किसी गांव में एक बूढ़ा धनी जमींदार रहता था । उसके दो बेटे थे। दौलत काफी थी। उसने सोचा कि अब शायद मैं इस दुनिया में कुछ ही दिनों का मेहमान हूं अतः सारा धन अपने दोनों बेटों में बराबर बांट दिया । कुछ दिनों बाद वह बीमार पड़ा, उसने दोनों पुत्रों को बुलाकर कहा, “मेरा अंत समय निकट है । कारोबार का ध्यान रखना, मेरी दो बातें हमेशा याद रखना । पहली-घर से जब काम पर जाना हो तो छाया में जाना और छाया में लौटना । दूसरी-जब कभी कठिन परिस्थिति में धन की जरूरत पड़े तो गांव के पास वाले मंदिर की चोटी में से ले लेना पर वहां दिन ढलने के बाद और सूर्य छिपने से पहले ही जाना ।” यह कहकर जमींदार चल बसा ।
जमींदार के दोनों बेटे कारोबार देखने लगे । छोटा भाई होशियार था, उसने खूब तरक्की की और कुछ ही दिनों में धन कई गुना इकट्ठा कर लिया । बड़ा भाई सीधा-सादा मूर्ख-सा था । उसका धन बढ़ने की बजाय घटता जा रहा था । वह दखी था, दिनों-दिन नुकसान ही होता । उसे पिता की वे दो बातें याद आई। उसने पहली बात पर अमल किया । घर से कारोबार के स्थान तक कनातें लगवा दीं और छाया में आने-जाने लगा। पर इससे कछ भी लाभ न हुआ । बल्कि कनातें लगवाने में उसका बचा धन भी खर्च हो गया। अब उसने दूसरी बात पर भी गौर किया- ‘पिताजी ने कहा था यदि धन की जरूरत पड़े
तो मंदिर की चोटी से ले लेना । वह ठीक समय पर मंदिर के पास गया पर बहुत देर तक सोचता ही रह गया कि मंदिर की चोटी में धन कहां से आया ?’ वह निराश होकर घर लौट आया ।
छोटा भाई चतुर था पर दिल का उदार था। वह बड़े भाई की परेशानी को समझ रहा था । वह उसके पास गया बोला, “पिताजी ने जो बातें कही थीं उन्हीं में तुम्हारी सारी समस्या का समाधान छुपा है।”
बड़े भाई ने आश्चर्य से कहा, “पर वह तो मैंने आजमा कर देख लीं ।”छोटे भाई ने हंसकर बताया, “छाया में आने-जाने का मतलब कनातें लगवाकर आना-जाना नहीं, बल्कि यह है कि सुबह काम पर निकलो तो सूर्य उदय होने से पहले निकलो और सूर्य डूबने के बाद यानी अंधेरा होने पर लौटो। इससे तुम कारोबार को पूरा समय दे सकोगे और लाभ ही होगा।
“अच्छा, दूसरी बात का क्या अर्थ था, अभी तो मुझे धन की बहुत जरूरत है ।” बड़ा भाई उत्सुकता से बोला । “वह भी बता दूंगा, मेरे साथ चलो मंदिर ।”
मंदिर के पास जाकर छोटे भाई ने हाथ के इशारे से बताया-“मंदिर की चोटी की परछाई इस वक्त (शाम) कहां पड़ती है ?”
उसने तुरंत जवाब दिया, “कुएं में ।” “बस, इतनी सी बात तो थी, कुएं में धन गड़ा है और क्या ?” बड़ा भाई खुशी से झूम उठा, खुदाई कराके धन निकाला। उसका कारोबार फिर चल पड़ा। पर अब वह बीच-बीच में छोटे भाई से सलाह ले लिया करता था ।