रोनकपुर नाम का छोटा सा गांव था । गांव का राजा रोनकसिन्ह जो हमेशा अपने प्रजा की रक्षा करता था। एक दिन की बात है एक गीध नाम का पक्षी जो भूतिया पेड़ का बीज लेकर उड़ रहा था। जब वह गीध रोनक पुर गांव से गुजरा तो अचानक से बीज उसके मुँह से गिरकर गांव के बीचों – बीच मे जाकर गिर गया ।
और वह बीज तुरंत दुसरे दिन एक पौधा बन गया। गांव वालो की नजर उस पौधे पर पड़ी क्योकि वह पौधा काले रंग का था तो उन्हे लगा की कोई खर पतवार होगा ।
उसके दुसरे दिन ही वह पौधा और बड़ा हो गया । गांव वाले आश्चर्यकित हो गये कि कल ही ये छोटा सा पौधा था और एक दिन मे इतना बड़ा हो गया। बात – बात मे गांव वाले पेड के बारे मे भूल गये । लेकिन वह पौधा तीसरे दिन वह काला पौधा एक पेड़ का रूप धारण कर लिया।
इस बात को लेकर पुरे गांव मे हलचल मच गया की एक पेड़ तीन दिन मे इतना बड़ा पेड़ कैसे हो गया।
इस बात के बारे मे गांव वाले राजा के पास गए। राजा भी एक दिन रुके रहे। चौथे दिन वह पेड़ और भी बड़ा हो गया । सभी गांव वाले उस भूतिया पेड़ को देखते के देखते ही रह गये । राजा तुरंत उस जगह पहुँचे तो पाया की वह पेड़ बहुत बड़ा हो गया था ।
राजा ने हुक्म दिया की जो इस पेड़ को खत्म करेगा उसे एक हजार सोने की महोर ईनाम के रूप मे और मेरे बाद का राजा बना दिया जाएगा।
सभी मंत्री अपना – अपना तरकीब लगाने लगे । कई मंत्री पेड़ के पास आग लगाये लेकिन पेड़ को कुछ नही हुआ। एक मंत्री भूतिया पेड़ को हाथीयो से खिचवाया लेकिन भूतिया पेड़ को कुछ भी नही हुआ ।
उसी गांव मे एक समझदार व्यक्ति रहता था जब उसे इस बात के बारे मे पता चला तो वह अपने गुरु से भूतिया पेड़ के बारे मे पुछने चला गया। गुरु जी ने उसे उसके समाधान के बारे मे बताया । और कहा :- उस पेड़ को खत्म करने के लिये उसके आस – पास नमक डालना पड़ेगा ।
वह व्यक्ति समय से पहले राजा को इस बात के बारे मे बताया तो तुरंत राजा सैनिकों को हुक्म दिया और खुब जत्था भर नमक लाकर भूतिया पेड़ के आस पास डाल दिया गया । कुछ ही समय मे पेड़ का आकार कम होने लगा और पाँचवें दिन वह पेड़ एकदम छोटा हो गया और गल गया ।
राजा उस व्यक्ति के तरकीब से खुश हुए और उसे एक हजार सोना महोर ईनाम के रूप मे और अपने बाद का राजा उसे बनाने का वचन दिये ।