांछित मनोकामना पूरी होती गई।

इसके पश्चात माता के भक्तों ने मां शारदा को सुंदर भव्य तथा विशाल मंदिर बनवा दिया। इस भक्त मैहर का मंदिर के नाम से जानते हैं, इसमे माँ शारदा विराजमान हैं।

मैहर मंदिर में कितनी सीढ़ियां हैं?

सतना जिले मे मैहर एक जिला हैं, मैहर मे माँ शारदा का मंदिर त्रिकुट पर्वत पर बना हुया हैं। मैहर का मंदिर जमीन से 600 फीट ऊंचाई पर माजूद हैं। मंदिर तक जाने वाले सीढ़ी के रास्ते को क्धार भाग मे बता गया हैं जो की निम्न प्रकार से हैं।

पहले भाग मे 480 सीढ़ी हैं

दूसरे भाग मे 228 सीढ़ी हैं।

तीसरे भाग मे 147 सीढ़ियाँ हैं

चौथे भाग मे 196 सीढ़िया हैं।

यानि की अगर इन्हे जोड़ा जाए तो माता के दरबार तक पाहुचने के लिए 1051 सीढ़ियाँ चढ़नी होगी। यानि मैहर मे कुल 1051 सीढ़िया हैं।

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मैहर स्टेशन से मैहर मंदिर कितना दूर है?

मैहर रेलवे स्टेशन से मैहर का मंदिर की दूरी सिर्फ 3 किलोमीटर  हैं। स्टेशन से आप आटो करके भी मंदिर तक जा सकते हैं। इसके अलावा मेला बस भी चलती हैं, इससे भी आप मंदिर तक जा सकते हैं।

मैहर के राजा कौन थे?

200 वर्ष पहले जब मैहर वाली माता का मंदिर बनाया गया था, उस समय मैहर के राजा दुर्जन सिंह जूदेव जी थे।

मैहर से चित्रकूट की दूरी कितनी हैं? (maihar to chitrakoot distance)

मैहर से अगर सड़क का रास्ता इस्तेमाल करते हुये चित्रकूट जाएंगे, तो 128 किमी का रास्ता हैं।

मैहर का पिन कोड क्या हैं? (maihar pin code)

  1. मैहर का पिन कोड 485771 हैं।
  2. डाक तालुका- मैहर हैं, 
  3. डाक खंड रीवा हैं।
  4. डाक क्षेत्र भोपाल हैं।

जबलपुर से मैहर की दूरी कितनी हैं? (jabalpur to maihar distance)

  1. जबलपुर से मैहर की दूरी 165 किमी के आसपास हैं। हालांकि जबलपुर से मैहर के बीच कई ट्रेन भी चलती हैं।
  2. मैहर जाने के लिए ट्रेन की टिकट बुक करने के लिए रेलवे की वैबसाइट मे जाए – CLICK HERE
  3. जबलपुर से मैहर के लिए कितनी ट्रेन हैं सूची देखने के लिए यहाँ पर क्लिक करे – CLICK HERE

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