बैरैया और बंदर की कहानी

किसी जंगल में एक बड़ा आम का फलदार पेड़ था, उस पेड़ में स्वादिष्ट आम के फल लगते थे। इसलिए वहां पर एक बंदर रहता था। वह उसी पेड़ से आम खाता और रात को उसी आम के पेड़ में सो जाया करता था। आम के पेड़ के बगल से ही एक नदी की पतली धारा भी बहा करती थी, इसलिए बंदर को वहां पानी की भी व्यवस्था बन गई थी। लेकिन बंदर के अलावा भी कई जानवर आम और पानी की तलाश में वहां आते रहते थे। बंदर आम के पेड़ को हिला हिला कर और डरावनी आवाज निकाल कर अन्य जानवरों को डरा दिया करता था। 

लेकिन उसी आम के पेड़ में बैरैया के झुंड ने अपना छत्ता बना लिया था। बंदर आम के कुछ हिस्सों में नही जाया करता था, उस हिस्से में ही बैरैया ने अपना छत्ता बना लिया था। 

धीरे-धीरे बरैया  का छत्ता बड़ा होने लगा बंदर को जब इसके बारे में पता चला तो वह खुश हुआ कि चलो उसके पेड़ में कुछ लोग रहने आए हैं। अब वह अकेला इस पेड़ में नहीं रह रहा है। बंदर को यह भी पता था कि बरैया  आम के फल नहीं खाते हैं इसलिए उसे बरैया  से बहुत ज्यादा डर नहीं था इसलिए उसने बरैया  को पेड़ में रहने दिया। धीरे-धीरे बरैया का छत्ता बड़ा हो गया।

 एक दिन बंदर सुबह सुबह सो कर उठा तो पेड़ में मीठे आम की तलाश के लिए वह पेड़ के दूसरे कोने में चला गया, जहां पर बरैया का छत्ता लगा हुआ था। तभी कुछ शैतानी बरैया के झुंड ने बंदर पर आक्रमण कर दिया और बंदर को काट लिया। बंदर को बहुत दर्द हुआ, बंदर भागता हुआ वापस आम के पेड़ के दूसरे छोर पर आ गया। जहां पर वह सोया करता था। बंदर को बहुत दर्द हुआ और उसे बहुत गुस्सा आई, फिर बंदर को महसूस हुआ कि संभव है कि बरैया  के झुंड को उससे खतरा महसूस हुआ होगा इसीलिए अपनी सुरक्षा के लिए बरैया  ने उस पर आक्रमण किया। ऐसा सोचकर उसका गुस्सा शांत हो गया और उसने किसी भी प्रकार का कोई प्रतिकार नहीं किया लेकिन धीरे-धीरे बरैया  अब बंदर के क्षेत्र वाले पेड़ के हिस्से में भी आने लगी और जब देखे उसे पर आक्रमण कर देती थी। बंदर को अब गुस्सा आने लगी थी। इसलिए उसने जंगल के सबसे बुद्धिमान पक्षी उल्लू से इस समस्या के समाधान का हाल पूछा। 

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उल्लू ने बताया कि इसका समाधान सिर्फ दो ही है या तो तुम वह स्थान छोड़ दो या फिर उन्हें उसे स्थान को छोड़ने पर विवश कर दो। क्योंकि उसे पेड़ पर तुम पहले से रह रहे थे। इसलिए उसे पेड़ पर तुम्हारा हक बढ़िया से ज्यादा है इसलिए अगर छोड़ने की स्थिति आती है तो बरैया  को ही वह स्थान छोड़ना चाहिए। बरैया जिस स्वभाव की होती हैं उसे स्वभाव के जंतुओं पर दया जैसे संवेदनशील गुण कम नहीं आते हैं इसलिए मेरा सुझाव है कि तुम्हें कुछ ऐसा करना चाहिए कि बरैया  वह स्थान छोड़कर चली जाए। 

बंदर वापस आ गया और उसने निर्णय लिया कि अब वह बरैया  के चट्टे को उसे पेड़ पर नहीं रहने देगा इसलिए उसने प्रतिकार करने का प्रयास किया वह छाते पर आम की गुठलियों को फेंकता तो कभी ठंडा पानी की बौछार डालता लेकिन बधाई आज छत्ता छोड़ने को तैयार न थी बल्कि उल्टा बंदर पर उनका आक्रमण तेज हो गया चाहे कोई भी समय हो बरैया बंदर पर आक्रमण कर दिया करती थी।

बंदर बहुत परेशान हो गया था और वह अब आम के पेड़ को छोड़ने का मन बना चुका था एक दिन वह अपनी बहन के यहां गया हुआ था और वहां पर उसने अपने सभी परेशानियों को अपने बहन के सामने व्यक्त किया। बंदर की बहन बहुत ही होशियार थी उसने कहा कि जब रात का समय हो जाए तब बरैया  को कुछ भी दिखाई नहीं देता है इसलिए रात के समय तुम बरैया  के चट्टे पर हमला करना छत्ता टूट जाएगा और नीचे गिर जाएगा बरैया को रात के समय कुछ दिखता नहीं है इसलिए वह तुम्हारे ऊपर आक्रमण नहीं कर पाएगी इसके बाद तुम पेड़ के नीचे गिरे हुए उसे छाते को उठाकर कहीं दूर फेंक देना और अगले दिन सुबह होते ही पेड़ के नीचे कुछ पत्तियों को इकट्ठा करके उसमें आग लगा देना जिससे दुआ होगा और बरैया  को धुएं पसंद नहीं है इसलिए बरैया  दोबारा उसे पेड़ पर छत्ता नहीं लग पाएगा। 

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बंदर वापस आकर अपनी बहन के कहीं अनुसार ही रात को बरैया  के चट्टे पर आक्रमण कर दिया और पेड़ के नीचे गिरे हुए बरैया  के चट्टे को उठाकर कहीं दूर फेंकाया अगले दिन सुबह होते ही उसने पेड़ के पत्तियों को इकट्ठा करके उनमें आग लगाकर धुआ को फैला दिया जिससे बरैया  उसे पेड़ को छोड़कर दूर चली गई। बंदर अब वहां फिर से अकेला हो गया और आनंद के साथ रहने लगा और जब भी कोई बढ़िया का झुंड उसे दिखाई देता तो वह उसे झुंड को पहले ही दुआ करके भगा देता था क्योंकि अब वह आतंक से परिचित था।

इस कहानी से हमें भी शिक्षा लेनी चाहिए और आतंकियों के खिलाफ कठोर से कठोर कदम उठाकर उन्हें सजा देनी चाहिए तथा उन्हें दूर जाने के लिए व्यवस्था देना चाहिए।

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