धार्मिक किस्सा- रीवा जिले के चिराहुला मंदिर के हनुमान जी और गुजराती व्यापारी

धार्मिक किस्सा- रीवा जिले के चिराहुला मंदिर के हनुमान जी और गुजराती व्यापारी

यह कहानी रीवा जिले के गुढ़ चौराहे में एक फुलकी का ठेला लगाने वाले बाबा ने बताया, मैं फुलकी खाते हुए उनसे चिरहुलानाथ स्वामी के प्रभावों पर बातचीत कर रहा था, तब उन्होंने बताया की गुजरात से एक व्यापारी, साल में चार बार चिरहुलानाथ मंदिर आया करते थे।

मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद वह और उनका परिवार मेरे ठेले के पास रुक कर फुलकियां खाता था। इसलिए मुझे उनके बारे में पता है। सेठ और उनके परिवार के सभी सदस्य मानसिक समस्या से घिरे रहते थे। घर का हर व्यक्ति बीमार रहता था, सेठ ने सभी को डॉक्टरी इलाज करवाया, पर हर बार जांच नॉर्मल ही आती। लेकिन परिवार के लोगों की वह स्वास्थ्य समस्या बनी ही रहती थी।

बेचारा बहुत परेशान था, खुद भी कभी पेट दर्द, कमर दर्द, पीठ दर्द तो कभी सीने के दर्द से परेशान रहता था। लेकिन जब भी डॉक्टर के पास जाता तो रिपोर्ट हमेशा ही नॉर्मल आती थी।

सेठ गुजरात में जहां रहता था, उसके यहां रीवा का एक आदमी नौकरी करता था। उसने बातों ही बातों पर सेठ को चिरहुलानाथ स्वामी के बारे में बताया, सेठ ने बात को सुना और फिर भूल गया। एक रात उसने सपने में एक मंदिर देखी, जहां वह अपने परिवार के साथ जा रहा है। उसका परिवार खुश नजर आ रहा है, वह खुद भी खुश हैं। ऐसा सपना देख कर उसे बड़ा विचित्र लगा। क्योंकि उसने वह स्थान कभी भी नहीं देखा था। सुबह उठकर उसने मंदिर प्रांगण के बारे में रीवा के उस आदमी से चर्चा की तो यह स्पष्ट हो गया कि सपने में सेठ ने जो मंदिर देखा था, वह रीवा का चिरहुला नाथ स्वामी का मंदिर था।

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सेठ को बहुत ताजूब हुआ कि जो स्थान हमने अपने जीवन में नहीं देखी आखिर हमने उसे सपने में कैसे देख लिया। सेठ को इस सपने में भगवान का कोई छिपा हुआ इशारा नजर आया और वह अपने परिवार के साथ चिरहुलानाथ मंदिर आने का निश्चय किया, इस तरह से वह सेठ एक साल में 4 बार चिरहुलानाथ मंदिर आता था। यहां पूजा अर्चना करता और फिर वापस चला जाता था।

हमेशा की तरह सेठ मंदिर से पूजा करके अपने परिवार के साथ आकर यहां पर फुलकी खाता था। इस दौरान उसने बातों ही बातों में बताया कि वह मंदिर इसलिए आता है कि जब से वह यहां आना प्रारंभ किया है, तब से उसे और उसके परिवार को बहुत राहत मिला है, जिन समस्याओं में वह घिरा रहता था,  उन समस्याओं से अब वह निकल रहा है, मुक्ति पा रहा हैं।

सेठ ने बताया कि मेरे घर के लोग अक्सर बीमार रहते थे, लेकिन अब उन्हें स्वास्थ्य लाभ हो रहा है वह अब पहले से अच्छा महसूस करते हैं।

सेठ इन सभी सकारात्मक बदलाव के लिए चिरहुलानाथ का धन्यवाद करता है और उसने बताया कि वह हमेशा यहां आता रहेगा तथा चिरहुलानाथ स्वामी के प्रभावों को वह देश भर में प्रचारित भी करेगा।

पहले वह नास्तिक हो गया था, भगवान का विरोध करता था, भगवान के अस्तित्व को नकारने लगा था। लेकिन भगवान चिरहुलानाथ स्वामी की कृपा ने मुझे फिर से आस्तिक बना दिया हैं। मैं भगवान पर विश्वास करने लगा हूँ। अब मैं पहले से ज्यादा सकारात्मक महसूस कर रहा हूँ, नई ऊर्जा, नई उमंग महसूस कर रहा हूँ।

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तो दोस्तों आपने देखा कि कैसे हमारे चिरहुलानाथ स्वामी के प्रभाव धीरे-धीरे पूरे देश में प्रसारित हो रहे हैं, इसलिए हम और आप भी चिरहुलानाथ स्वामी पर विश्वास बनाए रखें और उनकी प्रचार-प्रसार में कोई भी कमी ना आने दे, जहां तक संभव हो हम उनके प्रभाव के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बातों को पहुंचाएं।

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