भूत की कहानी- रीवा के लोही मे रात को 10:30 बजे मिला उड़ता हुआ भूत

भूत की कहानी- रीवा के लोही मे रात को 10:30 बजे मिला उड़ता हुआ भूत

दोस्तों यह कहानी पिछले वर्ष की है कोरोना काल चल रहा था, और मेरी तबीयत कुछ खास नहीं थी तो एक बहुत पढे लिखे वैद्य ने मुझे बताया कि बकरी का दूध पीना, बहुत ही लाभकारी होगा।

इसलिए बकरी का दूध मैंने लेना चालू कर दिया, लेकिन कोई भी दूधवाला बकरी का दूध शुद्ध नहीं दे रहा था। इसलिए हमने शुद्ध बकरी के दूध के लिए अपने बुआ से संपर्क किया। बुआ ने बताया कि लोही में कोई सज्जन है, जो शुद्ध बकरी का दूध देंगे। मेरे घर से लोही 7 किलोमीटर दूर था, इसलिए अब मैं रोजाना लोही  जाता और वहां से 1 लीटर दूध बकरी का लेकर आता।

मेरा दफ्तर सुबह 9:00 बजे से शाम को 6:00 बजे तक रहता था। ठंड का महीना था, एक दिन मुझे दफ्तर में किसी काम की वजह से रुकना पड़ा, तो उस दिन लोही जाने में मुझे देर हो गई और मैं रात को 10:30 बजे लोही गया। जैसे ही दूध लेकर, मैं वापस आ रहा था, तभी मैंने देखा की कोई औरत रोड के किनारे खड़े होकर रुकने का इशारा कर रही थी। उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि वह लिफ्ट मांग रही है।

पर 10:30 बज चुके थे, इस समय किसी को लिफ्ट देना खतरे से खाली नहीं है। संभव है कि वह कोई चोरी करने वाले गुट की सदस्य हो। इसलिए मैंने उस औरत की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया और सरपट अपनी गाड़ी दौड़ा ली।

जैसे ही मैं उस औरत को पार करके आगे निकला, तभी मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मेरी गाड़ी पर बैठ गया हो। मेरी गाड़ी अब भारी होने लगी थी और रफ्तार धीमी होने लगी थी। मुझे लगा हे भगवान, यह क्या हो गया? मैंने गाड़ी में लगे मिरर से पीछे खड़ी उस महिला को देखा तो वह महिला, अब वहां पर नहीं थी। मैं अब डर गया, तभी मुझे मेरी दादी की एक बात ध्यान आ गई, दादी ने कहा था कि कभी भी अगर भूत-प्रेत जैसी चीजों से सामना हो तो तुरंत हनुमान चालीसा पढ़ना चालू कर दो।

See also  भूत की कहानी - रीवा के नेहरा गाँव मे भूतनी ने किया था 450 वर्ष राज

मुझे पूरा विश्वास था, यह कोई साधारण महिला नहीं थी। बल्कि कोई भूत या प्रेत ही थी और कहीं ना कहीं शायद वह मेरी गाड़ी में बैठ चुकी थी। क्योंकि अब मेरी गाड़ी भारी चलने लगी थी।

मैंने तुरंत हनुमान चालीसा पढ़ना चालू कर दिया जैसे ही मैंने हनुमान चालीसा पढ़ना चालू किया, अचानक मेरे कानों में एक आहट सुनाई दी जैसे किसी ने कहा – “मैं तुझे नहीं छोडूंगी चाहे तू जितना भी हनुमान चालीसा पढ़ ले।”

मैं डर चुका था, मेरे हाथ कांपने लगे थे। मेरे शरीर में पसीना, नदी की धार की तरह बहने लगा था। जनवरी के ठंड में भी पसीने से मेरे कपड़े गीले हो चुके थे। मुझे लग रहा था, अब मैं नहीं बच पाऊँगा। मेरी गाड़ी और भारी हो गई थी और धीमे-धीमे चलने लगी थी। ऐसा लग रहा था कि अब वह हवा में उड़ने वाली है। किसी ने बहुत तेज से मेरे कंधे को पकड़ लिया था। मेरे कान के पास बहुत डरावनी-डरावनी आवाजें आने लगी थी।

लेकिन मैं हिम्मत नहीं हारा और तेज-तेज से हनुमान चालीसा पढ़ने लगा। जैसे-जैसे मैं हनुमान चालीसा पढ़ते हुये आगे बढ़ता जा रहा था। वैसे वैसे मेरी गाड़ी हल्की होने लगी थी और मुझे जिस शक्ति ने पकड़ रखा था, उसका जकड़न भी अब कम होने लगा था।

कुछ देर बाद ऐसा लगा जैसे कोई मेरी गाड़ी से उड़कर आसमान की ओर गया, मैंने तुरंत ऊपर देखा तो बहुत तेज चमकता हुआ, कुछ सफेद सा, कुछ धुंधला सा, हवा में उड़ रहा था। यह निश्चित रूप से एक प्रेत था, उसने मुझसे कहा – “हनुमान चालीसा दे तुझे आज बचा लिया है” और गायब हो गया।

See also  Bhoot Ki Khani - वो डरावनी रात

लेकिन फिर भी मैं डरा रहा और तेज रफ्तार में गाड़ी चलाते हुए घर आ गया। उसके बाद मैं 5:00 बजे ही लोही जाकर दूध ले आता था और 8:00 बजे के बाद में कहीं पर भी नहीं जाता और अगर मजबूरी में कहीं जाना होता है तो हनुमान चालीसा पढ़ता रहता हूं।

दोस्तों आप भी हनुमान चालीसा याद कर ले और मूर्ख लोगों के चक्कर में ना पड़े। धर्म है तो जान है।

Keyword – pret ki kahani in hindi, bhoot pret ki kahani hindi, bhoot pret ki kahani, bhoot pret ki kahani hindi pdf download, pret aatma ki kahani, bhut pret ki kahani, bhoot pret ki kahani hindi lyrics, bhut pret ki kahaniya, bhoot pret ki kahani app, bhoot pret ki kahaniyan acchi acchi, pret atma ki kahani in hindi, pret atma ki kahani, pret aatma ki kahani in hindi, bhoot aur pret ki kahani, bhut pret ki kahani in hindi

One comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *