दोस्तो आज हम एक bhoot ki kahani पढ़ने जा रहे हैं, जो की मध्य प्रदेश के रीवा जिले के एक गाँव की हैं। यह कहानी जिसने हमे भेजी हैं यह उनका निजी अनुभव रहा हैं।
गर्मी की छुट्टीयां हुई तो हम लोग अपने गाँव आ गए। हमारा गाँव मध्य प्रदेश के एक सुंदर से शहर रीवा मे हैं। हमारे गाँव का नाम पुरैनी हैं। गाँव मे मेरा घर तलाब के किनारे था, साथ मे एक बहुत बड़ा बगीचा भी था। गाँव मे किसी की मृत्यु हो जाने पर उसका दाह संस्कार इसी बगीचे मे किया जाता था।
हमारा घर वहाँ पर अकेला घर था, गाँव के बाकी घर कुछ दूर पर बने थे। शाम होते ही लोग हमारे घर आना बंद कर देते थे। क्यूंकी रात होते ही हमारे घर के आस पास का माहौल डरावना हो जाता था। रात को बहुत जरूरत होने पर ही हमारे घर से कोई गाँव जाता था, या फिर गाँव से कोई हमारे यहाँ आता था।
दादी ने कई बार सोचा की घर को बदल कर गाँव के बस्ती मे नया घर बनवा लिया जाए, पर पैसो की कमी की वजह से यह सोच हकीकत मे नहीं बदल पाती थी। दादी के सभी लड़को के बच्चो को गिन लिया जाए तो हम सब 5 भाई और 7 बहने हैं। और जब हम लोग गर्मियों की छुट्टी मे गाँव के घर आते तो खूब धमा-चौकड़ी करते पर रात होते ही सारी मस्ती दूर हो जाती और डर के छाए मे रात बीतती। घर के बगल मे मौजूद उस बगीचे से रात भर डरावनी आवाज़े आती रहती, गाँव वाले उसे भुतहा बाग कहते थे। उस बगीचे मे साल भर मे 5 से 6 रूह कपाने वाली घटनाए जरूर हो जाती थी। एक रात दादी ने बड़े ही चाव से मूंग के दाल के मुगौड़े बनाए, और सभी ने पेट भर भर के खाये। हम लोगो मे लड़कपन था, इस लिए क्षमता से अधिक खा लिए। रात 1 बजे मेरे बड़े भैया को और मुझे बहुत ज़ोर से पोट्टी लगी। अब क्या किया जाए?
मेरे भैया और मैंने अपने तीसरे भाई को भी जगाया और अब हम तीनों ने तय किया की चलो, घर के बाहर ही चलते हैं, और जल्दी से पोट्टी करके आ जाएंगे। अब हम सब ने अपने हाथो मे एक-एक लाठी ले ली और बगीचे की ओर चल दिये। एक भाई पहरा देने लगे बाकी हम दो भाई सौच क्रिया मे व्यस्त हो गए। लेकिन इस दौरान डर भी था, जिसके कारण कान बहुत ज्यादा चौकन्ने थे। छोटी से आहट सुन कर रोये खड़े हो जाते थे। दिल जोरों से धड़कने लगता था। तभी एक पेड़ के ऊपर से अजीबो गरीब आवाज आई, थोड़ी ही दूर से कई कुत्तो के रोने की आवाज़े भी आने लगी, अचानक पेड़ हिलने लगा। मैंने और मेरे भैया जल्दी से उठे और दौड़ लगा दी। तभी हमे एक काका दिखे, उन्होने हमे रोक लिया और कहने लगे तुम लोग डरो नहीं, मै आ गया हूँ ये भूत मेरे रहते तुम लोग का कुछ नहीं बिगाड़ेगा। चलो मैं तुम लोगो को तुम्हारे घर छोड़ देता हूँ, पर सीधे रास्ते से नहीं जाएंगे, क्योंकि वहाँ एक चुड़ैल हैं जो तुम लोगो को घर नहीं पहुचने देगी। इस लिए घूम के चलते हैं। हम तीनों उनके पीछे चलने लगे, तभी मेरी नजर उस काका के पैरो की ओर गई, उसके पैर उलटे थे।मैं अपने दोनों भाइयो को इसारा किया। उन्होने भी उस काका के उल्टे पैर देखे तो हम लोगो की चीखे निकल गई। और हम लोग घर की ओर आँख मूँद कर दौड़ लगा दिये।
लेकिन एक ही झटके मे वह काका हम सब के आंगे आ खड़ा हुआ और ज़ोर से हसने लगा, और कहा की अब वह हमे नहीं छोड़ेगा। और हमे तलाब के अंदर डूबा देगा।
तभी हमने ज़ोर ज़ोर से हनुमान चालीसा पढ़ना चालू कर दिया, क्योंकि दादी ने एक बार कहा था की जब भी भूत सामने आ जाए तो हनुमान चालीसा पढ़ने से भूत भाग जाते हैं। पर कई बार भूत नहीं भागते इसका कारण हैं की हनुमान चालीसा गलत पढ़ा जा रहा हैं। जैसे ही हमने हनुमान चालीसा पढ़ना चालू किया तो भूत हनुमान चालीसा सुन कर तड़पने लगा। और गायब हो गया। और इसी दौरान हम घर की ओर आ गए। और जब हम घर के दरवाजे के पास पहुच गए तो हमने पलट कर देखा तो वह भूत अब भी बगीचे मे खड़ा हमारी तरफ ही देख रहा था। तभी घर के पास एक पेड़ लगा हुआ था। यह पेड़ कंजी का था। उससे फूसफुसाने की आवाज आई की आज तो तुम्हें हनुमान चालीसा ने बचा लिया हैं, पर जल्द ही हम तुमलोगों को अपने साथ ले जाएंगे। हमने आवाज की तरफ यानि पेड़ की ओर देखा तो वहाँ सफ़ेद रंग का कोई इंसानी आकृति थी जो पेड़ मे उल्टा लटकी हुई थी।
हम लोग जल्दी से अंदर आ गए। अगले दिन दादी को सारी बात बता दी। दादी ने घर के चारो तरफ हनुमान जी की मूर्तियो को स्थापित किया। उस रात के बाद अब हम लोग कभी भी रात मे घर से बाहर नहीं जाते हैं।
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