दोस्तों यह कहानी एकदम सच्ची घटना पर आधारित है, जिसे एक ऑटो वाले भैया ने मेरे को एक बार सुनाया था। रीवा रेलवे स्टेशन में, नागपुर वाली ट्रेन 11:00 बजे के लगभग आती है, एक बार यह देर रात लगभग 12:30 बजे रीवा स्टेशन पहुंची, बब्बन ऑटो वाला सवारियों के इंतजार में, रेलवे स्टेशन के बाहर अपने ऑटो को लगाकर, रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर सवारियों को ऑटो मे चलने के लिए लगातार जी हुज़ूरी कर माना रहा था, तभी उसके पास एक लड़की आई, लड़की का चेहरा गेहूंये रंग का था, पर उसका चेहरा उड़ा हुआ था, उसे देखकर ऐसे लगता था जैसे वह किसी गंभीर चिंता में डूबी हुई हो, आकार से वह पतली दुबली थी, लंबाई उसकी लगभग 5:30 फुट के आसपास रही होगी।
वह लड़की बब्बन ऑटो वाले के पास आकर बोली मुझे, रतहरा बाईपास के पास जाना है। रेलवे स्टेशन से रतहरा बाईपास लगभग 8.50 किलोमीटर दूर है। लड़की ने बब्बन ऑटो वाले के ऑटो को बुक कर लिया, किराए की बात ₹200 मे तय हुई। बब्बन ऑटो वाला लड़की को बैठा कर रतहरा बाईपास की ओर चल दिया। रतहरा बाईपास के पास पहुंचते ही लड़की ने ऑटोवाले को एक घर की ओर इशारा किया। ऑटो वाले ने उस घर के सामने ऑटो रोक दिया, लड़की ऑटो से उतरती है और बब्बन ऑटो वाले से कहती है -” भैया मैं पैसे लेकर आती हूं थोड़ा सा इंतजार करो”
ऐसा बोल कर लड़की एक घर के अंदर चली गई। बब्बन घर के सामने इंतजार करने लगा, इंतजार करते-करते लगभग आधा घंटा हो गया, बब्बन को चिंता होने लगी, इसलिए वह ऑटो से उतरा और घर के दरवाजे को खटखटाने लगा, दरवाजा एक अंधेड़ उम्र के व्यक्ति ने खोला, जिनकी उम्र लगभग 56 वर्ष रही होगी। बब्बन ऑटो वाले ने उस व्यक्ति से, बताया कि अभी एक लड़की जो रेलवे स्टेशन से मेरे साथ यहां तक आई है, कुछ समय बोलकर किराए लेने के लिए अंदर गई, लेकिन आधा घंटा हो जाने के बाद भी, अभी तक किराए लेकर नहीं आई, शायद वह आपकी बेटी हो, तो मुझे मेरा किराया दे दीजिए, जिससे मैं घर जाऊं, काफी रात हो रही है।
अंधेड़ उम्र के उस व्यक्ति का मुंह खुला का खुला रह गया, उसने बोला कि मेरे यहां तो कोई भी लड़की नहीं रहती है, और ना ही कोई अभी बाहर से आया है, तब ऑटो वाले ने घर के अंदर झाँकते हुए एक फोटो देखा, जो उसी लड़की की थी, जिसे लेकर वह रेलवे स्टेशन से यहां तक आया था, उस लड़की की तस्वीर में हल्दी की माला चढ़ी हुई थी। उसने इशारा करते हुए कहा- यही लड़की मेरे साथ आई थी, अंधेड़ उम्र के उस व्यक्ति ने उस फोटो को देखा और फिर उस बब्बर ऑटो वाले को देखा, उसकी आंखों में आंसू आ गए थे, और उसने दुखी आवाज में कहां क्यों मजाक करते हो भाई, यह तो मेरी बेटी है जो 10 साल पहले ही एक ट्रेन हादसे में गुजर गई।
बब्बन ऑटो वाले को सारा माजरा समझ आ गया था, वह डर गया और तुरंत अपने ऑटो की ओर भागते हुए गया, मन ही मन कहा कि अब रात को मैं ऑटो नहीं चलाया करूंगा, आज मैं बाल-बाल बचा। जैसे ही वह आटो के पास पहुंचा, तो उसने देखा कि सीट पर 100-100 की 2 नोट रखी हुई थी, उसने आसपास नजरें दौड़ाई। उसे कोई नहीं दिखा उसने जल्दी ₹200 को अपने जेब में डाला, और जोर-जोर से बजरंग बाण पढ़ते हुए, सरपट ऑटो दौड़ा दिया।
उस ऑटो वाले ने मेरे को बताया उस रात के बाद, अब वह रात को कभी भी ऑटो नहीं चलाता है, अगर कोई आवश्यकता पड़ती है, तो भी वह नहीं जाता।